पौधों में पोषण, प्रक्रिया, प्रकार, उदहारण, रंध्र- Paudhon Me Poshan

जैसा कि कभी कभी हम सोचते हैं कि क्या पौधों को भी भोजन की आवश्यकता होती है ? पौधे में पोषण कैसे होता है ?

क्या पौधों को भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है ? यदि हाँ तो , पौधों के लिए भोजन कौन बनता है ? क्या पौधे अपना भोजन स्वयं ही बनाते है ?

आइये आज सभी प्रश्नों का उत्तर इस लेख के माध्यम से समझते हैं  कि पौधों में पोषण Nutrition in plants कैसे होता है |

Table of Contents

पौधों में पोषण कैसे होता है Nutrition in plants :

हमे यह समझना होगा कि पौधे भी जीवित होते हैं | उन्हें भी भोजन की आवश्यकता होती है |

पौधों में पोषण Nutrition in plants

सभी प्राणियों की तरह ही पौधों को भी अनेक प्रकार की गतिविधियों जैसे शरीर की वृद्धि, विकास, टूटी फूटी कोशिकाओं की मरम्मत और जैविक प्रक्रियाओं को संपन्न करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है |

तो इसका अर्थ यह हुआ कि पौधे जीवित हैं उन्हें भोजन की आवश्यकता है | अब देखेंगे और जानेंगे पौधों में पोषण Nutrition in plants किस प्रकार से होता है |

पौधों में भोजन बनाने की प्रक्रिया Food making process in plants :

  • हरे पौधों की पत्तियों में कुछ ऐसे पदार्थ होते है जो उनमे भोजन बनाने में मदद करते हैं |
  • पौधों में भोजन का निर्माण प्रकाश संश्लेषण के द्वारा होता है |
  • पौधों में भोजन का उत्पादन या संश्लेषण हरी पत्तियों में होता है |
  • इसलिए पौधों की पत्तियों को भोजन उत्पादन का कारखाना या खाद्य कारखाना या food factories भी कहते हैं |

प्रकाश संश्लेषण में उपयोग होने वाले कच्चे पदार्थ Raw materials used in photosynthesis :

  1. क्लोरोफिल वर्णक – यह पौधों की पत्तियों में पाया जाता है |
  2. कार्बन डाइऑक्साइड – यह वायुमंडल के वायु में उपस्थित होता है |
  3. जल और खनिज – यह मिट्टी में मौजूद होता है | यह पौधों की जड़ो द्वारा अवशोषित कर लिए जाते है |
  4. सूर्य का प्रकाश

प्रकाश संश्लेषण Photosynthesis :

  • हरे पौधे सूर्य की प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरोफिल , कार्बनडाइऑक्साइड, जल का उपयोग कर के भोजन निर्माण करते हैं , इस प्रकिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं |
  • इस प्रक्रिया में मुख्यतः ग्लूकोस बनता है | जो एक कार्बोहाइड्रेट्स या शर्करा है | और ऑक्सीजन मुक्त होता है |
  • कार्बन डाइऑक्साइड + जल +(सूर्य का प्रकाश और क्लोरोफिल) —> कार्बोहाइड्रेट्स + ऑक्सीजन + जल
  • 6CO2 + 12H2O -> C6H12O6 + 6O2 + 6H2O
  • यह कार्बोहाइड्रेट्स या ग्लूकोज वास्तव में मंड या स्टार्च में परिवर्तित हो जाता है |

 सफ़ेद रंग वाले पत्तो में भी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया :

  • हरी पत्तियों के अलावा सफ़ेद या पीले रंग की पत्तियों में भी क्लोरोफिल होता है |
  • इन पत्तियों में मौजूद लाल, धूसर, भूरे, सफ़ेद वर्णक या अन्य वर्णक क्लोरोफिल के हरे रंग को कवर कर देते है |
  • किन्तु इनमे भी क्लोरोफिल की उपस्थिति होती है और इसी के कारण इन सफ़ेद रंग की पत्तियों में भी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है |

पर्ण हरित या क्लोरोफिल Chlorophyll :

पर्ण हरित या क्लोरोफिल Chlorophyll

  • पौधों की हरी पत्तियों में हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट नामक एक संरचना पाई जाती है |
  • इस क्लोरोप्लास्ट में हरे रंग का एक वर्णक पिगमेंट पाया जाता है जिसे पर्ण हरित या क्लोरोफिल कहते हैं |
  • यह सिर्फ पौधों में ही पाया जाता है |

