तुगलक वंश Tugalak dynasty : दिल्ली सल्तनत के पांच वंशो के शासनकाल में तुगलक वंश तीसरा वंश था | तुगलक वंश का शासन 1320 ई. से 1413 ई. तक चला |
खिलजी वंश के अंतिम शासक की मृत्यु के बाद तुगलक वंश की नींव पड़ी | तुगलक वंश का संस्थापक गियासुद्द्दीन तुगलक था | गियासुद्द्दीन तुगलक ने 1320 ई. में तुगलक वंश की नींव डाली थी |
तुगलक वंश मूल रूप से तुर्की मुस्लिम था | तुगलक वंश में तीन मुख्य शासक हुए | गियासुद्द्दीन तुगलक , मोहम्मद बिन तुगलक, फिरोजशाह तुगलक |
आइये इस लेख के माध्यम से जानते और समझते हैं कि तुगलक वंश Tugalak dynasty (1320 – 1413) के शासक कौन थे और उन्होंने कितने वर्षो तक शासन किया |
तुगलक वंश के शासक:
- गियासुद्दीन तुगलक Ghiyasuddin Tughluq (1320-1325)
- मोहम्मद बिन तुगलक Muhammad bin Tughluq (1325-1351)
- फिरोजशाह तुगलक Firoz Shah Tughlaq (1351–1388)
- महमूद तुगलक Mahmud Tughlaq (1388-1394)
- नसीरुद्दीन महमूद तुगलक Nasiruddin Mahmud Tughluq (1394-1413)
गियासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ई.) :
खिलजी वंश के अंतिम शासक खुसरो खां की हत्या करने के बाद गियासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई. में तुगलक वंश की स्थापना की थी | और फिर वह दिल्ली का सुल्तान बना |
इसका आरंभिक नाम गाज़ी मलिक था | इसके समय में मंगोलों के बहुत आक्रमण हुए |
गाज़ी मलिक या गियासुद्दीन तुगलक ने मंगोलों के आक्रमण पर उन्हें बार बार पराजित किया |
इसलिए वह मलिक-उल-गाज़ी के नाम से प्रसिद्ध हुआ |
गियासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के आस पास में तुगलकाबाद नाम का एक शहर बसाया | और उसने उस शहर को अपनी राजधानी बनाया|
उसने अपने राजकीय आय में वृद्धि के लिए फसलो के उत्पादन में वृद्धि की |
कृषि के लिए प्रोत्साहित किया | इसके लिए उसने नहर बनवाए | सिंचाई की व्यवस्था की |
यह दिल्ली का पहला शासक था जिसने कृषि के लिए सिंचाई की व्यवस्था की और नहरों का निर्माण भी करवाया |
नये पुलों और सड़को का निर्माण करवाया और पुरानी सड़को की मरम्मत करवाई |
इसने डाक सेवा की व्यवस्था की | और डाक सेवा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए 3-4 मील की दूरी पर घुड़सवारों को नियुक्त किया |
गियासुद्दीन तुगलक ने शराब की बिक्री और उत्पादन पर रोक लगाया |
इसने सैन्य व्यवस्था को पहले के सुल्तानों की तरह जारी रखा |
हुलिया लिखने या घोडा दागने की प्रथा को भी उसने उसी तरह से चलने दिया |
उसने अपने लिए दिल्ली के पास ही एक मकबरे का निर्माण करवाया |
गियासुद्दीन तुगलक जब बंगाल अभियान के लिए निकला तो उसने वहां विजय प्राप्त की |
वापस आने के क्रम में उसके पुत्र मुहम्मद बिन तुगलक ने उसके स्वागत के लिए एक लकड़ी का महल बनवाया |
जहाँ पर उसके स्वागत समारोह के दौरान लकड़ी के महल की छत से गिरने के कारण गियासुद्दीन तुगलक की मृत्यु हुई |
मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351) :
अपने पिता गियासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद मुहम्मद बिन तुगलक तुगलक वंश का दूसरा सुल्तान बना |
यह मुहम्मद-बिन-तुगलक एक बहुत ही साम्राज्यवादी और कुशल शासक था | इस ने लगभग 25 वर्षों तक शासन किया |
मुहम्मद बिन तुगलक का असली नाम जूना खां था इसी| जूना खां को उलूग खां की उपाधि दी गयी थी |
