क्या आप जानते हैं कि दिल्ली पर कितने राजवंशो से शासन किया ? उन्होंने अपने राज्य को सुचारू रूप से चलाने किस तरह से कृषि व्यवस्था का निर्धारण किया | उनकी न्याय व्यवस्था और शासन व्यवस्था कितनी सुदृढ़ थी ?
इस सभी के बारे में आपको इस लेख के माध्यम से जानकारी मिलेगी |
![दिल्ली सल्तनत की कृषि व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था की जानकारी](https://alwaysteachyourself.com/wp-content/uploads/2022/09/दिल्ली-सल्तनत-की-कृषि-व्यवस्था-न्याय-व्यवस्था-शासन-व्यवस्था-की-जानकारी.jpg)
आज से लगभग आठ सौ वर्ष से पहले तुर्क मुस्लिम शासकों ने दिल्ली पर आक्रमण कर अपनी सत्ता स्थापित की | उसी समयावधि को ही हम दिल्ली सल्तनत के नाम से जानते हैं |
इस दिल्ली सल्तनत पर जितने भी मुस्लिम शासक हुए उन सभी ने 320 वर्षों तक शासन किया | उनका शासन 1206 ई. से 1526 ई. तक चला| इन 320 वर्षो में पाँच वंशों ने शासन किया |
आइये जानते हैं दिल्ली सल्तनत के शासको ने नाम, उनके द्वारा बनाये गये न्याय, कृषि, राजस्व और शासन व्यवस्था के बारे में |
दिल्ली सल्तनत की कृषि व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था की जानकारी Information about agricultural system, judicial system, governance system of Delhi Sultanate :
यह दिल्ली सल्तनत भारत पर शासन करने वाले पांच राजवंशो का शासनकाल है |
दिल्ली पर शासन करने वाले पांच राजवंशो में से चार राजवंश मूल रूप से तुर्क मुसलमान थे | जबकि पांचवा राजवंश अफगान थे |
इस शासकों का नियंत्रण इस महाद्वीप के बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था | इन सभी राजवंशों ने अपनी योग्यता और क्षमता के अनुसार दिल्ली पर कई शताब्दियों तक शासन किया |
इन दिल्ली के सुल्तानों ने अनेक शहर नगर बसाये | इसमें देहली ए कुहना , सीरी और जहाँपनाह नगर प्रमुख थे |
आइये इस लेख के माध्यम से जानते और समझते हैं कि दिल्ली सल्तनत क्या है ?
इसके सभी वंश के शासक ममलुक/गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैय्यद, लोदी, वंश तथा कृषि व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, शासन व्यवस्था के बारे में जानकारी लेते हैं |
महमूद गजनवी और मुहम्मद गौरी के आक्रमण Invasion of Mahmud Ghaznavi and Muhammad Ghori:
दिल्ली पर सत्ता स्थापित कर के दिल्ली पर सल्तनत शुरू करने से पहले कई आक्रमण करने वाले शासक थे | जिसमे से महमूद गजनवी और मुहम्मद गौरी भी थे |
आइये इनके बारे में जानते हैं |
- भारत में आ कर यहाँ की धन संपत्ति को लुटने के लिए भारत पर कई बार आक्रमण महमूद गजनवी ने भी किये |
- महमूद गजनवी ने सिंधु नदी के पूर्व में तथा यमुना नदी के पश्चिम में बसे हुए राज्यों पर आक्रमण कर स्म्राज्यों को लगभग 17 बार लूटा |
- वैसे तो महमूद गजनवी ने लूटपाट तो बहुत बार किया , लेकिन वह अपना साम्राज्य भारत पर स्थापित नहीं कर सका |
- उसका साम्राज्य पश्चिम पंजाब राज्य तक ही सीमित रहा |
- महमूद गजनवी के बाद गजनी और हेरात के बीच स्थित गौर शासक शहाबुद्दीन उर्फ़ मोइजुद्दीन मुहम्मद गौरी ने भी भारत पर अनेको बार आक्रमण किये |
- उसने कई योजनाबद्ध तरीके से हमला करना आरम्भ किया | और फिर उसने इस्लामिक शासन को भारत में बढ़ाना शुरू किया |
