जीवाणु या बैक्टीरिया, खोज, प्रकार, पोषण, प्रजनन, विशेषता, लाभ

जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया: जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया मूल रूप से एककोशिकीय रूप के होते हैं। ये सर्वव्यापी हैं और उन सभी जगहों पर पाए जाते हैं , जहाँ जीवन की थोड़ी सी भी संभावना उपस्थित हो |  जैसे- पानी, मिट्टी, गर्म जल, हिमखंडो के नीचे, रेगिस्तान, पौधे, जंतु जीवों के ऊपर और अंदर  आदि।

बैक्टीरिया आमतौर पर आकार और साइज़ में भिन्न होते हैं। | इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे पहले जीव बैक्टीरिया जीवाणु ही थे | इन्हें सबसे प्राचीनतम जीव कहा जाता है | यह बैक्टीरिया अत्यंत छोटे सूक्ष्म होते हैं | जिन्हें खुली आँखों से नहीं देखा जा सकता है | परन्तु जीवाणु को माइक्रोस्कोप के द्वारा देखा जा सकता है | आज हम जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया क्या है | जीवाणु के प्रकार इनकी खोज  और इनसे होने वाले रोग  इनकी विशेषता इनके लाभ और पोषण  के बारे में जानेंगे |

जीवाणु Bacteria
जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया

Bacteria जीवाणु बैक्टीरिया : बैक्टीरिया जल वायु मिट्टी के अलावा हमारे भोजन में तो मौजूद रहते हैं | ये बैक्टीरिया त्वचा, मुँह, पेट, आंतों में भी रहते हैं |

आंतों में रहने वाले बैक्टीरिया हमारे पाचन में सहायक होते हैं |

हमारे शरीर में एंजाइम विटामिन के निर्माण में भी सहायता करते हैं | यह शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद भी करते हैं |

कुछ अच्छे बैक्टीरिया हमारे आंतों में रोग फ़ैलाने वाले बैक्टीरिया को ख़त्म कर देते हैं |

जीवाणु एशररीशिया कोलाई एक ऐसा जीवाणु है जो मानव की आंत में पाया जाता है |

बैक्टीरिया या जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टीरियोलॉजी Bacteriology कहलाता है

तथा कुछ बुरे बैक्टीरिया भी होते हैं जो बीमारी पैदा करते हैं |

बैक्टीरिया से होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियाँ जैसे मेनिनजाइटीस, निमोनिया, टीबी, कॉलेरा, फ़ूड पॉइजनिंग etc. हैं |

आइये इस लेख के मध्यम से जानते और समझते हैं कि जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया खोज प्रकार पोषण प्रजनन विशेषता लाभके बारे में |

Table of Contents

जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया,खोज,प्रकार,पोषण,प्रजनन,विशेषता,लाभ : 

जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया क्या हैं कहाँ पाए जाते हैं बैक्टीरिया के कितने प्रकार हैं और उनकी खोज किसने की सभी के बारे में पूरी जानकारी इस प्रकार हैं |

Discovery of bacteria बैक्टीरिया की खोज :

  • बैक्टीरिया की खोज एंटनी वैन लीउवेनहोएक ने 1683 में की थी | इन्हें जीवाणु विज्ञान का जनक भी कहा जाता है |
  • और 1829 में एहरेनबर्ग ने बैक्टीरिया जीवाणु का नामकरण किया था।
  • 1882 ई. में जर्मन वैज्ञानिक रोबर्ट कोच ने कॉलरा एवं टी.बी. के जीवाणुओं बैक्टीरिया की खोज की |
  • बैक्टीरिया सबसे छोटी कोशिका है | यह 0.1 से 0.5 माइक्रोमीटर के बीच होती है।

Types of bacteria बैक्टीरिया के प्रकार :

जीवाणुBacteria प्रकार रोग खोज
जीवाणुBacteria प्रकार रोग खोज

 