पौधों में प्रकाश संश्लेषण होने का महत्त्व importance of photosynthesis in plants :

  • पेड़ पौधों में प्रकाश संश्लेषण होना आवश्यक है |
  • यदि पौधों में प्रकाश संश्लेषण नहीं होगा तो प्राणियों को खाद्य या भोज्य पदार्थ उपलब्ध नही हो पायेगा |
  • ऐसी स्थिति में इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीव जंतु नष्ट हो जायेंगे |
  • क्यों कि सभी जीवों का अस्तित्व प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों द्वारा बनाये गये भोजन पर ही निर्भर करता है |
  • प्रकाश संश्लेषण के दौरान पौधों के द्वारा भोजन के अलावा सभी जीवों के जीवित रहने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण ऑक्सीजन का भी निर्माण होता है |
  • प्रकाश संश्लेषण की इस प्रक्रिया होते रहने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का संतुलन बना रहता है |
  • इसलिए प्रकाश संश्लेषण की प्रकिया नहीं होने पर इस पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती |

रंध्र (Stomata) :

  • सभी पौधों की पत्तियों की सतह पर छोटे छोटे छिद्र होते हैं | पत्तियों की सतह पर स्थित इन छिद्रों को रंध्र कहते हैं |
  • रंध्र द्वारकोशिकाओ के द्वारा घिरे रहते हैं | ये पत्तियों के ऊपरी और निचली दोनों सतहों पर पाए जाते हैं |

रंध्र (Stomata)

पौधे में पोषण के प्रकार Types of plant nutrition :

  1. स्वपोषण Autotrophic Nutrition
  2. परपोषण या विषमपोषण Heterotrophic Nutrition
  3. परजीवी पोषण Parasitic Nutrition
  4. मृतजीवी पोषण Saprophytic Nutrition
  5. सहजीवी पोषण Symbiotic Nutrition

1)  स्वपोषण Autotrophic Nutrition:

पोषण की वह विधि जिसमे सजीव या प्राणी अपना भोजन स्वयं बनाते है | उस पोषण को स्वपोषण कहते है |

स्वपोषी Autotrophs :
  • पोषण का वह तरीका जिसमें जीव-जन्तु अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। उस पोषण को स्वपोषी कहा जाता है।
  • उदाहरण : शैवाल , इनमे भी क्लोरोफिल पाया जाता है ये भी अपना भोजन स्वयं बनाते हैं |

2) परपोषण या विषमपोषण Heterotrophic Nutrition :

पोषण की वह विधि जिसमे प्राणी या पौधे अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अन्य पौधों अथवा अन्य जन्तुओ पर निर्भर रहते हैं | ऐसे पोषण को परपोषण या विषम पोषण कहते हैं |

परपोषी / विषमपोपोषी (Heterotroph) :
  • ऐसे जीव जो परपोषण की विधि द्वारा अपना भोजन बनाते हैं | अर्थात ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए पौधों या अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं | परपोषी कहलाते हैं |
  • उदाहरण : सभी जीव जंतु |

क्या पौधे भी परपोषी या विषमपोषी होते हैं ?

  • सामन्यतः पौधे तो स्वपोषी होते हैं | लेकिन कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जिनमे क्लोरोफिल नही पाया जाता |
  • इस कारण वे अपना भोजन स्वयं नही बना सकते |
  • वे अपने भोजन के लिए अन्य पौधों द्वारा बनाये गये भोजन पर निर्भर होते हैं | इसलिए उन पौधों को विषमपोषी कहते हैं |

विषमपोषी या परपोषी पौधे (Heterotrophic plants) :

  • अमरबेल का पौधा एक प्रकार का विषमपोषी पौधा है |
  • यह परजीवी पौधा भी है | यह अपना भोजन भोजन स्वयं नहीं बनाता |
  • यह अपना भोजन उस पौधे से प्राप्त करता है जिस पर यह फैला हुआ लिपटा हुआ होता है |

3) परजीवी पोषण (Parasitic Nutrition)

पोषण का वह तरीका जिसमे प्राणी अपना भोजन स्वयं ना बना कर किसी अन्य जीवित प्राणियों के शरीर से प्राप्त करता है उसे परजीवी पोषण कहते हैं |