- ताराइन के प्रथम युद्ध (1191 ई.) में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान से हरने के बाद अगले वर्ष ताराइन के दुसरे युद्ध (1192 ई.) में उसने विजय प्राप्त की |
- मुहम्मद गौरी ने भारत के विजित या जीते गये प्रदेशो का शासन सत्ता अपने गुलाम सेनापतियों को सौंप कर गजनी वापस लौट गया |
- 1206 ई. में मुहम्मद गौरी की मृत्यु हो गयी | उसके बाद उसके गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्वतंत्र रूप से दिल्ली के शासन की बागडोर संभाली | और दिल्ली पर सत्ता स्थापित किया
- वह दिल्ली का सुलतान बना | इस प्रकार दिल्ली सल्तनत Delhi Sultanate की नींव पड़ी |
दिल्ली सल्तनत के प्रमुख शासक Major rulers of Delhi Sultanate:
ये शासकों के नाम निम्नलिखित है |
1) ममलुक वंश Mamluk dynasty (1206-1290)
- कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210)
- इल्तुतमिश (1211-1236)
- रजिया (1236-1240)
- नसीरुद्दीन महमूद (1246-1266)
- गयासुद्दीन बलबन (1266-1287)
2) खिलजी वंश Khilaji dynasty (1290-1320)
- जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290-1296)
- अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316)
- कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-1320)
3) तुगलक वंश Tughluq dynasty (1320-1413)
- गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325)
- मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351)
- फिरोज शाह तुगलक (1351-1388)
- महमूद तुगलक (1388-1394)
- नसीरुद्दीन महमूद तुगलक (1394-1414)
4) सैय्यद वंश Sayyid dynasty (1414-1451)
- खिज्र खां (1414-1421)
- मुबारक शाह (1434-1443)
- अलाउद्दीन आलम शाह (1443-1451)
5) लोदी वंश Lodi dynasty (1451-1526)
- बहलोल लोदी (1451-1489)
- सिकंदर लोदी (1489-1517)
- इब्राहिम लोदी (1517-1526)
दिल्ली सल्तनत के इतिहास की जानकारी के स्त्रोत Sources of information about the history of Delhi Sultanate:
यहाँ दिल्ली सल्तनत के इतिहास की जानकारी ऐतहासिक साहित्य, अभिलेख, सिक्के, भवन निर्माण कला (स्थापत्य कला) आदि |
ममलुक वंश Mamluk Dynasty (1206-1290):
- ममलुक एक अरबी भाषा का शब्द है | जिसका अर्थ होता है गुलामी के बंधन से मुक्त माता पिता कि संताने |
कुतुबुद्दीन ऐबक Qutbuddin Aibak (1206-1210) :
- ममलुक वंश या दास वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था | दिल्ली सल्तनत का यह पहला शासक था |
- लाहौर कुतुबुद्दीन ऐबक के समय राजधानी थी |
- दिल्ली एवं अजमेर में अनेक मस्जिदों का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया |
- कुतुबमीनार का निर्माण कार्य कुतुबुद्दीन ऐबक ने आरम्भ कराया |
- कुतुबुद्दीन ऐबक को लाल बख्श ( लाखो का दान देने वाला ) भी कहा जाता था |
- चौगान (पोलो) खेलते समय घोड़ा से गिर कर 1210 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हुई |
इल्तुतमिश Iltutmish (1211-1236) :
- कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद दिल्ली का सुलतान इल्तुतमिश बना |
- इल्तुतमिश ने सुदृढ़ शासन स्थापित करने और चलाने के चुनौतियों के लिए चालीस दासों का एक संगठन तुर्कान ए चाहगानी बनाया |
