प्राणियों और पौधों में नियंत्रण तथा समन्वयन

सभी जीवधारी प्राणी और पौधे अपने चारो ओर वातावरण में परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया दिखाते हैं और सक्रीय रहते हैं |

आज के इस आर्टिकल में आप पौधों और प्राणियों में होने वाले नियंत्रण और समन्वयन के बारे में विस्तार से जानेंगे की पौधों में अनेकों क्रिया को संपन्न करने के लिए नियंत्रण और समन्वयन कैसे होता है |

आइये इस लेख के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं |

पौधे तथा प्राणी नियंत्रण एवं समन्वयन (Control and coordination in animals and plants)

पौधे तथा प्राणी नियंत्रण एवं समन्वयन (Control and coordination in animals and plants) :

पौधे तथा प्राणी (जंतु), दोनों ही, अपने चारो तरफ विविध उद्दीपकों के प्रति प्रतिक्रिया या अनुक्रिया दिखाते हैं |

परन्तु पौधों और प्राणियों में, उद्दीपकों के प्रति प्रतिक्रिया करने का तरीका एक जैसा नहीं होता है | वे

उद्दीपकों के प्रति भिन्न भिन्न तरीकों से प्रतिक्रिया करते हैं |

उदहारण – पौधे प्रकाश की ओर मुड़ते हैं परन्तु प्राणी प्रकाश की ओर नहीं मुड़ते हैं |

जंतुमें अमीबा ओने भोजन के कणों की ओर गति करता है और इसी तरह गति करके भोजन की उपस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करता है |

साधारण गुनगुने जल में अमीबा, समूह में एक साथ इकठ्ठा हो जाते हैं जो गर्मी या ऊष्मा उद्दीपक के प्रति अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हैं |

प्राणी अनेक भिन्न भिन्न तरीकों से उद्दीपकों के प्रति प्रतिक्रिया दिखा सकते हैं | क्योकि उनमे तंत्रिका तंत्र और हार्मोनों वाला अन्तःस्त्रावी तंत्र होता है |

जबकि पौधे उद्दीपकों के प्रति बहुत ही सिमित तरीके से प्रतिक्रिया दिखाते हैं | कारण यह है कि पौधों में तंत्रिका तंत्र नहीं होता है | जिस तरह प्राणियों में होता है |

बाहरी उद्दीपकों के प्रति प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए पौधे केवा हार्मोनों को प्रयोग करते हैं |

प्राणियों में समन्वयन – Coordination in Animal

बहुकोशिकीय प्राणियों (स्पन्जों के अतिरिक्त) में उनके क्रियाकलापों में समन्व तथा उद्दीपनों के प्रति अनुक्रिया दिखाने के लिए तंत्रिका कोशिकाएं या तंत्रिककोशिकाएं नामक विशिष्ट कोशिकाएं होती है |

तंत्रिका कोशिकाओं का बना तंत्र, तंत्रिका तंत्र कहलाता है |

सरल बहुकोशिकिय प्राणियों में समन्वयन केवल तंत्रिका तंत्र द्वारा होता है |

उदहारण – हाइड्रा, एक सरल बहुकोश्कीय प्राणी है |

हाइड्रा का तंत्रिका तंत्र उसके सम्पूर्ण शरीर में फैली हुई तथा एक-दुसरे से जुडी हुई तंत्रिका कोशिकाओं के जाल का बना होता है |

कशेरुकी प्राणी नामक उच्चतर प्राणियों में नियंत्रण तथा समन्वयन तंत्रिका तंत्र के साथ साथ अंतःस्त्रावी तंत्र नामक हार्मोनल तंत्र के द्वारा होता है |

ज्ञानेन्द्रियाँ क्या हैं ?

हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं – आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा |

हम सभी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा अपने चारो ओर के वातावरण से विभिन्न प्रकार की सूचनाएं प्राप्त करते हैं |

ज्ञानेन्द्रियों में ग्राही होते हैं | ग्राही, ज्ञानेन्द्रियाँ में एक कोशिका या कोशिकाओं का समूह होती है |

जो विशेष प्रकार के उद्दीपन या वातावरण में विशेष प्रकार के परिवर्तन जैसे प्रकाश, गर्मी या ऊष्मा, दाब इत्यादि के प्रति संवेदी होते हैं |

ज्ञानेन्द्रियों के प्रकार और कार्य :

भिन्न भिन्न ज्ञानेन्द्रियाँ में विभिन्न उद्दीपनों की पहचान करने के ग्राही होते हैं |

  • प्रकाशग्राही
  • ध्वनिग्राही
  • गंधग्राही / घ्राणग्राही
  • स्वादग्राही
  • ऊष्मा या ताप ग्राही / स्पर्शग्राही
प्रकाशग्राही :
  • आँखों में प्रकाशग्राही, जो प्रकाश की पहचान करने के लिए ग्राही होते हैं |
  • प्रकाशग्राही प्रकाश की पहचान करते हैं | ये
  • आँखों में उपस्थित रहते हैं |
  • आँखें में प्रकाश की पहचान कर सकते हैं |
ध्वनिग्राही :
  • कानों में ध्वनिग्राही होते हैं जो ध्वनि पहचान सकते हैं |
  • ध्वनिग्राही ध्वनि की पहचान करते हैं |
  • ये आतंरिक कानों में उपस्थित होते हैं |
गंधग्राही / घ्राणग्राही :
  • नाक में गंधग्राही होते हैं | जो गंध पहचान सकते हैं |
  • गंधग्राही गंध की पहचान करते हैं |
  • ये नाक में उपस्थित होते हैं |
स्वादग्राही :
  • जीभ स्वादग्राही होते हैं | जो स्वाद पहचान सकते हैं |
  • स्वादग्राही स्वाद की पहचान करते हैं |
  • ये जीभ में उपस्थित होते हैं |
ऊष्मा या ताप ग्राही / स्पर्शग्राही :
  • त्वचा में स्पर्श, दाब, गर्मी अथवा सर्दी और दर्द इत्यादि को पहचानने के लिए ग्राही होते हैं |
  • ऊष्मा या ताप ग्राही गर्मी और सर्दी की पहचान करते हैं | ये त्वचा में उपस्थित  होते हैं |
  • जबकि त्वचा सामान्य प्रकार के ग्राहियों के विशिष्ट नाम भी होते हैं |
  • जैसे – प्रकाशग्राही, ध्वनिग्राही, घ्राणग्राही, स्वादग्राही और ऊष्मा या ताप ग्राही |

उद्दीपक क्या है?

वातावरण में परिवर्तन जिनके प्रति जीव प्रतिक्रिया दिखाते हैं और सक्रीय रहते हैं, उद्दीपक (stimuli) कहलाते हैं |

जीवधारी, उद्दीपकों जैसे – प्रकाश, गर्मी, सर्दी, ध्वनि, गंध, स्वाद, स्पर्श, दाब, जल और गुरुत्व बल, इत्यादि के प्रति अनुक्रिया दिखाते हैं |

उद्दीपक के उदहारण :

जीवों की अनुक्रिया उद्दीपक के प्रति प्रायः उनके शरीर अंग की किसी गति के रूप में होती है |