सुल्तान बनने के बाद उसका नाम मुहम्मद बिन तुगलक हुआ | इसे इतिहास में एक बुद्धिमान मुर्ख शासक कहा जाता है |
राजधानी परिवर्तन :
मोहम्मद बिन तुगलक ने देवगिरी शहर का नाम बदल कर दौलताबाद किया |
उसने दक्षिण के राज्यों पर अधिकार जमाये रखने के लिए 1326 ई. में अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद परिवर्तित कर दिया |
मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली के सुल्तानों में पहला ऐसा सुल्तान था जिसने उत्तरी और दक्षिणी भारत के मध्य प्रशासनिक और सांस्कृतिक एकता को स्थापित करने के लिए प्रयत्न किया |
दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरी) को राजधानी बनाने का मूल कारण यही था |
और फिर 1335 ई. में इसने अपनी राजधानी वापस दिल्ली परिवर्तित कर लिया |
सांकेतिक मुद्रा का चलन :
मोहम्मद बिन तुगलक ने 1330 ई. में सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन प्रारंभ किया |
उसने सिक्कों में सुधार कर अनेक प्रकार के सिक्के चलवाये |
इसने सोने के सिक्के जारी किये जिसे दोकनी और दीनार नाम के सिक्के चलवाये |
उसके समय में चांदी के सिक्के को टंका या अदली कहा जाता था |
और तांबे के बने हुए सिक्के को जीतल कहा जाता था |
उसकी यह योजना भी असफल रही | क्योकि उसने जो भी सिक्के चलवाये बनवाए |
वहां बहुत ही आसानी से कोई भी बना लेता था |जिससे नकली मुद्रा का चलन बढ़ गया |
और यहाँ सांकेतिक मुद्रा को लेकर जनता में विश्वास कायम नही रख सका और यह योजना भी सफल नही हो सकी |
मोहम्मद बिन तुगलक ने खुरासन और कराचिल पर भी सैनिक आक्रमण किया किन्तु वह इसमें भी असफल रहा |
मोहम्मद बिन तुगलक को कई तरह की भाषाओँ जैसे- अरबी , फारसी का ज्ञान था |
लेकिन फिर भी मोहम्मद-बिन-तुगलक के द्वारा लिए गये इसके कई निर्णयों के विरुद्ध विवाद होते रहे |
और इन विवादों के एवज में कई सारे निर्णय असफल भी हुए |
इन्ही असफलताओ के कारण मोहम्मद बिन तुगलक को पागल बादशाह भी कहा जाता था |
उसने एक कृषि विभाग की स्थापना की | जिसे दीवान-ए-कोही कहा जाता था |
इब्नबतूता :
मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में ही मोरक्को का यात्री इब्नबतूता भारत आया था |
इब्नबतूता मोरक्को का रहने वाला एक निवासी था | मोहम्मद बिन तुगलक ने उसे दिल्ली का काजी इब्नबतूता को नियुक्त किया |
रेहला (Rehla) इब्नबतूता की पुस्तक है | जिसमे उसने मोहम्मद बिन तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन किया |
मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु :
एक विद्रोह को दबाने के लिए मोहम्मद बिन तुगलक को सिंध जाना पड़ा |
और वहां जाते समय वह बीमार पड़ गया | और इसी क्रम में मोहम्मद बिन तुगलक की 1351 ई. में मृत्यु हो गयी |
उस मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद बंदायु ने लिखा “ सुल्तान को उसकी प्रजा से मुक्ति मिल गयी और प्रजा को उसके सुल्तान से मुक्ति मिल गयी| “
फिरोजशाह तुगलक (1351-1388) :
मोहम्मद बिन तुगलक के बाद के मृत्यु के बाद उसका चचेरा भाई फिरोजशाह तुगलक सुल्तान बना |
और इसको कासिम अमीर उल मोमीन की उपाधि दी गयी |
फिरोजशाह तुगलक ने अनेक नये नगरो की स्थापना की |
जिसमे फिरोजाबाद, फतेहाबाद, जौनपुर, फतेहपुर, हिसार आदि प्रमुख हैं |
दिल्ली में फिरोजशाह कोटला दुर्ग का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया |
उसने लोक कल्याण के लिए अनेक नहरों, तालाब और कुआं का निर्माण भी करवाया |