- तुर्कान ए चाहगानी को चालीसा दल कहा जाता था |
- इक्तादारी व्यवस्था भी इल्तुतमिश ने चलाई | इक्ता राज्य की छोटी इकाई होती थी |
- सर्वप्रथम अरबी सोने के सिक्के इल्तुतमिश ने चलवाया |
- इल्तुतमिश ही एक ऐसा सुलतान था जिसने पहली बार दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया था |
रजिया सुलतान Razia Sultan (1236-1240) :
- इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उसका अयोग्य पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज दिल्ली की गद्दी पर बैठा | लेकिन उसके योग्यता के कारण रजिया को सुल्तान की गद्दी मिली |
- दिल्ली प्रथम और अंतिम महिला शासिका रजिया थी |
- रजिया पुरुषो द्वारा धारण किये जाने वाले काबा कुर्ता और कुलाह पगड़ी को पहना |
बलबन Balban (1266-1287) :
- बलबन ने चालीसा दल (Chalisa Dal.) का दमन किया |
- उसने लौह और रक्त की निति (policy of iron and blood) अपनाई |
- ईरानी त्यौहार नौरोज (Nowruz, an Iranian festival) उत्सव मानाने की शुरुआत बलबन ने की |
- राज दरबार में (sijda) सिजदा (लेटकर नमस्कार करना) और (pybos) पैबोस (पांव का चुम्बन लेना) नामक ईरानी प्रथा की शुरुआत भी बलबन ने की |
खिलजी वंश Khilaji Dynasty (1290-1320) :
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी Jalaluddin Firoz Khilaji (1290-1296) :
- खिलजी वंश का संस्थापक फिरोज खिलजी (Firoz Khilji) था |
- फिरोज खिलजी ने सत्ता पर अधिकार करने के बाद (the title of Jalaluddin) जलालुद्दीन की पदवी धारण की |
- उसने 1290 ई. से 1296 ई. तक शासन किया |
अलाउद्दीन खिलजी Alauddin Khilaji (1296-1316) :
- खिलजी वंश का दूसराशासक अलाउद्दीन खिलजी ने 20 वर्षों तक शासन किया |
- वह एक दूरदर्शी शासक था | उसने सबसे पहले गुजरात , मालवा और राजपुताना पर अधिकार किया |
- सर्वप्रथम इसने दोआब पर लगान की डर में वृद्धि की |
- अलाउद्दीन पहला शासक था जिसने सैनिको का हुलिया लिखने और घोड़ा दागने की प्रथा की शुरुआत की |
- कुतुबमीनार के पास अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया |
- अलाउद्दीन खिलजी ने बाज़ार नियंत्रण के लिए दीवान-ए-रियासत , शाहना-ए-मंडी और बरीद जैसे पदों का सृजन किया |
- बरीद (Barid) प्रत्येक बाज़ार का निरिक्षण करता था |
- शाहना-ए-मंडी बाजार का अधीक्षक होता था |
- दीवान-ए-रियासत बाज़ार एवं व्यापारियों पर पूरा नियंत्रण रखता था |
तुगलक वंश Tughluq dynasty (1320-1413) :
दिल्ली सल्तनत के तुगलक वंश के शासक निम्नलिखित हैं |
गियासुद्दीन तुगलक Ghiyasuddin Tughlaq (1320-1325) :
- तुगलक वंश की नींव गियासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई. में डाली |
- इसने पांच वर्षो तक शासन किया |
मुहम्मद बिन तुगलक Muhammad bin Tughlaq (1325-1351) :
- तुगलक वंश का दूसरा शासक मुहम्मद बिन तुगलक था |
- इसने लगभग ढाई दशक तक शासन किया |
- सांकेतिक मुद्रा (Symbol currency) का प्रचलन मुहम्मद बिन तुगलक ने किया |
- इसके शासनकाल में मोरक्को का यात्री इब्नबतूता भारत आया |
- इसने दीवान ए अमीर कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की |