परजीवी (parasite):
  • इस तरह के परजीवी पोषण से भोजन प्राप्त करने वाले जीवों को परजीवी (parasite) कहते हैं |
  • परजीवी जिस जीव से अपना भोजन प्राप्त करते हैं उन्हें पोषी ( host) कहते हैं |
  • उदाहरण : अमरबेल, रेफ्लेसिया, मिसलटो आदि |
  • जिसमे अमरबेल तथा मिसलटो एक तना परजीवी है | और रेफ्लेसिया एक जड़ परजीवी है |

4) मृतजीवी पोषण (Saprophytic Nutrition) :

पोषण का वह तरीका जिसमे प्राणी या जीव अपना भोजन मृत या मरे हुए एवं विघटित जैविक पदार्थ से प्राप्त करते हैं | वह पोषण  मृतजीवी पोषण कहलाता है |

मृतजीवी (Saprophytes):
  • इस प्रकार से मृतजीवी जीवी पोषण प्रणाली का उपयोग कर अपना भोजन प्राप्त करने वाले जीवों को मृतजीवी (Saprophytes) होता है |

उदाहरण: फफूंद , कुकुरमुत्ता या मशरूम ,कवक |

5) सहजीवी पोषण (Symbiotic Nutrition) :

  • पोषण की वह विधि जिसमे भिन्न भिन्न प्रकार के दो जीव ऐसा सम्बन्ध बनाते हैं जिसमे वे अपना भोजन ,आवास, पोषक तत्व एक दुसरे से साझा कर पोषण प्राप्त करते हैं | इस विधि को सहजीवी पोषण कहते हैं |
सहजीवी सम्बन्ध (Symbiotic Relationship) : 
  • यह एक विशेष प्रकार का सम्बन्ध है जब अलग अलग प्रकार के दो जीव एक दुसरे की मदद करते हुए साथ रहते हैं | और एक दुसरे पर निर्भर रहते हैं |
  • ये अपना आवास एवं पोषक तत्व एक दुसरे की मदद करते हुए साथ बांटते हैं उसे सहजीवी सम्बन्ध कहते हैं |
सहजीवी (Symbiotic):
  • ऐसे जीव जो सहजीवी सम्बन्ध बनाते हुए सहजीवी पोषण प्राप्त करते हैं | ऐसे जीवों को सहजीवी कहा जाता है |

उदाहरण 1) :

  • लाइकेन (Lichen) में दो तरह के सहजीवी रहते हैं जिसमे दोनों सहजीवी स्वपोषी शैवाल (Algae) और मृतजीवी कवक (Fungi) साथ रहते हैं |

Lichen लाइकेन

  • ज्यादातर वृक्षों के तनो पर या पुरानी और नमी युक्त दीवारों पर लाइकेन उगते हैं |
  • लगभग सभी शैवाल में पर्णहरित या क्लोरोफिल मौजूद होता है जबकि कवको में क्लोरोफिल नहीं पाया जाता |
  • ये कवक , शैवाल के लिए रहने का स्थान या आवास , जल और खाद्य पदार्थ तथा पोषक तत्वों कीआपूर्ति कराते हैं |
  • तथा इसके बदले में शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन बना कर कवको को देते हैं |
  • इस प्रकार शैवाल और कवक दोनों सहजीवी सम्बन्ध स्थापित करते हुए सहजीवी पोषण कर एक दुसरे को लाभ पहुचाते हैं |

उदाहरण 2) :

  • फलीदार पौधे और राइजोबियम नामक जीवाणु (बैक्टीरिया) दोनों सहजीवी साथ रहते हैं |
  • कुछ जीवाणु (Bacteria) वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने में सहायक होते हैं |
  • ये जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को विलेय पदार्थो के रूप में बदल देते हैं | राइज़ोबियम एक ऐसा ही जीवाणु है |

राइज़ोबियम जीवाणु (Rhizobium Bacteria):

  • यह एक प्रकार का ऐसा जीवाणु है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को विलेय पदार्थो के रूप में बदल देता है |

राइज़ोबियम जीवाणु (Rhizobium Bacteria)

