दिल्ली-सल्तनत की कृषि व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था

क्या आप जानते हैं कि दिल्ली पर कितने राजवंशो से शासन किया ? उन्होंने अपने राज्य को सुचारू रूप से चलाने किस तरह से कृषि व्यवस्था का निर्धारण किया | उनकी न्याय व्यवस्था और शासन व्यवस्था कितनी सुदृढ़ थी ?

इस सभी के बारे में आपको इस लेख के माध्यम से जानकारी मिलेगी |

दिल्ली सल्तनत की कृषि व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था की जानकारी
दिल्ली सल्तनत की कृषि व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था की जानकारी

 

आज से लगभग आठ सौ वर्ष से पहले तुर्क मुस्लिम शासकों ने दिल्ली पर आक्रमण कर अपनी सत्ता स्थापित की | उसी समयावधि को ही हम दिल्ली सल्तनत के नाम से जानते हैं |

इस दिल्ली सल्तनत पर जितने भी मुस्लिम शासक हुए उन सभी ने 320 वर्षों तक शासन किया | उनका शासन 1206 ई. से 1526 ई. तक चला| इन 320 वर्षो में पाँच वंशों ने शासन किया |

आइये जानते हैं दिल्ली सल्तनत के शासको ने नाम, उनके द्वारा बनाये गये न्याय, कृषि, राजस्व और शासन व्यवस्था के बारे में |

Table of Contents

दिल्ली सल्तनत की कृषि व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था की जानकारी Information about agricultural system, judicial system, governance system of Delhi Sultanate :

यह दिल्ली सल्तनत भारत पर शासन करने वाले पांच राजवंशो का शासनकाल है |

दिल्ली पर शासन करने वाले पांच राजवंशो में से चार राजवंश मूल रूप से तुर्क मुसलमान थे | जबकि पांचवा राजवंश अफगान थे |

इस शासकों का नियंत्रण इस महाद्वीप के बहुत बड़े  क्षेत्र में फैला हुआ था | इन सभी राजवंशों ने अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार दिल्ली पर कई शताब्दियों तक शासन किया |

इन दिल्ली के सुल्तानों ने अनेक शहर नगर बसाये | इसमें देहली ए कुहना , सीरी और जहाँपनाह नगर प्रमुख थे |

आइये इस लेख के माध्यम से जानते और समझते हैं कि दिल्ली सल्तनत क्या है ?

इसके सभी वंश के शासक  ममलुक/गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद, लोदी, वंश तथा कृषि व्यवस्था,  न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था के बारे में जानकारी लेते हैं |

महमूद गजनवी और मुहम्मद गौरी के आक्रमण Invasion of Mahmud Ghaznavi and Muhammad Ghori:

दिल्ली पर सत्ता स्थापित कर के दिल्ली पर सल्तनत शुरू करने से पहले कई आक्रमण करने वाले शासक थे | जिसमे से महमूद गजनवी और मुहम्मद गौरी भी थे |

आइये इनके बारे में जानते हैं |

  • भारत में आ कर यहाँ की धन संपत्ति को लुटने के लिए भारत  पर कई बार आक्रमण महमूद गजनवी ने भी किये |
  • महमूद गजनवी ने सिंधु नदी के पूर्व में तथा यमुना नदी के पश्चिम में बसे हुए राज्यों पर आक्रमण कर स्म्राज्यों को लगभग 17 बार लूटा |
  • वैसे तो महमूद गजनवी ने लूटपाट तो बहुत बार किया , लेकिन वह अपना साम्राज्य भारत पर स्थापित नहीं कर सका |
  • उसका साम्राज्य पश्चिम पंजाब राज्य तक ही सीमित रहा |
  • महमूद गजनवी के बाद गजनी और हेरात के बीच स्थित गौर शासक शहाबुद्दीन उर्फ़ मोइजुद्दीन मुहम्मद गौरी ने भी भारत पर अनेको बार आक्रमण किये |
  • उसने कई योजनाबद्ध तरीके से हमला करना आरम्भ किया | और फिर उसने इस्लामिक शासन को भारत में बढ़ाना शुरू किया |
  • ताराइन के प्रथम युद्ध (1191 ई.) में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान से हरने के बाद अगले वर्ष ताराइन के दुसरे युद्ध (1192 ई.) में उसने विजय प्राप्त की |
  • मुहम्मद गौरी ने भारत के विजित या जीते गये प्रदेशो का शासन सत्ता अपने गुलाम सेनापतियों को सौंप कर गजनी वापस लौट गया |
  • 1206 ई. में मुहम्मद गौरी की मृत्यु हो गयी | उसके बाद उसके गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्वतंत्र रूप से दिल्ली के शासन की बागडोर संभाली | और दिल्ली पर सत्ता स्थापित किया
  • वह दिल्ली का सुलतान बना | इस प्रकार दिल्ली सल्तनत Delhi Sultanate की नींव पड़ी |