ये सात प्रकार के होते हैं |

  1. कोकस (गोलाकार या अंडाकार) Coccus (spherical or oval)
  2. बेसिलस (जैसे सिलेंडर या रॉड) Bacillus (such as cylinder or rod)
  3. स्पिरिलम (सर्पिल कॉइल) Spirillum (spiral coil)
  4. वाइब्रियो (अल्पविराम की तरह घुमावदार) Vibrio (winding like a comma)
  5. डंठल (डंठल के साथ) stalk (with stalk)
  6. नवोदित (कुछ स्थानों पर सूजन) ) Budding (swelling at some places)
  7. मायसेलिया (फिलामेंटस) Mycelia (filamentous)

आकार के आधार पर जीवाणु के प्रकार Types of bacteria on the basis of size:

  • छड आकार Rod shaped– यह छड नुमा या बेलनाकार होता है | जैसे – बैसिलस (Bacillus) |
  • गोलाकार Spherical – ये गोलाकार एवं सबसे छोटे जीवाणु होते हैं | जैसे – कोकस (Coccus) |
  • कोमा आकर Coma shaped– यह अंग्रेजी के कोमा चिन्ह (,) क्र आकर के होते हैं | जैसे – विब्रियो (Vibrio) |
  • सर्पिलाकार Spiral shaped– यह स्प्रिंग या स्क्रू के तरह का होता है | जैसे – स्पिरिलम (Spirillum) |
जीवाणु Bacteria के प्रकार
जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया के प्रकार

कोशिका भित्ति के आधार पर जीवाणु के प्रकार Types of bacteria based on cell wall :

ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया :

  • इनकी कोशिका भित्ति मोटी होती है |
  • इसकी कोशिका भित्ति में एक परत होता है |
  • इस की कोशिका भित्ति अधिक दृढ़ होती है |
  • जैसे – स्ट्रेप्टोमाइसेस, एक्टिनोमाइसेस, बेसिलस, माइकोबैक्टीरियम etc.

ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया :

  • इनकी कोशिका भित्ति पतली होती है |
  • इसकी कोशिका भित्ति में तीन परत होता है |
  • इस की कोशिका भित्ति अपेक्षाकृत कम दृढ़ होती है |
  • जैसे – रिकेट्सिया, क्लैमाइडिया, सालमोनेला, हीमोफिलस etc.

तापमान के आधार पर जीवाणु के प्रकार Types of bacteria based on Temperature :

  • अनेक बैक्टीरिया अलग अलग तापमान में भी जीवित रहते हैं | इसी तरह के जीवाणु Bacteria के प्रकार यह हैं |
  • कुछ बैक्टीरिया बहुत ही कम तापमान जीरो डिग्री से कम तापमान में भी विकसित होते हैं और जीवित बने रहते हैं | जैसे- सइकोफिल्स |
  • कई बैक्टीरिया उच्च तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक में भी विकसित हो जाते है और जीवित रहते हैं | जैसे – थर्मोफिलिक |
  • और कुछ बैक्टीरिया नार्मल 15 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में विकसित हो कर जीवित रहते हैं | जैसे – मेसोफिलिक |

बैक्टीरिया की सामान्य विशेषताएं General characteristics of bacteria:

  • उनके पास मोटी कोशिका भित्ति होती है जो चिटिन chitin से बनी होती है |
  • एक आंतरिक कोशिका झिल्ली होती है। जो प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड्स से बनी होती है |
  • बैक्टीरिया या जीवाणु  कोशिका के मूल घटक हैं- कोशिका झिल्ली, कोशिका द्रव्य एवं केन्द्रक |
  • जीवाणु बैक्टीरिया  प्रोकैरियोटिक एककोशिकीय जीव हैं ।
  • यूकेरियोटिक कोशिकाओं की तुलना में इनकी अपेक्षाकृत सरल कोशिका संरचना होती है।
  • इनके पास नाभिक जैसे कोई झिल्ली-बद्ध अंग भी नहीं होते हैं। लेकिन बैक्टीरिया में  न्यूक्लियॉइड नामक इंट्रासेल्युलर स्पेस में आनुवंशिक सामग्री (डीएनए या आरएनए) होते हैं |
  • तरल पदार्थों में रहने वाले कुछ जीवाणुओं में लयबद्ध गति के लिए लंबी, धागे जैसी संरचनाएं होती हैं जिन्हें फ्लैगेला कहा जाता है।
  • वे मेसोसोम द्वारा श्वसन क्रियाएँ करते हैं।
  • कुछ बैक्टीरिया मीथेन (फॉर्मिक एसिड) से CO2 का उत्पादन करते हैं और मेथनोजेनिक बैक्टीरिया के रूप में जाने जाते हैं | जैसे – मेथनोकोकस
  • कई बैक्टीरिया में नमक से भरपूर मीडियम में रहने और नमक को भूरा रंग देने की क्षमता होती है, जिसे हेलोफिलिक के रूप में जाना जाता है | जैसे – हेलोकोकस