फिरोजशाह तुगलक ने दासों के देखभाल के लिए दीवान–ए–बन्दगान की स्थापना की |
अनाथ मुस्लिम महिलाओं , बच्चो , लडकियों और विधवाओं के आर्थिक सहायता के लिए एक नए विभाग दीवान–ए–खैरात की स्थापना की |
फिरोजशाह तुगलक ने कुतुबमीनार के चौथे मंजिल की मरम्मत करवाई जो बिजली गिरने से नष्ट हो गये थे |
और पांचवे मंजिल का निर्माण करवाया |
उसने एक अनुवाद विभाग का निर्माण करवाया जिसमे उसने सभी भारतीय ग्रंथो का फारसी में अनुवाद करवाया |
फिरोजशाह तुगलक ने अपनी एक आत्मकथा लिखी | जिसका नाम फुतुहात –ए – फिरोजशाही था |
उसके दरबार में एक इतिहासकार बरनी फिरोजशाह के काल में था |
जिसने कई रचनाये की | तारीख – ए – फिरोजशाही , फ़तवा –ए – जहादारी |
1388 ई. में फिरोजशाह तुगलक की मृत्यु हुई |
दिल्ली हौजखास परिसर में फिरोजशाह तुगलक का मकबरा है |
फिरोजशाह तुगलक द्वारा लगाये गये कर :
चार प्रकार के कर वसूलने का आदेश फिरोजशाह तुगलक ने दिया |
खराज (लगान), खम्स ( युद्ध में लूट का माल), जजिया (गैर मुसलमानों पर लगने वाला कर) और जकात (मुसलमानों पर) |
जजिया कर हिन्दू ब्राह्मणों पर लगाया जाने वाला कर था |
किसानो पर शुर्ब (सिंचाई कर) लगाया | फिरोजशाह तुगलक सिंचाई कर लेने वाला सल्तनत काल का यह पहला शासक था |
खम्स कर :- यह युद्ध में लूटा गया धन होता था | जिसका 1/5 भाग रजा को दिया जाता था | और बाकी भाग सेनाओ के पास ही रहता था |
खराज कर :- यह लगान होता था | इसमें कृषि से सम्बंधित कर लिया जाता था जो कि 1/3 से लेकर 1/5 तक कर वसूल किया जाता था |
जजिया कर :- यह एक धर्म से जुड़ा हुआ तरह का धार्मिक कर था जो गैर मुसलमानों यानि हिन्दुओं से लिया जाता था |
जकात कर :- यह कर मुस्लिमो से लिया जाता था |ये उनकी कमाई का 2.5 प्रतिशत होता था |
नसीरुद्दीन महमूद तुगलक (1394-1413) :
यह तुगलक वंश का अंतिम शासक हुआ | इसकी मृत्यु के बाद तुगलक वंश समाप्त हो गया |
और इसके बाद सैय्यद वंश की नींव पड़ी |
फिरोजशाह तुगलक के बाद 2 और शासक हुए किन्तु ये दोनों अयोग्य थे |
- महमूद तुगलक (1388-1394)
- नसीरुद्दीन महमूद तुगलक (1394-1413)
इन दोनो ने सही से शासन नहीं किया | फिरोजशाह तुगलक के बाद ही तुगलक वंश का पतन शुरू हो गया |
Conclusion:
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FAQ:
Ques. 1: तुगलक वंश का अंतिम शासक कौन था?
Ans : तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन महमूद तुगलक (1394-1413) था |
Ques. 2: तुगलक वंश का संस्थापक कौन है?
Ans : तुगलक वंश का संस्थापक गियासुद्दीन तुगलक था |
Ques. 3: पहली बार सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किसने प्रारंभ किया ?
Ans : मोहम्मद बिन तुगलक ने 1330 ई. में सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन प्रारंभ किया |
Ques. 4: फिरोजशाह तुगलक ने कौन कौन से कर लगाये ?
Ans : खराज (लगान), खम्स ( युद्ध में लूट का माल), जजिया (गैर मुसलमानों पर लगने वाला कर) और जकात (मुसलमानों पर) |
Ques. 5: हिन्दू ब्राह्मणों पर कौन सा कर लगाया गया ?
Ans : जजिया कर |
Ques. 6: इब्नबतूता कौन था ? और किसके शासनकाल में भारत आया ?
Ans : इब्नबतूता मोरक्को का यात्री था | मोहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में ही मोरक्को का यात्री इब्नबतूता भारत आया था |
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