दिल्ली सल्तनत के प्रमुख शासक Major rulers of Delhi Sultanate:

ये शासकों के नाम निम्नलिखित है |

1) ममलुक वंश Mamluk dynasty (1206-1290)
  • कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210)
  • इल्तुतमिश (1211-1236)
  • रजिया (1236-1240)
  • नसीरुद्दीन महमूद (1246-1266)
  • गयासुद्दीन बलबन (1266-1287)
2) खिलजी वंश Khilaji dynasty (1290-1320)
  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-1296)
  • अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316)
  • कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-1320)
3) तुगलक वंश Tughluq dynasty (1320-1413)
  • गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325)
  • मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351)
  • फिरोज शाह तुगलक (1351-1388)
  • महमूद तुगलक (1388-1394)
  • नसीरुद्दीन महमूद तुगलक (1394-1414)
4) सैय्यद वंश Sayyid dynasty (1414-1451)
  • खिज्र खां (1414-1421)
  • मुबारक शाह (1434-1443)
  • अलाउद्दीन आलम शाह (1443-1451)
5) लोदी वंश Lodi dynasty (1451-1526)
  • बहलोल लोदी (1451-1489)
  • सिकंदर लोदी (1489-1517)
  • इब्राहिम लोदी (1517-1526)

दिल्ली सल्तनत के इतिहास की जानकारी के स्त्रोत Sources of information about the history of Delhi Sultanate:

यहाँ दिल्ली सल्तनत के इतिहास की जानकारी ऐतहासिक साहित्य, अभिलेख, सिक्के, भवन निर्माण कला (स्थापत्य कला) आदि |

ममलुक वंश Mamluk Dynasty (1206-1290):

  • ममलुक एक अरबी भाषा का शब्द है | जिसका अर्थ होता है गुलामी के बंधन से मुक्त माता पिता कि संताने |

कुतुबुद्दीन ऐबक Qutbuddin Aibak (1206-1210) :

  • ममलुक वंश या दास वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था | दिल्ली सल्तनत का यह पहला शासक था |
  • लाहौर कुतुबुद्दीन ऐबक के समय राजधानी  थी |
  • दिल्ली एवं अजमेर में अनेक मस्जिदों का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया |
  • कुतुबमीनार का निर्माण कार्य कुतुबुद्दीन ऐबक ने आरम्भ कराया |
  • कुतुबुद्दीन ऐबक को लाल बख्श ( लाखो का दान देने वाला ) भी कहा जाता था |
  • चौगान (पोलो) खेलते समय घोड़ा से गिर कर 1210 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हुई |

इल्तुतमिश Iltutmish (1211-1236) :

  • कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद दिल्ली का सुलतान इल्तुतमिश बना |
  • इल्तुतमिश ने सुदृढ़ शासन स्थापित करने और चलाने के चुनौतियों के लिए चालीस दासों का एक संगठन तुर्कान ए चाहगानी बनाया |
  • तुर्कान ए चाहगानी को चालीसा दल कहा जाता था |
  •  इक्तादारी व्यवस्था भी इल्तुतमिश ने चलाई | इक्ता राज्य की छोटी इकाई होती थी |
  • सर्वप्रथम अरबी सोने के सिक्के इल्तुतमिश ने चलवाया |
  • इल्तुतमिश ही एक ऐसा सुलतान था जिसने पहली बार दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया था |