सभी बीजाणु पैदा करने वाले जीवाणु ग्राम धनात्मक होते हैं और रंगने पर बैंगनी हो जाते हैं। ऐसे जीवाणुओं की कोशिकीय दीवारें मुराइन से बनी होती हैं |

  • सबसे छोटा जीवाणु बैक्टीरिया का नाम माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम है |
  • और सबसे बड़ा जीवाणु बैक्टीरिया का नाम थियोमार्गरीटा नामिबेंसिस है |

बैक्टीरिया जीवाणुओं में पोषण :

  • अधिकांश जीवाणु स्वपोषी होते हैं अर्थात या तो प्रकाश संश्लेषक या रसायन संश्लेषक हो सकते हैं |
  • और उनमें से कुछ विषमपोषी होते हैं।
  • बैक्टीरिया सैप्रोफाइटिक होते हैं | ये मृत पौधों और जानवरों से भोजन प्राप्त करते हैं |जैसे- राइजोबियम |
  • परजीवी , जीवित पौधों या जानवरों के ऊतकों से सीधे भोजन प्राप्त करते हैं | ये विभिन्न बीमारियों के कारण के लिए जिम्मेदार हैं।

बैक्टीरिया में जनन :

  • वे द्विआधारी विखंडन द्वारा प्रजनन करते हैं | इनमे अलैंगिक रूप से प्रजनन होता है |
  • उनमें लैंगिक जनन अनुपस्थित होता है, लेकिन यह संयुग्मन और परिवर्तन परालैंगिक रूप से हो सकता है।
  • संयुग्मन अथार्त दो कोशिका फ्यूज और स्थानांतरण आनुवंशिक सामग्री और परिवर्तन अर्थात किसी बाहरी माध्यम से विदेशी डीएनए को उठाकर आनुवंशिक प्रोफ़ाइल में हेरफेर द्वारा परलैंगिक करते हैं |

जीवाणु की संरचना का चित्र :

जीवाणु का संरचना का चित्र

बैक्टीरिया का वर्गीकरण classification of bacteria:

  • एक्टिनोमाइसेट्स (Actinomycetes)
  • साइनोबैक्टीरीया (Cyanobacteria)
  • रिकेटसिआ (Rickettsia)
  • आर्कबैक्टीरिया (Archaebacteria)
एक्टिनोमाइसेट्स Actinomycetes :

ये ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया हैं, जो शाखाओं के तंतुओं से उत्पन्न होते हैं और अक्सर कवक के रूप में गलत बीजाणु पैदा करते हैं | इन्हे कवकसम जीवाणु भी कहते हैं |

यह एक्टिनोमाइसेट्स वह जीवाणु है, जिनकी रचना कवक जाल के समान शाखित होती है, |

पहले इन्हे कवक माना जाता था, परंतु प्रोकैरियोटिक कोशिकीय संगठन के कारण इन्हे अब जीवाणु माना जाता है

स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन सहित कई सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक्स का उत्पादन करते हैं, जो मिट्टी के बैक्टीरिया के सबसे सामान्य प्रकारों में से एक है और दंत पट्टिका में भी आम है।

उदाहरण – स्ट्रेप्टोमाइसेस, एक्टिनोमाइसेस, आदि।

सायनोबैक्टीरिया  Cyanobacteria :