- मुहम्मद बिन तुगलक अरबी , फारसी सहित अनेक भाषाओँ में पारंगत था |
फिरोजशाह तुगलक Firoz Shah Tughlaq (1351-1388) :
- मोहम्मद बिन तुगलक के बाद फिरोजशाह सुलतान बना |
- सिंचाई कर लेने वाला यह पहला शासक था |
- फिरोजशाह तुगलक ने दासों के लिए दीवान ए बंदगान नामक विभाग की स्थापना की |
सैय्यद वंश Sayyid Dynasty (1414-1451) :
दिल्ली सल्तनत के सैय्यद वंश के शासक निम्नलिखित हैं |
खिज्र खां Khizr Khan :
- तुगलक वंश के बाद दिल्ली पर सैय्यद वंश का शासन प्रारम्भ हुआ |
- सैय्यद वंश की स्थापना खिज्र खां ने की थी |
- इसके बाद के सुलतान आपसी लड़ाई में ही उलझे रहे | और इसके बाद लोदी वंश की स्थापना हुई |
लोदी वंश Lodi Dynasty (1451-1526) :
दिल्ली सल्तनत के लोदी वंश के शासक निम्नलिखित हैं |
बहलोल लोदी Bahlol Lodi (1451-1489) :
- दिल्ली सल्तनत के राजवंशो में लोदी वंश अतिम था |
- लोदी वंश के नाम से प्रथम अफगान राज्य की स्थापना बहलोल लोदी ने 1451 ई. में की |
- बहलोल लोदी ने सर्वाधिक समय लगभग 38वर्षों तक शासन किया |
- जौनपुर का दिल्ली सल्तनत में विलय उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी |
सिकंदर लोदी Sikandar Lodi (1489-1517):
- निजाम खां सिकंदर लोदी का वास्तविक नाम था |
- बहलोल लोदी के मृत्यु के बाद सिकंदर लोदी 1489 ई. में दिल्ली का सुलतान बना |
- उसने भूमि की माप के लिए गज ए सिकंदरी नामक प्रमाणिक माप का प्रारम्भ किया |
- सिकंदर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की | सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली में है |
इब्राहिम लोदी Ibrahim Lodi (1517-1526) :
- सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहिम लोदी 1517 ई. में दिल्ली का सुल्तान बना |
- लोदी वंश का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी (Ibrahim Lodi) था |
- उसके समय में 1526 ई. में पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर तथा इब्राहिम लोदी के मध्य हुआ था | जिसमे बाबर ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया |
- इसके बाद से ही दिल्ली सल्तनत का अंत हुआ | और नए राजवंश मुग़ल वंश की नींव पड़ी |
दिल्ली सल्तनत का विस्तार Expansion of the Delhi Sultanate:
- इन दिल्ली सल्तनत के शासकों ने समय-समय पर अपनी सीमा का विस्तार किया |
- 13वीं सदी के आरंभिक वर्षों में दिल्ली सल्तनत का क्षेत्र विस्तृत नहीं था |
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने साम्राज्य के विस्तार के लिए बंगाल , बिहार और ग्वालियर पर अधिकार किया |
- वहां के क्षेत्र के विस्तार में अनेक कठिनाइयाँ भी थी |
- दिल्ली से दूर बंगाल और सिंध तक के प्रान्तों पर नियंत्रण बहुत ही कठिन था |
- कई शासकों द्वारा बगावत , युद्ध और ख़राब मौसम भी दिल्ली सल्तनत के अधीनस्थ राज्यों का संपर्क टूट जाता था |
- अफगान की तरफ से आक्रमण होने की आशंका भी बनी रहती थी |
- बाद के दिनों में साम्राज्य का विस्तार मुख्य रूप से गियासुद्दीन बलबन , अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में किया गया |
- सल्तनत काल में आरिज (सैन्य विभाग) की स्थापना सर्वप्रथम बलबन ने की | उसने आतंरिक विद्रोहों का दमन किया |