रजिया सुलतान Razia Sultan (1236-1240) :

  • इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उसका अयोग्य पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज दिल्ली की गद्दी पर बैठा | लेकिन उसके योग्यता के कारण रजिया को सुल्तान की गद्दी मिली |
  • दिल्ली प्रथम और अंतिम महिला शासिका रजिया थी |
  • रजिया पुरुषो द्वारा धारण किये जाने वाले काबा कुर्ता और कुलाह पगड़ी को पहना |

बलबन Balban (1266-1287) :

  • बलबन ने चालीसा दल (Chalisa Dal.) का दमन किया |
  • उसने लौह और रक्त की निति (policy of iron and blood) अपनाई |
  • ईरानी त्यौहार नौरोज (Nowruz, an Iranian festival) उत्सव मानाने की शुरुआत बलबन ने की |
  • राज दरबार में (sijda) सिजदा (लेटकर नमस्कार करना) और (pybos) पैबोस (पांव का चुम्बन लेना) नामक ईरानी प्रथा की शुरुआत भी बलबन ने की |

खिलजी वंश Khilaji Dynasty (1290-1320) :

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी Jalaluddin Firoz Khilaji (1290-1296) :

  • खिलजी वंश का संस्थापक फिरोज खिलजी (Firoz Khilji) था |
  • फिरोज खिलजी ने सत्ता पर अधिकार करने के बाद (the title of Jalaluddin) जलालुद्दीन की पदवी धारण की |
  • उसने 1290 ई. से 1296 ई. तक शासन किया |

अलाउद्दीन खिलजी Alauddin Khilaji (1296-1316) :

  • खिलजी वंश का दूसराशासक अलाउद्दीन खिलजी ने 20 वर्षों तक शासन किया |
  • वह एक दूरदर्शी शासक था | उसने सबसे पहले गुजरात , मालवा और राजपुताना पर अधिकार किया |
  • सर्वप्रथम इसने दोआब पर लगान की डर में वृद्धि की |
  • अलाउद्दीन पहला शासक था जिसने सैनिको का हुलिया लिखने और घोड़ा दागने की प्रथा की शुरुआत की |
  • कुतुबमीनार के पास अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया |
  • अलाउद्दीन खिलजी ने बाज़ार नियंत्रण के लिए दीवान-ए-रियासत , शाहना-ए-मंडी और बरीद जैसे पदों का सृजन किया |
  • बरीद (Barid) प्रत्येक बाज़ार का निरिक्षण करता था |
  • शाहना-ए-मंडी बाजार का अधीक्षक होता था |
  • दीवान-ए-रियासत बाज़ार एवं व्यापारियों पर पूरा नियंत्रण रखता था |

तुगलक वंश Tughluq dynasty (1320-1413) :

दिल्ली सल्तनत के तुगलक वंश के शासक निम्नलिखित हैं |

गियासुद्दीन तुगलक Ghiyasuddin Tughlaq (1320-1325) :

  • तुगलक वंश की नींव गियासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई. में डाली |
  • इसने पांच वर्षो तक शासन किया |

मुहम्मद बिन तुगलक Muhammad bin Tughlaq (1325-1351) :

  • तुगलक वंश का दूसरा शासक मुहम्मद बिन तुगलक था |
  • इसने लगभग ढाई दशक तक शासन किया |
  • सांकेतिक मुद्रा (Symbol currency) का प्रचलन मुहम्मद बिन तुगलक ने किया |
  • इसके शासनकाल में मोरक्को का यात्री इब्नबतूता भारत आया |
  • इसने दीवान ए अमीर कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की |
  • मुहम्मद बिन तुगलक अरबी , फारसी सहित अनेक भाषाओँ में पारंगत था |

फिरोजशाह तुगलक Firoz Shah Tughlaq (1351-1388) :

  • मोहम्मद बिन तुगलक के बाद फिरोजशाह सुलतान बना |
  • सिंचाई कर लेने वाला यह पहला शासक था |
  • फिरोजशाह तुगलक ने दासों के लिए दीवान ए बंदगान नामक विभाग की स्थापना की |