ये सायनोबैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषी होते हैं, इन्हें पृथ्वी का सफलतम जीवधारियों का समूह माना जाता है | सायनोबैक्टीरिया को जीवित जीवाश्मकहा जाता है |

संरचना के आधार पर इनकी कोशिका की मूल संरचना शैवालों की अपेक्षा जीवाणु से अधिक समानता रखते हैं |

सायनोबैक्टीरिया को नील नील हरित शैवाल के नाम से भी जाना जाता है |

ऐसे कई जीवधारी जो सहजीवी के रूप में रहते हैं, उनमे कवक से लेकर साइकस तक के सभी जीव आते हैं |

ये प्रकाश संश्लेषक बैक्टीरिया (ग्राम नकारात्मक) के रूप हैं | जो समुद्री और मीठे पानी के वातावरण में रहते हैं |

यह  गहरे रंग के होते हैं, जो अक्सर प्रदूषित पानी में खिलने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

जैसे – एनाबीना Anabaena, नोस्टॉक Nostoc, आदि।

एनाबीना Anabaena और नोस्टॉक Nostoc नामक सायनो बैक्टीरिया वायुमंडल की नाइट्रोजन N2  का स्थिरीकरण करते हैं |

एज़ोटोबैक्टर (Azotobacter), एजोस्पाइरिलम (Azospirillum), तथा क्लोस्ट्रीडियम (Clostridium) जीवाणु की कुछ जातियां स्वतंत्र रूप से मिट्टी में निवास करती है | तथा मिट्टी के कणों के बीच स्थित वायु के नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करती है |

रिकेट्सिया Rickettsia :

ये छोटे और ग्राम नकारात्मक इंट्रासेल्युलर परजीवी हैं। रिकेट्सिया जीवन चक्र में पिस्सू और टिक जैसे स्तनधारी और आर्थ्रोपोड दोनों शामिल हैं।

रिकेट्सिया टाइफस (रिकेट्सिया प्रोवाज़ेकी) और रॉकी माउंटेन स्पॉटेड फीवर बुखार सहित कई घातक मानव रोगों के लिए जिम्मेदार है।

Chlamydial संक्रमण आम यौन संचारित रोगों में से एक है।

जैसे- रिकेट्सिया, क्लैमाइडिया आदि।

आर्कबैक्टीरिया Archaebacteria:

ये आदिम बैक्टीरिया हैं | प्राचीनतम जीवधारियों के प्रतिनिधि अर्कीबैक्टीरिया को माना जाता हैं। इसलिए इनका नाम आर्की बैक्टीरिया रखा गया है। इन्हें प्राचीनतम जीवित जीवाश्म कहा जाता है।

आर्किबक्टेरिया को जीवित जीवाश्म कहा जाता है |

यह जिन परिस्थितियों में ये निवास करते हैं उनके आधार पर आर्की बैक्टीरिया को तीन समूहों में विभाजित किया गया है-मैथेनेजोन, हैलोफाइल्स तथा थर्मोएसिडोफाइल्स ।

अर्थात्  मेथनोज़ोन (मीथेन पैदा करने वाले बैक्टीरिया) जैसे –  मेथनोबैक्टीरियम आदि | हेलोफाइल्स (समुद्री बैक्टीरिया)  जैसे – हेलोबैक्टीरियम और थर्मोएसिडोफाइल्स (सल्फर बैक्टीरिया) | जैसे – सल्फोलोबस  आदि।

जीवाणु बैक्टीरिया से मनुष्यों में होने वाले रोग Diseases caused by bacteria in humans:

Sr No. बीमारी प्रभावित अंग जीवाणु के नाम लक्षण
1) टिटनेस तंत्रिका तंत्र क्लास्ट्रीडियम टेटनी तेज बुखार, शरीर में ऐंठन, जबड़ा बंद होना |
2) हैजा कॉलरा आंत विब्रियो कॉलेरी लगातार दस्त और उल्टियाँ |
3) टायफाइड आंत सालमोनेला तेज बुखार, सिर दर्द |
4) क्षय रोग TB फेफड़ा माइकोबैक्टिरियम ट्यूबरक्लोसिस बार बार खाँसी के साथ कफ, रक्त निकलना |
5) डिप्थीरिया श्वास नली कोरीनी बैक्टिरियम डिप्थीरी साँस लेने में कठिनाई एवं दम घुटना |
6) प्लेग फेफड़ा, कांरव दोनों पैर के बीच पाश्चुरेला पेस्टिस बहुत तेज बुखार, शरीर पर गिल्टियाँ |
7) काली खाँसी श्वसन तंत्र हीमोफिलस परटुसिस लगातार खाँसी आना |
8) निमोनिया फेफड़ा डिप्लोकोकस न्यूमोनी तेज बुखार, फेफड़ो में सूजन |
9) कोढ़ तंत्रिका तंत्र, त्वचा माइकोबैक्टिरियम लेप्री शरीर पर चकते, तंत्रिका तंत्र प्रभावित |
10) गोनोरिया मूत्र मार्ग नाइसेरिया गोनोरीयाई मूत्र मार्ग में सूजन |
11) सिफलिस शिशन टैपोनमा पैलिडम शिशन में घाव |

 

बैक्टीरिया द्वारा पौधों में होने वाले रोग Plant diseases caused by bacteria:

आलू का शिथिल रोग Wilt disease of Potato :

  • यह स्युडोमोनास सोलेनेसियेरम नामक बैक्टीरिया जीवाणु से होता है |

धान का अंगमारी रोग  Bacterial Blight disease of Rice:

  • यह जैन्थोमोनास ओराइजी नामक बैक्टीरिया से होता है |

गेंहू का टूनडू रोग Tundu disease of Wheat :

  • यह कोरीनोबैक्टीरियम ट्रीटीकी नामक जीवाणु से होता है |

Pasteurization of Milk दूध का पाश्चुरीकरण :

दूध को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए इसका पाश्चुरीकरण किया जाता है | इन्हें बैक्टीरिया से बचाने के पाश्चुरीकरण करते हैं |

इसकी दो विधियाँ होती है |

1) सतत, कम तापमान अधिक समय विधि Low temperature long time process (LTLT) :

दूध को इस विधि में 62.8oC पर 30 मिनट तक गर्म किया जाता है | इसके बाद जल्दी ही ठंडा किया जाता है |

2) सतत, उच्च तापमान कम समय विधि  High temperature short time process (HTST) :

दूध को इस विधि में 71.7oC  पर 15सेकंड तक गर्म किया जाता है | और फिर जल्दी ही ठंडा कर दिया जाता है |

 

जीवाणुओं या बैक्टीरिया के आर्थिक महत्व Economic importance of bacteria:

चर्म उद्योग में चमड़े से बालों और वसा को हटाने का कार्य जीवाणुओं द्वारा किया जाता है | इसे चमड़ा टैनिंग कहते हैं |

1)जीवाणुओं की लाभकारी गतिविधियाँ Beneficial activities of bacteria:

कुछ जीवाणु या बैक्टीरिया हमारे लिए लाभदायक होते हैं | जो आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं | आइये देखते हैं बैक्टीरिया के लाभकारी महत्त्व |

सिरका:
  • एसिटिक एसिड बैक्टीरिया (एसीटोबैक्टर एसीटी) एथिल अल्कोहल को एसिटिक एसिड में ऑक्सीकृत करता है।
  • शीरे से एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त किया जाता है।
नाइट्रिफाइंग बैक्टीरिया:
  • नाइट्रोसोमोनास और नाइट्रोकोकस अमोनियम लवण को नाइट्राइट में ऑक्सीकृत करते हैं।
  • नाइट्राइट्स को नाइट्रोबैक्टर या नाइट्रोसिस्टिस द्वारा नाइट्रेट्स में बदल दिया जाता है।
प्रकृति के मैला ढोने वाले और सीवेज निपटान:
  • सैप्रोट्रोफिक बैक्टीरिया पौधों और जानवरों के मृत शरीरों के क्षय और अपघटन का कारण बनते हैं।
  • सीवेज की कार्बनिक सामग्री भी बैक्टीरिया द्वारा टूट जाती है।
गोबर गैस संयंत्र और खाद:
  • बैक्टीरिया जानवरों के गोबर और अन्य जैविक कचरे को ईंधन गैस (मीथेन) के उत्पादन के साथ खाद में बदल देते हैं।
अमोनिफाइंग बैक्टीरिया:
  • बैसिलस वल्गरिस अमीनो एसिड से अमोनिया छोड़ता है।

