ममलूक वंश / गुलाम वंश के इतिहास बारे में पूरी जानकारी

क्या आप जानते हैं की दिल्ली पर सुल्तानों का शासन कब से प्रारंभ हुआ? और दिल्ली पर कौन कौन राजवंशो ने शासन किया?  इसमें कौन से शासको ने कितने वर्षों तक शासन किया? इन सभी सुल्तानों के बारे में हम इस आर्टिकल में अध्ययन करेंगे |

मामलुक वंश / गुलाम वंश Mamluk Dynasty / Slave Dynasty

इस आर्टिकल में हम दिल्ली के पहले सुल्तान ममलुक वंश या गुलाम वंश  के बारे में जानेंगे |

दिल्ली सल्तनत के ममलूक वंश / गुलाम वंश Mamluk Dynasty / Slave Dynasty:

हमारा देश भारत बहुत ही बड़ा है | इसके अलग अलग क्षेत्रो में अनेक राजवंशो ने शासन किया | और उत्तर भारत में स्थित दिल्ली (नई दिल्ली) जो हमारे देश की राजधानी है |

लगभग 800 वर्षो के पहले तक तुर्क शासको ने दिल्ली पर अपनी सत्ता स्थापित की |

इसे दिल्ली सल्तनत के नाम से जाना और पहचाना जाता है | दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत 1206 ई. से 1526 ई. तक पांच वंशो ने 320 वर्षो तक शासन किया | तो चलिए  इन सभी सुल्तानों के बारे में विस्तार से समझते हैं |

ममलूक वंश / गुलाम वंश Mamluk Dynasty / Slave Dynasty:

  • यह ममलूक एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है गुलामी के बंधन से मुक्त माता पिता की संताने |
  • इस वंश में में कुल 11 शासक हुए | जिसमे से ऐबक, इल्तुतमिश, और बलबन ही दास थे |
  • गजनी और हेरात के मध्य स्थित गौर के शासक शहाबुद्दीन उर्फ़ मोइजुद्दीन मोहम्मद गौरी ने भारत पर कई आक्रमण किये |
  • तराइन के प्रथम युद्ध (1191) में पृथ्वीराज चौहान से हारने के बाद अगले वर्ष उसने तराइन के द्वितीय युद्ध (1192) में विजय प्राप्त की |
  • गौरी भारत के विजय प्राप्त प्रदेशो पर शासन का भार अपने गुलाम सेनापतियों को सौंप कर गजनी लौट आया |
  • 1206 में गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्वतंत्र रूप में दिल्ली के शासन की  बागडोर संभाली |

ममलूक वंश के 11 शासको के नाम Names of 11 rulers of mamluk dynasty: 

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक Qutbuddin Aibak (1206 – 1210)
  2. आरामशाह Aram shah (1210 – 1211)
  3. इल्तुतमिश Iltutmish (1211 – 1236)
  4. रुकनुद्दीन फिरोजशाह Ruknuddin Firoz Shah (1236)
  5. रजिया सुल्तान Razia Sultan (1236 – 1240)
  6. मुईजुद्दीन बहरामशाह Muizzuddin Bahramshah (1240 -1242)
  7. अलाउद्दीन मसूदशाह Alauddin Masudshah (1242 -1246)
  8. नासिरुद्दीन महमूद Nasiruddin Mahmud (1246 -1265)
  9. गयासुद्दीन बलबन Ghiyasuddin Balban (1265 – 1287)
  10. अजुद्दीन कैकुबाद Ajuddin Kaiqubad (1287- 1290)
  11. क्रैयुमर्स Crowmars (1290)

कुतुबुद्दीन ऐबक Qutbuddin Aibak (1206ई. – 1210ई.) :