सैय्यद वंश Sayyid Dynasty (1414-1451) :

दिल्ली सल्तनत के सैय्यद वंश के शासक निम्नलिखित हैं |

खिज्र खां Khizr Khan :

  • तुगलक वंश के बाद दिल्ली पर सैय्यद वंश का शासन प्रारम्भ हुआ |
  • सैय्यद वंश की स्थापना खिज्र खां ने की थी |
  • इसके बाद के सुलतान आपसी लड़ाई में ही उलझे रहे | और इसके बाद लोदी वंश की स्थापना हुई |

लोदी वंश Lodi Dynasty (1451-1526) :

दिल्ली सल्तनत के लोदी वंश के शासक निम्नलिखित हैं |

बहलोल लोदी Bahlol Lodi (1451-1489) :

  • दिल्ली सल्तनत के राजवंशो में लोदी वंश अतिम था |
  • लोदी वंश के नाम से प्रथम अफगान राज्य की स्थापना  बहलोल लोदी ने 1451 ई. में की |
  • बहलोल लोदी ने सर्वाधिक समय लगभग 38वर्षों तक शासन किया |
  • जौनपुर का दिल्ली सल्तनत में विलय उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी |

सिकंदर लोदी Sikandar Lodi (1489-1517):

  • निजाम खां सिकंदर लोदी का वास्तविक नाम था |
  • बहलोल लोदी के मृत्यु के बाद सिकंदर लोदी 1489 ई. में दिल्ली का सुलतान बना |
  • उसने भूमि की माप के लिए गज ए सिकंदरी नामक प्रमाणिक माप का प्रारम्भ किया |
  • सिकंदर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की | सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली में है |

इब्राहिम लोदी Ibrahim Lodi (1517-1526) :

  • सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहिम लोदी 1517 ई. में दिल्ली का सुल्तान बना |
  • लोदी वंश का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी (Ibrahim Lodi) था |
  • उसके समय में 1526 ई. में पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर तथा इब्राहिम लोदी के मध्य हुआ था | जिसमे बाबर ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया |
  • इसके बाद से ही दिल्ली सल्तनत का अंत हुआ | और नए राजवंश मुग़ल वंश की नींव पड़ी |

दिल्ली सल्तनत का विस्तार Expansion of the Delhi Sultanate:

  • इन दिल्ली सल्तनत के शासकों ने समय-समय पर अपनी सीमा का विस्तार किया |
  • 13वीं सदी के आरंभिक वर्षों में दिल्ली सल्तनत का क्षेत्र विस्तृत नहीं था |
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने साम्राज्य के विस्तार के लिए बंगाल , बिहार और ग्वालियर पर अधिकार किया |
  • वहां के क्षेत्र के विस्तार में अनेक कठिनाइयाँ भी थी |
  • दिल्ली से दूर बंगाल और सिंध तक के प्रान्तों पर नियंत्रण बहुत ही कठिन था |
  • कई शासकों द्वारा बगावत , युद्ध और ख़राब मौसम भी दिल्ली सल्तनत के अधीनस्थ राज्यों का संपर्क टूट जाता था |
  • अफगान की तरफ से आक्रमण होने की आशंका भी बनी रहती थी |
  • बाद के दिनों में साम्राज्य का विस्तार मुख्य रूप से गियासुद्दीन बलबन , अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में किया गया |
  • सल्तनत काल में आरिज (सैन्य विभाग) की स्थापना सर्वप्रथम बलबन ने की | उसने आतंरिक विद्रोहों का दमन किया |
  • अलाउद्दीन खिलजी के समय में दिल्ली सल्तनत का प्रसार दक्षिण भारत तक हो गया |
  • अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का श्रेय मालिक काफूर को जाता है |
  • मालिक काफूर ने देवगिरी , तेलंगाना , द्वार समुद्र एवं पाण्ड्य (मदुरै) में सुल्तान को जीत दिलायी |
  • मुहम्मद बिन तुगलक ने भी उत्तरी और दक्षिणी भारत के मध्य प्रशासनिक और सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया |

दिल्ली सल्तनत की सेनाओं की व्यवस्था Arrangement of armies of Delhi Sultanate:

  • शुरुआत में दिल्ली सल्तनत के सेनाओं की शुरूआती व्यवस्था अपेक्षाकृत काफी कमज़ोर थी |
  • लेकिन डेढ़ सौ वर्ष बाद मुहम्मद बिन तुगलक के राज्यकाल के अंत तक इस उपमहाद्वीप का एक विशाल क्षेत्र इसके युद्ध अभियान के अंतर्गत आ चुका था |
  • मुहम्मद बिन तुगलक ने शत्रुओं की सेनाओं को पराजित किया | और नगरो शहरों पर कब्ज़ा किया |
  • इनके सूबेदार और प्रशासक मुकदमों में फैसला सुनते थे | और साथ ही साथ किसानों से कर वसूलते थे |
  • अपनी सल्तनत को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले इल्तुतमिश ने सामंतों और जमींदारों के स्थान पर अपने विशेष गुलामो को सूबेदार नियुक्त किया |
  • इनके गुलामो को फारसी में बंदगाँ कहा जाता था | तथा इन्हें सैनिकों की सेवा के लिए ख़रीदा जाता था |
  • सल्तनत की सुरक्षा और स्थायित्व को बनाये रखने के लिए ये सैनिक शक्ति पर निर्भर था | इसी कारण सुल्तानों ने राजस्व का अधिकांश भाग सेना पर खर्च किया |

दिल्ली सल्तनत की मस्जिद मीनारें और शहर Mosque Minarets and City of Delhi Sultanate:

  • 12वीं सदी के आखिरी दशक में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद तथा उसकी मीनारें बनी |
  • जामा मस्जिद दिल्ली के सुल्तानों द्वारा बसाये गये सबसे प्रथम शहर में स्थित है | इस शहर को देहली-ए-कुहना शहर कहा गया है |
  • उसके बाद में इस मस्जिद का इल्तुतमिश और अलाउद्दीन खिलजी ने और भी अधिक विस्तार किया |
  • मीनारें तीन सुल्तानों कुतुबुद्दीन ऐबक , इल्तुतमिश और फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाई गयी |
  • बेगमपुरी मस्जिद :- यह मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली में उसकी नयी राजधानी जहांपनाह की मुख्य मस्जिद के तौर पर बनाई गयी थी |
  • मोठ की मस्जिद :- यह मस्जिद सिकंदर लोदी के शासनकाल में उसके मंत्री द्वारा बनवाई गयी थी |

दिल्ली सल्तनत की शासन व्यवस्था Administration of Delhi Sultanate:

  • राज्य में शासन व्यवस्था बनाये रखने के लिए किसी भी शासकों को बड़ी ही चुनौतयों का सामना करना पड़ता था |
  • सल्तनत के प्रारंभिक काल में प्रांतों का स्वरुप निश्चित नहीं था |
  • जो क्षेत्र जीत लिए गये थे या आधा जीते गये थे | उन क्षेत्रों को अमीरों में बाँट दिया जाता था |
  • इन अमीरों का कार्य उन क्षेत्रो को जीत कर उन पर नियंत्रण स्थापित करना था |
  • उनके क्षेत्रो को इक्ता कहा जाता था | और अमीरों को मुक्ती या वली कहा जाता था |
  • जब सल्तनत में स्थायित्व आने लगा तब सुल्तान स्वयं ही नए नए क्षेत्रो प्रदेशों को जीतते थे |
  • और उन जीते गये प्रदेशों को क्षेत्रो में विभाजित कर अमीरों को नियुक्त कर दिया जाता था |
  • सुल्तान इन अमीरों को एक क्षेत्र से दुसरे क्षेत्र में स्थानातरित भी करते रहते थे |
  • 14वीं शताब्दी में प्रान्तों को उपखंडों में विभाजित किया जाता था | जिन्हें शिक कहा जाता था |
  • तथा इसका मुख्य अधिकारी शिकदार कहा जाता था |
  • कुछ समय के बाद शिकों को परगना उपखण्डों में विभाजित किया गया | जो कई गाँवों का समूह होता था |
  • जब सल्तनत का पतन होने लगा तब शिक को सरकार कहा जाने लगा | और परगने को शिक कहा जाने लगा |
  • परगना महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई होती थी क्योकि इस स्तर पर प्रशासन और जनता के बीच नजदीक का संपर्क था |