- अलाउद्दीन खिलजी के समय में दिल्ली सल्तनत का प्रसार दक्षिण भारत तक हो गया |
- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का श्रेय मालिक काफूर को जाता है |
- मालिक काफूर ने देवगिरी , तेलंगाना , द्वार समुद्र एवं पाण्ड्य (मदुरै) में सुल्तान को जीत दिलायी |
- मुहम्मद बिन तुगलक ने भी उत्तरी और दक्षिणी भारत के मध्य प्रशासनिक और सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया |
दिल्ली सल्तनत की सेनाओं की व्यवस्था Arrangement of armies of Delhi Sultanate:
- शुरुआत में दिल्ली सल्तनत के सेनाओं की शुरूआती व्यवस्था अपेक्षाकृत काफी कमज़ोर थी |
- लेकिन डेढ़ सौ वर्ष बाद मुहम्मद बिन तुगलक के राज्यकाल के अंत तक इस उपमहाद्वीप का एक विशाल क्षेत्र इसके युद्ध अभियान के अंतर्गत आ चुका था |
- मुहम्मद बिन तुगलक ने शत्रुओं की सेनाओं को पराजित किया | और नगरो शहरों पर कब्ज़ा किया |
- इनके सूबेदार और प्रशासक मुकदमों में फैसला सुनते थे | और साथ ही साथ किसानों से कर वसूलते थे |
- अपनी सल्तनत को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले इल्तुतमिश ने सामंतों और जमींदारों के स्थान पर अपने विशेष गुलामो को सूबेदार नियुक्त किया |
- इनके गुलामो को फारसी में बंदगाँ कहा जाता था | तथा इन्हें सैनिकों की सेवा के लिए ख़रीदा जाता था |
- सल्तनत की सुरक्षा और स्थायित्व को बनाये रखने के लिए ये सैनिक शक्ति पर निर्भर था | इसी कारण सुल्तानों ने राजस्व का अधिकांश भाग सेना पर खर्च किया |
दिल्ली सल्तनत की मस्जिद मीनारें और शहर Mosque Minarets and City of Delhi Sultanate:
- 12वीं सदी के आखिरी दशक में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद तथा उसकी मीनारें बनी |
- जामा मस्जिद दिल्ली के सुल्तानों द्वारा बसाये गये सबसे प्रथम शहर में स्थित है | इस शहर को देहली-ए-कुहना शहर कहा गया है |
- उसके बाद में इस मस्जिद का इल्तुतमिश और अलाउद्दीन खिलजी ने और भी अधिक विस्तार किया |
- मीनारें तीन सुल्तानों कुतुबुद्दीन ऐबक , इल्तुतमिश और फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाई गयी |
- बेगमपुरी मस्जिद :- यह मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली में उसकी नयी राजधानी जहांपनाह की मुख्य मस्जिद के तौर पर बनाई गयी थी |
- मोठ की मस्जिद :- यह मस्जिद सिकंदर लोदी के शासनकाल में उसके मंत्री द्वारा बनवाई गयी थी |
दिल्ली सल्तनत की शासन व्यवस्था Administration of Delhi Sultanate:
- राज्य में शासन व्यवस्था बनाये रखने के लिए किसी भी शासकों को बड़ी ही चुनौतयों का सामना करना पड़ता था |
- सल्तनत के प्रारंभिक काल में प्रांतों का स्वरुप निश्चित नहीं था |
- जो क्षेत्र जीत लिए गये थे या आधा जीते गये थे | उन क्षेत्रों को अमीरों में बाँट दिया जाता था |
- इन अमीरों का कार्य उन क्षेत्रो को जीत कर उन पर नियंत्रण स्थापित करना था |
- उनके क्षेत्रो को इक्ता कहा जाता था | और अमीरों को मुक्ती या वली कहा जाता था |
- जब सल्तनत में स्थायित्व आने लगा तब सुल्तान स्वयं ही नए नए क्षेत्रो प्रदेशों को जीतते थे |
- और उन जीते गये प्रदेशों को क्षेत्रो में विभाजित कर अमीरों को नियुक्त कर दिया जाता था |