  • तथा दलहन पौधे की जड़ो में नाइट्रोजन के यौगिक के रूप में आपूर्ति करता है |
  • ये जीवाणु दलहन के पौधे जैसे चना , अरहर , मटर , मूंग , सेम आदि के जड़ो की गाँठ में रहते हैं | तथा नाइट्रोजन की आपूर्ति करते हैं |
  • इस नाइट्रोजन संश्लेषण के बदले में फलीदार पौधे द्वारा राइज़ोबियम जीवाणु को आवास और भोजन खाद्य पदार्थ प्रदान किया जाता है |
  • इसप्रकार दोनों जीवो अर्थात फलीदार पौधे व राइज़ोबियम एक दुसरे से सहजीवी सम्बन्ध स्थापित कर के एक दूसरे को लाभ पहुचाते हैं |
  • इनके सहजीवी संबध का विशेष रूप से महत्त्व है |
  • इनके सम्बन्ध से मिट्टी में दालों की फसल के लिए अलग से उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन देने की आवश्यकता नहीं होती |
  • और अगली फसलो के लिए भी मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन उपस्थित रहता है |

कीटभक्षी पौधा (Insectivorous Plant) :

  • कुछ पौधे कीटभक्षी भी होते हैं | ऐसे पौधे जो कीटों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं | उन्हें कीटभक्षी पौधा कहते हैं |
  • जैसे – घटपर्णी या कलश पौधा (Pitcher plant) , वीनस फ्लाईट्रैप (Venus fly trap), ड्रोसेरा(Drosera), ब्लैडरवर्ट (Bladder Wort) आदि कीटभक्षी पौधें हैं |
  • कीटभक्षी पौधों में क्लोरोफिल उपस्थित रहता है |
  • और वे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन भी बनाते हैं |
  • लेकिन वे कीटों का भक्षण कर अपना भोजन नाइट्रोजन की आपूर्ति के लिए करते हैं |
  • ज्यादातर कीटभक्षी पौधे नाइट्रोजन की कमी वाली जगहों पर पाए जाते हैं | जहाँ की मिट्टी में नाइट्रोजन की अनुपस्थिति या कमी होती है |
घटपर्णी पौधा (Pitcher plant) :
  • घटपर्णी एक विचित्र प्रकार का पौधा है |

घटपर्णी पौधा (Pitcher plant)

  • यह पौधा कीटों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करता है |
  • यह एक कीटभक्षी पौधा है |
  • इसकी संरचना एक घड़े एवं ढक्कन जैसी होती है |
निष्कर्ष:

उम्मीद करते हैं कि आपको यह पौधों में पोषण से सम्बंधित ब्लॉग पोस्ट पसंद आया होगा | इस जानकारी को पढ़ कर इसका लाभ लीजिये और आप अपने दोस्तों के साथ के साथ जरुर शेयर करे | यह पोस्ट पौधों में पोषण कैसे होता है Nutrition in plants  के बारे में था | आप अपने विचार या सुझाव कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं | और हमारे साथ जुड़े रहें |

आपका दिन शुभ हो | धन्यवाद |

FAQ:

Q1) प्रकाश संश्लेषण Photosynthesis क्या है ?

Ans:  हरे पौधे सूर्य की प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरोफिल , कार्बनडाइऑक्साइड, जल का उपयोग कर के भोजन निर्माण करते हैं , इस प्रकिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं |

Q2) राइज़ोबियम जीवाणु क्या है ?

Ans: यह एक प्रकार का ऐसा जीवाणु है जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को विलेय पदार्थो के रूप में बदल देता है | तथा दलहन पौधे की जड़ो में नाइट्रोजन के यौगिक के रूप में आपूर्ति करता है |

Q3) पौधे में पोषण कितने प्रकार से होता है ?

Ans पौधों में पोषण 5 प्रकार से होते हैं | स्वपोषण, परपोषण या विषमपोषण, परजीवी पोषण, मृतजीवी पोषण, सहजीवी पोषण |

Q4) क्या सफ़ेद रंग वाले पत्तो में भी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है ?

Ans: हरी पत्तियों के अलावा सफ़ेद या पीले रंग की पत्तियों में भी क्लोरोफिल होता है | इन क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है |

Q5) पर्ण हरित या क्लोरोफिल क्या है ?

Ans: पौधों की हरी पत्तियों में हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट में हरे रंग का एक वर्णक पिगमेंट पाया जाता है जिसे पर्ण हरित या क्लोरोफिल कहते हैं |

Q6) कीटभक्षी पौधों के नाम बताओ ?

Ans: घटपर्णी या कलश पौधा, वीनस फ्लाईट्रैप, ड्रोसेरा, ब्लैडरवर्ट आदि कीटभक्षी पौधें हैं |

Q7) रंध्र (Stomata) किसे कहते हैं ?

Ans: पौधों की पत्तियों की सतह पर पाए जाने वाले छोटे छोटे छिद्रों को रंध्र कहते हैं |

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