दिल्ली सल्तनत कालीन अधिकारी Delhi Sultanate Officers:

इक्ता :- वह भूमि जो सैनिकों को वेतन के रूप वेतन के बदले दिया जाता था |

आमिल (Amil) :- शिकदार

मुशरिफ (Mushrif) :- अमीन

मुखिया (Chief) :- मुकद्दम

साहिब-ए-दीवान (Sahib-e-Diwan) :- राजस्व अधिकारी

दिल्ली सल्तनत कालीन न्याय व्यवस्था Delhi Sultanate’s judicial system:

सल्तनत काल में कई सुल्तानों के द्वारा अलग अलग प्रकार की न्याय व्यवस्था बनाया गया | आइये इसके बारे में जानते और समझते हैं |

  • दिल्ली सल्तनत काल में न्याय प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी सुल्तान होता था | उस का मुख्य कर्तव्य इस्लामिक कानून शरीयत को लागु करना और उसी के अनुसार न्याय करना था |
  • प्रशासन को सही तरीके से चलाने के लिए सुल्तान की सहायता के लिए एक मुख्य न्यायधीश होता था | जो  दीवान-ए-कजा कहलाता था |
  • सुल्तान सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध में हुई शिकायतों पर सुनवाई के लिए वह जिस न्यायालय में बैठता था, वह दीवान-ए-मजालिम कहा जाता था |
  • न्याय व्यवस्था की यह अदालत सप्ताह में दो बार लगती थी और मुख्य काजी उसकी सहायता किया करता था |
  • आम तौर पर दीवानी और फौजीदारी मुकदमों का निर्णय काजी-ए-मुमालिक या मुख्य काजी करता था | प्रांतों एवं नगरो में कई काजी नियुक्त किये जाते थे |
  • सल्तनत काल में काजी और मुफ्ती का पद वंशानुगत होता था | न्यायालयों में कानून की व्यवस्था करने के लिए विधि विशेषज्ञ (Legal experts)मुफ्ती (mufti) होते थे |
  • दिल्ली सल्तनत के काल में दंड की प्रक्रिया काफी कठोर होती थी | अन्गविच्छेद (यानि शरीर से अंगों को काट कर अलग कर देना) और मृत्यु दंड भी दिया जाता था |

दिल्ली सल्तनत में भू नियंत्रण या कृषि व्यवस्था और भूराजस्व व्यवस्था :

  • इस सल्तनत में भूमि नियंत्रण, कर की व्यवस्था और कृषि व्यवस्था किसानों को दयनीय स्थिति में ले आई थी |
  • यहाँ पर कृषि और कर या लगान देने की व्यवस्था शरियत के अनुसार की गयी थी |
  • कृषि से होने वाली आय दिल्ली सल्तनत की एक प्रमुख उपलब्धि थी | इसलिए इससे सम्बंधित राजस्व व्यवस्था की गयी थी |
  • बटाई, मसाहत और मुक्ताई जैसी कर व्यवस्था बनाई गयी थी |
  • जिसमे बटाई व्यवस्था में खेत बटाई, लंक बटाई और राशि बटाई जैसी व्यवस्था की गयी थी |
  • खेत बटाई में कर वसूली करने वाले अधिकारी खेत में लगी फसल को देख कर उपज का अनुमान लगा कर कर तय किया जाता था |
  • लंक बटाई में फसल कटने के बाद भूसा और अनाज सहित गठरी का बटवारा कर के कर किये जाते थे |
  • राशि बटाई में फसल कटाई हो जाने बाद भूसे से अनाज को निकालने के बाद राजस्व तय किया जाता था |
  • वहां उस काल में किसानो को बलाहार कहा जाता था | उसको उपज का एक तिहाई भाग देना पड़ता था |
  • कई बार उपज का आधा हिस्सा भी राजस्व के रूप में देना पड़ता था | इस तरह के राजस्व देने के कारण किसानों की स्थिति बहुत दयनीय हो गयी थी |
  • मुकद्दम तथा छोटे जमींदार साधारण किसानों का शोषण किया करते थे |