- सुल्तान इन अमीरों को एक क्षेत्र से दुसरे क्षेत्र में स्थानातरित भी करते रहते थे |
- 14वीं शताब्दी में प्रान्तों को उपखंडों में विभाजित किया जाता था | जिन्हें शिक कहा जाता था |
- तथा इसका मुख्य अधिकारी शिकदार कहा जाता था |
- कुछ समय के बाद शिकों को परगना उपखण्डों में विभाजित किया गया | जो कई गाँवों का समूह होता था |
- जब सल्तनत का पतन होने लगा तब शिक को सरकार कहा जाने लगा | और परगने को शिक कहा जाने लगा |
- परगना महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई होती थी क्योकि इस स्तर पर प्रशासन और जनता के बीच नजदीक का संपर्क था |
दिल्ली सल्तनत कालीन अधिकारी Delhi Sultanate Officers:
इक्ता :- वह भूमि जो सैनिकों को वेतन के रूप वेतन के बदले दिया जाता था |
आमिल (Amil) :- शिकदार
मुशरिफ (Mushrif) :- अमीन
मुखिया (Chief) :- मुकद्दम
साहिब-ए-दीवान (Sahib-e-Diwan) :- राजस्व अधिकारी
दिल्ली सल्तनत कालीन न्याय व्यवस्था Delhi Sultanate’s judicial system:
सल्तनत काल में कई सुल्तानों के द्वारा अलग अलग प्रकार की न्याय व्यवस्था बनाया गया | आइये इसके बारे में जानते और समझते हैं |
- दिल्ली सल्तनत काल में न्याय प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी सुल्तान होता था | उस का मुख्य कर्तव्य इस्लामिक कानून शरीयत को लागु करना और उसी के अनुसार न्याय करना था |
- प्रशासन को सही तरीके से चलाने के लिए सुल्तान की सहायता के लिए एक मुख्य न्यायधीश होता था | जो दीवान-ए-कजा कहलाता था |
- सुल्तान सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध में हुई शिकायतों पर सुनवाई के लिए वह जिस न्यायालय में बैठता था, वह दीवान-ए-मजालिम कहा जाता था |
- न्याय व्यवस्था की यह अदालत सप्ताह में दो बार लगती थी और मुख्य काजी उसकी सहायता किया करता था |
- आम तौर पर दीवानी और फौजीदारी मुकदमों का निर्णय काजी-ए-मुमालिक या मुख्य काजी करता था | प्रांतों एवं नगरो में कई काजी नियुक्त किये जाते थे |
- सल्तनत काल में काजी और मुफ्ती का पद वंशानुगत होता था | न्यायालयों में कानून की व्यवस्था करने के लिए विधि विशेषज्ञ (Legal experts) व मुफ्ती (mufti) होते थे |
- दिल्ली सल्तनत के काल में दंड की प्रक्रिया काफी कठोर होती थी | अन्गविच्छेद (यानि शरीर से अंगों को काट कर अलग कर देना) और मृत्यु दंड भी दिया जाता था |
दिल्ली सल्तनत में भू नियंत्रण या कृषि व्यवस्था और भूराजस्व व्यवस्था :
- इस सल्तनत में भूमि नियंत्रण, कर की व्यवस्था और कृषि व्यवस्था किसानों को दयनीय स्थिति में ले आई थी |
- यहाँ पर कृषि और कर या लगान देने की व्यवस्था शरियत के अनुसार की गयी थी |
- कृषि से होने वाली आय दिल्ली सल्तनत की एक प्रमुख उपलब्धि थी | इसलिए इससे सम्बंधित राजस्व व्यवस्था की गयी थी |
- बटाई, मसाहत और मुक्ताई जैसी कर व्यवस्था बनाई गयी थी |
- जिसमे बटाई व्यवस्था में खेत बटाई, लंक बटाई और राशि बटाई जैसी व्यवस्था की गयी थी |
- खेत बटाई में कर वसूली करने वाले अधिकारी खेत में लगी फसल को देख कर उपज का अनुमान लगा कर कर तय किया जाता था |
- लंक बटाई में फसल कटने के बाद भूसा और अनाज सहित गठरी का बटवारा कर के कर किये जाते थे |
- राशि बटाई में फसल कटाई हो जाने बाद भूसे से अनाज को निकालने के बाद राजस्व तय किया जाता था |