  • दिल्ली सल्तनत का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था | उसने भारत में ममलूक वंश / दास वंश / गुलाम वंश की स्थापना की |
  • ममलूक वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक को ही माना जाता है | कुतुबुद्दीन ऐबक के समय राजधानी लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) थी | पर मुख्यालय दिल्ली में था |
  • कुतुबुद्दीन ऐबक तुर्क जाति का था |
  • काजी फखरुद्दीन अब्दुल अजीज सूफी ने सबसे पहले ऐबक को ख़रीदा एवं धनुर्विधा और घुड़सवारी की शिक्षा दी |
  • ऐबक कुरान पढता था और उसने कुरान याद कर ली इसलिए वह कुरानख्वा नाम से प्रसिद्ध हुआ |
  • बाद में उसे मुहम्मद गौरी ने खरीद लिया |
  • मुहम्मद गौरी ने उसको अमीर-ए-आखुर (अस्तबल का अधिकारी) के पद पर नियुक्त किया |
  • कुतुबुद्दीन ऐबक गौरी का भरोसेमंद आदमी था इसीलिए मुहम्मद गौरी ने अपने भारत विजित प्रदेशो को ऐबक को सौंप कर गजनी वापस लौट गया |
  • और उसकी मृत्यु के बाद ऐबक ने ममलूक वंश की स्थापना की |
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली एवं अजमेर में मस्जिदों का निर्माण करवाया तथा कुतुबमीनार का निर्माण आरम्भ करवाया |
  • कुतुबमीनार का नाम सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया |
  • दिल्ली में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque) का निर्माण करवाया |
  • अजमेर में अढाई दिन का झोपड़ा का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया |
  • हसन निजामी और फरुख्मुद्दिर, कुतुबुद्दीन ऐबक के दरबार के विद्वान थे |
  • 1210 ई. में चौगान (पोलो) खेलते समय घोडा से गिरकर ऐबक की मृत्यु हुई |
  • कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्श (लाखो का दान देने वाला) भी कहा जाता था |

इल्तुतमिश Iltutmish (1211 – 1236) :

  • कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद एवं बंदायु का गवर्नर (प्रशासक) इल्तुतमिश था |
  • इल्तुतमिश को एक पद दिया गया जिसका नाम आमिर-ए-शिकार दिया गया | इल्तुतमिश इल्बरी जनजाति एवं शम्शी वंश से था |
  • दिल्ली सल्तनत के आरंभिक इतिहास में जो शासक सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, वह है इल्तुतमिश |
  • इसने कुतुबमीनार को बनवा कर पूरा किया |
  • सुदृढ़ शासन व्यवस्था स्थापित करने के लिए इल्तुतमिश के सामने अनेक चुनौतियाँ थी |
  • इन चुनौतियों से निबटने के लिए उसने चालीस दासो का एक संगठन तुर्कान-ए-चहलगानी बनाया जिसे चालीसा-दल कहा जाता था |
  • इल्तुतमिश में इक्तादारी प्रथा चलाई | इक्ता राज्य की सबसे छोटी इकाई होती थी |
  • इक्ता एक प्रकार की भूमि होती थी | जो सैनिक असैनिक अधिकारियो को उनकी सेवाओ के लिए वेतन के रूप में दी जाती थी |
  • इस भूमि से प्राप्त राजस्व (revenue), भूमि प्राप्तकर्ता (इक्ताधारी iqtadhaari) व्यक्ति को प्राप्त होता था |
  • पद समाप्ति या सेवा समाप्ति (after termination of service) के बाद यह भूमि सरकार द्वारा वापस ले ली जाती थी |
  • 1221ई. में इसी के काल में चंगेज खान भारत की सीमा तक आया |
  • सर्वप्रथम शुद्ध अरबी सोने के सिक्के इल्तुतमिश ने चलाया |
  • उसने चांदी का टंका और तांबे का जीतल प्रचलित करवाए |
  • वह दिल्ली को राजधानी बनाने वाला प्रथम सुल्तान था |
  • इल्तुतमिश की मृत्यु 30 अप्रैल 1236 को दिल्ली में हुई | दिल्ली में ही इल्तुतमिश को दफनाया गया |

रजिया सुल्तान Razia Sultan (1236ई. – 1240ई.) :