दिल्ली सल्तनत में भू नियंत्रण के जमीन का विभाजन Division of land control in Delhi Sultanate:

सल्तनत काल में भूमि के नियंत्रण के लिए जो व्यवस्था की गयी थी वो इसप्रकार हैं |

  • दिल्ली सल्तनत काल में सामान्यतः जमीन को तीन वर्गों में विभाजित किया गया था |

1) इक्ता जमीन, 2) खालसा जमीन और 3) इनाम जमीन (मदद-ए-माशा या वक्फ जमीन) |

  • इक्ता जमीन (Iqta land) :– यह जमीन अधिकारीयों को इक्ता के रूप में मिली जमीन होती थी |
  • खालसा जमीन ( Khalsa land) :- यह जमीन सीधे तौर पर सुल्तान के अधीन जमीन होती थी | तथा जहाँ का राजस्व दरबार तथा राजा के अन्य खर्च को चलने में उपयोग होता था |
  • वक्फ जमीन (Inam land or Madad-e-Masha or Waqf land) :- यह जमीन धार्मिक व्यक्ति या संस्था को दी जाने वाली जमीन होती थी |

निष्कर्ष :

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FAQ :

Q1) दिल्ली सल्तनत में कुल कितने वंशो के शासको ने शासन कब से कब तक  किये ?

Ans: दिल्ली सल्तनत में कुल 5 वंशो के शासको ने 1206 ई. से 1526 ई. तक शासन किये |

Q2) दिल्ली सल्तनत की स्थापना  कब और किसने की ?

Ans: दिल्ली सल्तनत की स्थापना ममलुक/ गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206  ई. में की |

Q3) दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासिका कौन थी ?

Ans: दिल्ली सल्तनत कि पहली महिला शासिका रजिया सुलतान थी |

Q4) दिल्ली सल्तनत का पहला शासक कौन था ?

Ans: दिल्ली सल्तनत का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था |

Q5) दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक कौन था ?

Ans: दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी था |

Q6) दिल्ली सल्तनत में सबसे लम्बा कार्यकाल किसका था ? और किसने सबसे अधिक समय तक शासन किया ?

Ans: दिल्ली सल्तनत में सबसे लम्बा कार्यकाल 38 वर्ष बहलोल लोदी का था | उसने 1451 ई. से 1489 ई. तक शासन किया |

Q7) दिल्ली सल्तनत की अधिकारिक और प्रशासनिक भाषा कौन सी थी ?

Ans: दिल्ली सल्तनत की अधिकारिक और प्रशासनिक भाषा फारसी थी |

Q8) दिल्ली सल्तनत के इतिहास के बारे में जानकारी कहाँ से मिलती है ?

Ans :  दिल्ली सल्तनत के इतिहास की जानकारी एतिहासिक साहित्य , अभिलेख , सिक्के और भवन निर्माण या स्थापत्य कला से मिलती है |

Q9) दिल्ली सल्तनत में कौन से सिक्के प्रयोग में लाये जाते थे ?

Ans: दिल्ली सल्तनत में सोना , चांदी और तांबा के सिक्के चलाये गये | इल्तुतमिश ने शुद्ध अरबी सोने के सिक्के चलाया | सोने के सिक्के दोकनी और दीनार नाम से, चांदी का टंका , तांबे का जीतल के सिक्के प्रचलित कराए |

Q10) दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला वाला अफगान वंश कौन था ?

Ans: लोदी वंश |

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  1. ममूलक वंश / गुलाम वंश 1206-1290
  2. खिलजी वंश (Khilaji Dynasty) 1290–1320
  3. तुगलक वंश  Tugalak  dynasty (1320 – 1413)
  4. सैय्यद वंश का पूरा इतिहास Delhi Sultanate  Sayyid dynasty (1414 – 1451)
  5. लोदी वंश का पूरा इतिहास Lodi Dynasty (1451-1526)

 

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