2)बैक्टीरिया की हानिकारक गतिविधियाँ Harmful activities of bacteria:

कुछ बैक्टीरिया हानिकारक भी हैं | ये कई प्रकार के बिमारियों का कारण भी बनते हैं |

विषाक्त भोजन food poisoning :
  • क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम एक बीमारी का कारण बनता है, जिसे बोटुलिज़्म कहा जाता है |
  • सामान्य खाद्य विषाक्तता क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम के कारण भी होती है |
  • इसके कारण दस्त और उल्टी होती है |
सॉलिस का विनाइट्रीकरण:
  • थियोबैसिलस डेनिट्रिफिशंस मिट्टी के नाइट्रेट्स को गैसीय नाइट्रोजन में परिवर्तित करते हैं।
बीमारी:
  • 90% से अधिक मानव और पशु रोग जीवाणु के कारण होते हैं |
  • और 40% से अधिक पौधे रोग उनके कारण होते हैं।
भोजन का खराब होना:
  • सैप्रोट्रोफिक बैक्टीरिया सब्जियों, फलों, मांस, ब्रेड आदि के सड़ने का कारण बनते हैं।
मिट्टी का डिसल्फरिफिकेशन:
  • Desulfovibrio desulfuricans मिट्टी के सल्फेट्स को H2S में बदल देता है।

बैक्टीरिया से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें :

  • गुड बैक्टीरिया बढ़ाने के लिए प्रोबॉयोटिक्स का सेवन करें |
  • प्रोबायॉटिक्स असल में गुड बैक्टीरिया है, इनकी शरीर को बेहद जरूरत होती है | यह तनाव के असर, दवाओं के असर और अनहेल्दी फूड के प्रभाव को कम करता है |
  • इसके सेवन से पेट भी स्वस्थ रहता है | इसलिए प्रोबायोटिक्स जैसे दही, छाछ, जैतून आदि का सेवन करें।
  • हमारे पाचन तंत्र के भीतर बैक्टीरिया की एक बहुत बड़ी संख्या है | यह पाचन तंत्र के पिछले हिस्सों में भी पाए जाते हैं |
  • बैक्टीरिया मुख्य रूप से बृहदान्त्र आँतों में पाए जाते हैं | आंतों मेंउपस्थित प्रत्येक ग्राम में एक ट्रिलियन बैक्टीरिया तक हो सकते हैं |
  • कुछ बुरे , ख़राब या बैड बैक्टीरिया भी होते हैं | जो अनेक बिमारियों को ट्रिगर कर बढ़ाते हैं | जैसे – क्लोस्ट्रीडियम परफिरिंगेंस, स्टैफिलोकोकस और एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई, विषाक्त तनाव)
  • शिगेला एक जीवाणु है जो इंटेरोबैक्टर परिवार से संबंधित है। यह ऐसे बैक्टीरिया का एक समूह है जो आंत में रहता है | यह सभी लोगों में बीमारी नहीं फैलने देता है |
जीवाणु बैक्टीरिया से सम्बंधित कुछ जानकारी :
  • कुछ बुरे बैक्टीरिया जो बीमारी फैलाते हैं |वे दूषित भोजन, स्वच्छता में कमी या सीधे संक्रमित व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क के माध्यम से दूसरे लोगो में  फैलता है |
  • हमारे शरीर में लगभग  100 ट्रिलियन बैक्टीरिया हमारे शरीर में होते हैं | जो अधिकांशतः आंतों में पाए जाते हैं |
  • हमारे मुँह में 600 से अधिक तरह के बैक्टीरिया होते हैं
  • थियोमार्गरीटा नामिबेंसिस नाम का एक बहुत ही अनोखा बैक्टीरिया है | यह अब तक का सबसे बड़ा जीवाणु बैक्टीरिया है |
  • इस खास थियोमार्गरीटा नामिबेंसिस बैक्टीरिया को कैरेबियन मैंग्रोव दलदल में खोजा गया है | सामान्य तः यह सभी बैक्टीरिया से 5 हजार गुना तक ज्यादा बड़ा है |
  • सबसे छोटा जीवाणु बैक्टीरिया का नाम माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम है | जो स्वायत्त विकास और प्रजनन में सक्षम है |
निष्कर्ष :