  • इल्तुतमिश के मृत्यु के बाद उसका पुत्र रुक्न्द्दीन फिरोजशाह सुल्तान बना |
  • रुक्न्द्दीन फिरोजशाह एक अयोग्य शासक था |
  • इस कारण राज्य की पूरी सत्ता उसकी माँ शाह तुर्कान के हाथों में आ गयी |
  • परन्तु कुछ ही समय बाद जन विरोध के कारण रजिया को गद्दी पर बैठने का अवसर मिल गया | और पूरे सत्ता पर अधिकार मिल गया |
  • रजिया दिल्ली की प्रथमअंतिम महिला शासिका थी | रजिया का चार वर्ष का अल्प शासन काल होने पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है |
  • रजिया ने महिला वस्त्र को त्याग कर पुरुषो द्वारा धारण किये जाने वाला काबा (कुरता) और कुलाह (एक प्रकार की पगड़ी) को अपनाया |
  • इस ने सर्वप्रथम तुर्क सामंत वर्ग की शक्ति को तोड़ने का प्रयास किया और गैर तुर्क शासक वर्ग की शक्ति को संगठित करने का प्रयास किया |
  • सामंतो का वर्ग पुरुष प्रधान समाज में एक महिला की सत्ता के आगे सिर झुकाने को तैयार नही था |
  • दूसरी ओर उलेमा के मतानुसार इस्लाम में  महिला को सुल्तान का पद ग्रहण करने की अनुमति नही थी |
  • कुछ इतिहासकार तुर्क सरदारों की महत्वकांक्षा को ही रजिया कि असफलता का कारण मानते हैं |
  • कुछ इतिहासकारों ने रजिया की प्रशंसा की है | इतिहासकार मिन्हाज-उस-सिराज ने लिखा है कि रजिया एक महान शासिका थी |
  • बुद्धिमान, न्यायप्रिय, उदारचित्त और प्रजा की शुभ चिंतक, प्रजापालक और अपनी सेनाओ की कुशल नेत्री थी |
  • उसमे बादशाह होने के सभी गुण मौजूद थे |
  • के. ए. निजामी ने लिखा है कि इस बात से इनकार नही किया जा सकता है कि इल्तुतमिश के उत्तराधिकारीयो में वह सबसे श्रेष्ठ थी |
  • अल्तुनिया ने रजिया से विवाह किया और दिल्ली की ओर प्रस्थान किया|
  • किन्तु मार्ग में कैथल (पंजाब) में डाकुओ के द्वारा 1240 ई. में अल्तुनिया और रजिया कि हत्या कर दी गयी |

मुईजुद्दीन बहरामशाह Muizzuddin Bahramshah (1240 -1242) :

  • रजिया के बाद मुईजुद्दीन बहरामशाह  सुल्तान बना |
  • इसके समय में तुर्क अमीरों को नयाब-ए-मुमलिकत नियुक्त करने का भी अधिकार मिल गया |
  • इनके शासन काल में सुल्तान की शक्ति एवं अधिकार को कम करने के लिए तुर्की अमीरों ने नायब-ए-मूमलिकत पद की रचना की |
  • नायब-ए-मुमलिकत यह पद संरक्षक के समान था जिसके पास सुल्तान के समान शक्ति एवं पूर्ण अधिकार थे।
  • वास्तविक शक्ति और सत्ता (अधिकार) के अब 3 दावेदार (claimants) थे – सुल्तान (Sultan), वजीर (Wazir)और नायब (Naib)।
  • प्रथम नायब-ए-मुमलिकत – मलिक इख्तियारूद्दीन ऐतगीन/आइतिगिन।
  • इसके शासन काल में 1241ई. में मंगोल का आक्रमण (Mongol invasion) हुआ। यह आक्रमण मंगोलों ने किया।
  • वजीर मुहज्जबुद्दीन (Wazir Muhajjabuddin) ने अमीर तुर्कों को सुल्तान के खिलाफ भडका दिया।
  • 1242ई. में बहराम शाह (Bahram Shah) को कैद कर उसकी हत्या कर दी गई।

अलाउद्दीन मसूद शाह Alauddin Masudshah (1242 -1246) :

  • अमीर सरदारों ने सुल्तानों का चुनाव किया और अलाउद्दीन मसूद शाह को शासक बनाया।
  • मसूदशाह (Masud Shah) इल्तुतमिश के पुत्र रूकन्नुद्दीन (Ruknuddin) फिरोजशाह (Firuz Shah) का पुत्र था।
  • बलवन (Balban) और मसूदशाह (Masud Shah) के बीच मतभेद होने लगा |
  • इस वजह से बलबन ने सन 1246 में नासिरूद्दीन को पद बैठने की चाह राखी |
  • इसलिए उसने एक षड़यंत्र रचा एवं सुल्तान को कैद कर लिया।
  • कैद में ही उसकी मृत्यु हो गयी।