उदाहरण –

  1.  यदि कोई मनुष्य संयोग से बहुत ही गर्म बर्तन छू लेता है, वह अपने हाथ को गर्म बर्तन से दूर हटा कर प्रतिक्रिया दिखाता है |
  2. उसी प्रकार जब धूप तेज होती है, हम अपनी आँखें बंद कर लेते हैं | इस स्थिति में, प्रकाश उद्दीपक है और हम आँखें बंद करके प्रतिक्रिया करते हैं |
  3. जब हम कुत्ते से दर जाते हैं, हम जितनी तेज भाग सकते हैं दूर भागते हैं | यहाँ डर उद्दीपक है और हम दूर भागकर प्रतिक्रिया दिखाते हैं |
  4. यदि हम केचुए के सुई चुभते हैं, तो केचुआ अपने को खिंच लेता है या पीछे हट जाता है | इस स्थिति में, पीड़ा (सुई चुभने से उत्पन्न) उद्दीपक है | और केचुआ पीछे हटकर प्रतिक्रिया दिखाता है |
  5. सूरजमुखी का फूल हमेसा सूर्य की ओर रहता है | यहाँ पर, सूर्य का प्रकाश उद्दीपक है और सूर्य की ओर मुड़कर सूरजमुखी का फूल प्रतिक्रिया दिखाता है |
  6. हम भोजन करते हैं जब हम भूखे होते हैं और जब हमे ऊर्जा की आवश्यकता होती है | इस स्थिति में, भूख उद्दीपक है और भोजन करके प्रतिक्रिया दिखाते हैं |

उद्दीपन क्या है ?

यह उद्दीपन एक प्रकार की ऊर्जा है | जैसे – प्रकाश, ध्वनि, ऊष्मा, यांत्रिक दाब, इत्यादि |

ग्राही क्या है ? :

ग्राहियों में कोशिकाओं के समूह होते हैं जो उद्दीपक या उद्दीपन द्वारा प्रदान की गयी ऊर्जा के प्रति संवेदनशील होते हैं |

ग्राही पर, उद्दीपक द्वारा की गई ऊर्जा रासायनिक अभिक्रिया को बढ़ाती है

जो उद्दीपन की ऊर्जा को वैद्युत आवेग या तंत्रिका आवेग नामक वैद्युत संकेत में परिवर्तित करती है |

इसलिए, ज्ञानेन्द्रियों में सभी ग्राही आस पास के वातावरण से उद्दीपनों को ग्रहण करते हैं.

और उनके द्वारा संप्रेषित संदेशों को संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा वैद्युत आवेग के रूप में मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क को भेजते हैं |

प्रेरक तंत्रिकाएं क्या होती है ?:

यह प्रेरक तंत्रिकाएं नामक दूसरे प्रकार की तंत्रिकाएं मस्तिष्क और मेरुरज्जु से प्राप्त अनुक्रिया फिर से वैद्युत आवेगों के रूप में संवेदन ग्राहियों को भेजती है |

संवेदनग्राही क्या है ? :

संवेदनग्राही शरीर का एक अंग होता है | जो तंत्रिका तंत्र मेरुरज्जु तथा मस्तिष्क से भेजी गयी सूचनाओं के अनुसार उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया या प्रतिक्रिया दिखा सकता है |

संवेदन ग्राही मुख्यतः हमारे शरीर की पेशियाँ और ग्रंथियां होते हैं |

हमारी सभी पेशियाँ और ग्रंथियां प्रेरक तंत्रिकाओं द्वारा तंत्रिका तंत्र से भेजे गये वैद्युत आवेगों के प्रति अनुक्रिया दिखाती है |

जंतुओं में नियंत्रण और समन्वयन किसके द्वारा होता है ?:

मानवों और जंतुओं में कोई भी क्रियाकलापों के समन्वयन के दो तंत्र होते हैं | ये निम्नलिखित हैं |

1)तंत्रिका तंत्र

2)अन्तःस्त्रावी तंत्र या हार्मोनी तंत्र

मानव प्राणियों में, हमारे सभी क्रियाकलापों जैसे हमारी शारीरिक क्रियाओं, हमारी चिंतन प्रक्रियाओं तथा हमारे भावात्मक व्यवहार के नियंत्रण और समन्वय के लिए तंत्रिका तंत्र और अन्तःस्त्रावी तंत्र एक साथ कार्य करते हैं |