उम्मीद करते हैं कि आपको यह ब्लॉग पोस्ट पसंद आया होगा | आप अपने दोस्तों के साथ और परिवार के साथ जरुर शेयर करे | यह पोस्ट “जीवाणु Bacteria बैक्टीरिया | खोज प्रकार पोषण प्रजनन विशेषता लाभ” के बारे में था | आप अपने विचार या सुझाव कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं | और हमारे साथ जुड़े रहें |

आपका दिन शुभ हो | धन्यवाद |

FAQ 1):

Q) बैक्टीरिया की खोज किसने की और कब की  ?

Ans : बैक्टीरिया की खोज एंटनी वैन लीउवेनहोएक ने 1683 में की थी | इन्हें जीवाणु विज्ञानं का जनक भी कहा जाता है |

और 1829 में एहरेनबर्ग ने बैक्टीरिया जीवाणु का नामकरण किया था।

Q) सबसे पहला बैक्टीरिया कौन सा है ?

Ans : साइनोबैक्टीरीया Cyanobacteria सबसे पहला बैक्टीरिया है |

Q) बैक्टीरिया कहाँ पाए जाते हैं ?

Ans : जीवाणु Bacteria सर्वव्यापी हैं और उन सभी जगहों पर पाए जाते हैं जहां पदार्थ मौजूद है | जहाँ जीवन की थोड़ी सी भी संभावना उपस्थित हो | जैसे- पानी, मिट्टी, गर्म जल, हिमखंडो के नीचे, रेगितान, पौधे, जंतु जीवों के ऊपर और अंदर  आदि।

Q) हमारे शरीर में कितने बैक्टीरिया पाए जाते हैं ?

Ans : हमारे शरीर में लगभग  100 ट्रिलियन बैक्टीरिया हमारे शरीर में होते हैं | जो अधिकांशतः आंतों में पाए जाते हैं |

Q) आकार के आधार पर बैक्टीरिया जीवाणु के कितने प्रकार हैं ?

Ans : आकर के आधार पर बैक्टीरिया चार प्रकार हैं

छड आकार  बैसिलस (Bacillus), गोलाकार  कोकस (Coccus), कोमा आकर  विब्रियो (Vibrio), सर्पिलाकार  स्पिरिलम (Spirillum) |

FAQ 2):

Q) मानव की आंत में पाया जाने वाला जीवाणु बैक्टीरिया कौन सा है ?

Ans : मानव की आंत में पाया जाने वाला जीवाणु एशररीशिया कोलाई हैं |

Q) बैक्टीरिया से कौन कौन स रोग होता है ?

Ans : टिटनेस, हैजा कॉलरा, टायफाइड, प्लेग, काली खाँसी, निमोनिया etc., |

Q) दूध में कौन सा जीवाणु या बैक्टीरिया पाया जाता है ?

Ans : लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) एक जीवाणु बैक्टीरिया है |जो दूध में पाया जाता है जो दूध से दही बनने में मदद करता है |

Q) सबसे छोटा जीवाणु बैक्टीरिया का नाम क्या है ?

Ans : सबसे छोटा जीवाणु बैक्टीरिया का नाम माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम है |

Q) सबसे बड़ा जीवाणु बैक्टीरिया का नाम है ?

Ans : सबसे बड़ा जीवाणु बैक्टीरिया का नाम थियोमार्गरीटा नामिबेंसिस है |

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