नासिरूद्दीन महमूद Nasiruddin Mahmud (1246 -1265) :

  • इल्तुतमिश का पौत्र नासिरूद्दीन महमूद था |
  • वह उदार और मधुर स्वाभाव वाला सुल्तान था |
  • जो टोपियो को सिलकर एवं ‘कुरान की नकल’ कर व उसे बेचकर जीवन का निर्वाह करता था।
  • सन 1249. में बलबन (Balban) ने अपनी बेटी की शादी नासिरूद्दीन (Nasiruddin) से करवा दिया।
  • इसके फलस्वरूप सुल्तान ने बलबन को 1249ई. में उलुगाखां और नायब-ए-मामलिकात (Naib-e-Mamlikat) का पद दिया।
  • वह  सिर्फ नाम का सुल्तान था। जिसकी सारी शक्ति (All the power) एवं अधिकार (authority) चालीस तथा बलबन के पास थे।
  • नासिरूद्दीन महमूद की 1266 ई. में अचानक मृत्यु हो गयी |

गियासुद्दीन बलबन Ghiyasuddin Balban (1266-1286ई.) :

  • नासिरूद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद गयासुद्दीन बलबन शासक बना।
  • गियासुद्दीन बलबन के बचपन का नाम बहाऊदीन था।
  • बलबन ने सुल्तान की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए और अपने विरोधियो के दमन के लिए लौह एवं रक्त की निति अपनायी |
  • इसने अपने आप को नियामत-ए-खुदाई अर्थात पृथ्वी पर ईश्वर की छाया बताया कि मैं ईश्वर का प्रतिबिम्ब हूं।
  • उनके अनुसार, सुल्तान पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि (the representative of God on earth) है।
  • उसने ईरानी त्यौहार नौरोज उत्सव मानना शुरू किया | उसने राजदरबार में सिजदा एवं पैबोस नामक ईरानी प्रथा की शुरुआत की |
  1. सिजदा – लेटकर नमस्कार करना
  2. पैबोस – पांव का चुम्बन लेना

कैकुवाद Crowmars (1287-1290ई.) :

  • बलबल ने अपने पौत्र कैखुसरो/कायखुसरो को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया |
  • परन्तु बलबन की मृत्यु के बाद तुर्क अमीर फिर सक्रिय हो गए तथा कैखुसरो के स्थान पर कैकुबाद को सुल्तान मनोनीत किया।
  • इसप्रकार बलबन का उत्तराधिकारी उसके छोटे बेटे बुगरा खां का पुत्र कैकुबाद हुआ।
  • इस नए सुल्तान ने मुइजुद्दीन कैकुबाद की उपाधि धारण की।
  • यह बहुत विलासी प्रवृत्ति का था इसका फायदा कोतवाल फखरूद्दीन का दामाद निजामुद्दीन ने उठाया तथा सत्ता हस्तगत करना चाहा।
  • बुगरा खां के समझाने पर कैकुवाद ने निजामुद्दीन को विष देकर मरवा दिया।

कायूमार्स Kayomars (1290ई.)

  • कैकुबाद के अपंग होने पर उसके तीन वर्षीय पुत्र क्यूमर्श को सुल्तान बनाया गया। क्यूमर्श का संरक्षक जलालुद्दीन खिलजी को बनाया गया। नये सुल्तान को शम्मसुद्दीन कायूमार्स की उपाधि दी गई।
  • क्यूमर्स (Qumars) गुलाम वंश (Ghulam dynasty) का अन्तिम सुल्तान था।
  • गुलाम वंश (slave dynasty) में कुल 11 सुल्तानों ने शासन किया।
  • 1290 ई. में जलालुद्दीन खिलजी ने कैकुबाद और कम्युर को मार डाला और खिलजी वंश की नींव रखी|

निष्कर्ष: 

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह एजुकेशन ब्लॉग पोस्ट पसंद आया होगा | आप इस जानकारी का पूरा से पूरा फायदा उठाये | शेयर करना ना भूलें | यह पोस्ट “ममलूक वंश / गुलाम वंश के इतिहास बारे में पूरी जानकारी” के बारे में था | आप अपने विचार या सुझाव कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं | और हमारे साथ जुड़े रहें |

आपका दिन शुभ हो | धन्यवाद |

 

Related Post:

 

Leave a Comment