समन्वय के दोनों तंत्र, तंत्रिका तंत्र तथा अन्तःस्त्रावी तंत्र, सुव्यवस्थित ढंग से एक साथ कार्य करने वाले अनेक अंगों के बने होते हैं |

पौधों में समन्वयन और नियंत्रण :

जंतुओं या प्राणियों की भांति, पौधों में तंत्रिका तंत्र तथा संवेदी अंग जैसे – आँख, कान, नाक, आदि तो नहीं होते हैं परन्तु वे फिर भी चीजों को महसूस कर सकते हैं |

पौधे उद्दीपकों जैसे – प्रकाश, गुरुत्व, रसायनों, जल, इत्यादि की उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं और उनके प्रति अनुक्रिया कर सकते हैं |

पौधों में हार्मोनों की क्रिया द्वारा प्रकाश, गुरुत्व, रसायनों और जल, इत्यादि जैसी चीजों का अनुभव कर सकते हैं |

प्रकाश, गुरुत्व, रसायन तथा जल इत्यादि जैसे उद्दिपा वातावरणिक परिवर्तन कहलाते हैं |

पौधे हार्मोनों के प्रयोग द्वारा वातावरणिक परिवर्तनों के प्रति अपने व्यवहार को समन्वित करते हैं |

पौधों में हार्मोनों उस तरह से कार्य नहीं करते हैं | जिस तरह जंतुओं में करते हैं |

अतः पौधों में हार्मोन, पौधे की वृद्धि को प्रभावित करके उनके व्यवहार को समन्वित करते हैं | और पौधे की वृद्धि पर प्रभाव का परिणाम पौधे के किसी अंग जैसे तना अथवा जड़, इत्यादि की गति में हो सकता है |

पादप या पौधों में नियंत्रण :

पौधे अपने कार्यों के समन्वयन के लिए केवल हार्मोनों का उपयोग करते हैं,

जबकि प्राणी या जंतु अपने कार्यों के समन्वयन के लिए तंत्रिका तंत्र और हार्मोनों, दोनों का उपयोग करते हैं |

पौधों में तंत्रिका तंत्र नहीं होता है इसलिए पौधे समन्वयन के लिए केवल हार्मोनों का उपयोग करते हैं |

अतः, विभिन्न उद्दीपकों जैसे प्रकाश, गुरुत्व, रासायनिक पदार्थों, जल और स्पर्श इत्यादि के प्रति पौधों की प्रतिक्रिया अथवा अनुक्रिया हार्मोनों के प्रभाव के कारण होती है |

प्राणी शीघ्र अनुक्रिया कर सकते हैं क्योकि उनमें तंत्रिका तंत्र होता है | पौधे शीघ्र अनुक्रिया नहीं कर सकते हैं क्योकि उनमें तंत्रिका तंत्र नहीं होता है |

पौधे बढ़ते हुए या विकास करते हुए बहुत धीरे- धीरे विभिन्न उद्दीपकों के प्रति अनुक्रिया करते हैं |

इसलिए, अधिकांश कारणों में, उद्दीपक के प्रति पौधे की प्रातक्रिया को तुरंत नहीं देखा जा सकता है |

पौधे पर उद्दीपक के प्रभाव को देखने में प्रायः काफी समय लगता है |

निष्कर्ष :

उम्मीद करते हैं कि आपको यह एजुकेशनल ब्लॉग पोस्ट पसंद आया होगा | इस आर्टिकल में हमने आपको पौधे और जंतुओं द्वारा की जाने वाली क्रिया उनके प्रति प्रतिक्रिया अनुक्रिया के बारे में विस्तार से जाना है | आप इस जानकारी का पूरा से पूरा फायदा उठाये | शेयर करना नहीं भूलें | यह पोस्ट “पौधे तथा प्राणी नियंत्रण एवं समन्वयन (Control and coordination in animals and plants)के बारे में था | आप अपने विचार या सुझाव कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं | और हमारे साथ जुड़े रहें |

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आपका दिन शुभ हो | धन्यवाद |

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