- वहां उस काल में किसानो को बलाहार कहा जाता था | उसको उपज का एक तिहाई भाग देना पड़ता था |
- कई बार उपज का आधा हिस्सा भी राजस्व के रूप में देना पड़ता था | इस तरह के राजस्व देने के कारण किसानों की स्थिति बहुत दयनीय हो गयी थी |
- मुकद्दम तथा छोटे जमींदार साधारण किसानों का शोषण किया करते थे |
दिल्ली सल्तनत में भू नियंत्रण के जमीन का विभाजन Division of land control in Delhi Sultanate:
सल्तनत काल में भूमि के नियंत्रण के लिए जो व्यवस्था की गयी थी वो इसप्रकार हैं |
- दिल्ली सल्तनत काल में सामान्यतः जमीन को तीन वर्गों में विभाजित किया गया था |
1) इक्ता जमीन, 2) खालसा जमीन और 3) इनाम जमीन (मदद-ए-माशा या वक्फ जमीन) |
- इक्ता जमीन (Iqta land) :– यह जमीन अधिकारीयों को इक्ता के रूप में मिली जमीन होती थी |
- खालसा जमीन ( Khalsa land) :- यह जमीन सीधे तौर पर सुल्तान के अधीन जमीन होती थी | तथा जहाँ का राजस्व दरबार तथा राजा के अन्य खर्च को चलने में उपयोग होता था |
- वक्फ जमीन (Inam land or Madad-e-Masha or Waqf land) :- यह जमीन धार्मिक व्यक्ति या संस्था को दी जाने वाली जमीन होती थी |
निष्कर्ष :
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आपका दिन शुभ हो | धन्यवाद |
FAQ :
Q1) दिल्ली सल्तनत में कुल कितने वंशो के शासको ने शासन कब से कब तक किये ?
Ans: दिल्ली सल्तनत में कुल 5 वंशो के शासको ने 1206 ई. से 1526 ई. तक शासन किये |
Q2) दिल्ली सल्तनत की स्थापना कब और किसने की ?
Ans: दिल्ली सल्तनत की स्थापना ममलुक/ गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में की |
Q3) दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासिका कौन थी ?
Ans: दिल्ली सल्तनत कि पहली महिला शासिका रजिया सुलतान थी |
Q4) दिल्ली सल्तनत का पहला शासक कौन था ?
Ans: दिल्ली सल्तनत का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था |
Q5) दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक कौन था ?
Ans: दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक इब्राहिम लोदी था |
Q6) दिल्ली सल्तनत में सबसे लम्बा कार्यकाल किसका था ? और किसने सबसे अधिक समय तक शासन किया ?
Ans: दिल्ली सल्तनत में सबसे लम्बा कार्यकाल 38 वर्ष बहलोल लोदी का था | उसने 1451 ई. से 1489 ई. तक शासन किया |
Q7) दिल्ली सल्तनत की अधिकारिक और प्रशासनिक भाषा कौन सी थी ?
Ans: दिल्ली सल्तनत की अधिकारिक और प्रशासनिक भाषा फारसी थी |
Q8) दिल्ली सल्तनत के इतिहास के बारे में जानकारी कहाँ से मिलती है ?
Ans : दिल्ली सल्तनत के इतिहास की जानकारी एतिहासिक साहित्य , अभिलेख , सिक्के और भवन निर्माण या स्थापत्य कला से मिलती है |
Q9) दिल्ली सल्तनत में कौन से सिक्के प्रयोग में लाये जाते थे ?
Ans: दिल्ली सल्तनत में सोना , चांदी और तांबा के सिक्के चलाये गये | इल्तुतमिश ने शुद्ध अरबी सोने के सिक्के चलाया | सोने के सिक्के दोकनी और दीनार नाम से, चांदी का टंका , तांबे का जीतल के सिक्के प्रचलित कराए |
Q10) दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला वाला अफगान वंश कौन था ?
Ans: लोदी वंश |
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