ईंधन (Fuel) क्या है? परिभाषा, प्रकार, विशेषता, उदहारण, वर्गीकरण

Fuel What is Fuel? Definition, Types, Characteristics, Examples, Classification

सभी ज्वलनशील पदार्थ ईंधन होते हैं | ईंधन के द्वारा हमे ऊष्मा ऊर्जा प्राप्त होता है | जिसका उपयोग घरेलु कार्यों, फैक्ट्री, उद्योगों में किया जाता है | आज के समय में कई प्रकार के ईंधन का प्रयोग किया जाता है | जैसे – नाभकीय ईंधन, इलेक्ट्रिकल ईंधन आदि |

हमारे देश को सुचारू रूप से प्रगति करने के लिए और सुचारू रूप से चलाने के लिए कल-कारखाने, उद्योग की स्थापना और अद्योगिकीकरण होना अनिवय है | और इस सभी प्रोसेस की चलाने के लिए मुख्य रूप से ईंधन की आवश्यकता होती है | ईंधन की उपयोगिता हमारे दैनिक जीवन और औद्योगिकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है |

ईंधन से ऊष्मा प्राप्त होती है | ऊष्मा ऊर्जा का रूप है और इस ऊर्जा की मांग बढती जा रही है | इस ऊर्जा की पूर्ति के लिएय कई प्रकार के ईंधन खोजे जा रहे हैं कई ईंधन विक्सित किये जा रहे हैं |

आज इस लेख के माध्यम से हम ईंधन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे |

Table of Contents

ईंधन क्या है ? (What is Fuel?) :

वह पदार्थ जो हवा में जलकर बिना अनावश्यक उत्पाद के ऊष्मा उत्पन्न करता है, ईंधन कहलाता है |

ईंधन वे पदार्थ होते हैं जो वायु की ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर के स्वयं अंदर उपस्थित आतंरिक ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित करता है | वह ईंधन कहलाता है |

ईंधन Fuel क्या है परिभाषा, प्रकार, विशेषता, उदहारण, वर्गीकरण

आदर्श ईंधन किसे कहते हैं ? what is the ideal fuel :

एक आदर्श ईंधन वह ईंधन होता है जिसे कम मात्रा में दहन करने पर भी ऊष्मा की अधिक मात्रा उत्पन्न होती है | जिसमे दहन के बाद धुआँ, अवशिष्ट पदार्थ जैसे – राख, जहरीली गैसें आदि प्राप्त नहीं होता | तथा यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध और उपयोग किये जा सकने वाला हो | उसे आदर्श ईंधन कहते हैं |

आदर्श ईंधन के लिए आवश्यक गुण क्या होना चहिये ?: Essential properties of an ideal fuel

एक अच्छे आदर्श ईंधन के निम्नलिखित गुण होने चाहिए |

  • आदर्श सस्ता एवं आसानी से उपलब्ध होना चाहिए |
  • ईंधन का उष्मीय मान या कैलोरिफिक वैल्यू उच्च होना चाहिए |
  • आदर्श ईंधन जलने के बाद उससे अधिक मात्रा में अवशिष्ट पदार्थ नहीं बचना चाहिए |
  • जब भी एक आदर्श ईंधन को जलाया जाये तो जलने के दौरान या बाद कोई हानिकारक पदार्थ नहीं उत्पन्न होना चाहिए|
  • उस आदर्श ईंधन का रख-रखाव, भंडारण या जमाव, परिवहन आसान होना चाहिए |
  • आदर्श ईंधन का प्रज्वलन ताप (ignition temperature) निम्न या कम होना चाहिए |
प्रज्वलन ताप या ज्वलन ताप किसे कहते हैं ? What is the ignition temperature ?

कोई पदार्थ अपने जिस न्यूनतम ताप पर जलना शुरू करता है तो वह ताप उस पदार्थ का प्रज्वलन या ज्वलन ताप कहलाता है |

दहन क्या है? What is combustion?

जब किसी भी ईंधन को वायु या वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ ज्वलित किया जाता है तो इसमें एक रासायनिक अभिक्रिया संपन्न होती है | इस रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप अधिक मात्रा में ऊष्मा, ऊर्जा और प्रकाश प्राप्त होता है | इस प्रक्रिया को दहन कहा जाता है |

ईंधन का उष्मीय मान क्या है? (calorific value of Fule) :

किसी भी ईंधन का उष्मीय मान ईंधन के जलने के बाद प्राप्त ऊष्मा की वह मात्रा होती है |

उस ईंधन के एक ग्राम को वायु या ऑक्सीजन में पूर्णतः जलाने के बाद जो ऊष्मा ऊर्जा प्राप्त होती है, उसे उस ईंधन का ऊष्मीय मान कहा जाता है |

किसी भी आदर्श ईंधन का ऊष्मीय मान हमेशा ही उच्च होना चाहिए |

सभी ईंधनों में से हाइड्रोजन एक ऐसा गैस है जिस का ऊष्मीय मान सबसे अधिक होता है |

परन्तु हाइड्रोजन गैस का सुरक्षित भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण आमतौर पर हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है |

उच्च ताप उत्पन्न करने वाले ज्वालकों में हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान अधिक होने के कारण इसका उपयोग किया जाता है |

साथ ही साथ हाइड्रोजन का उपयोग राकेट ईंधन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है |

इसलिए वैज्ञानिकों द्वारा हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन भी कहा जाता है |

अपस्फोटन (knocking) :

कुछ ईंधन ऐसे होते हैं जिनका वायु मिश्रण का इंजनों के सिलेंडर में ज्वलन समय के पहले हो जाता है |

जिससे ऊष्मा पूर्णतया कार्य में परिवर्तन न हो कर धात्विक ध्वनि उत्पन्न करने में नष्ट हो जाती है | यही धात्विक ध्वनि अपस्फोटन कहलाती है |

यदि अपस्फोटन अधिक होता है उसका उपयोग अच्छे ईंधन के रूप में नहीं किया जाता है |

अपस्फोटन कम करने के लिए ऐसे ईंधनो में अपस्फोटन रोधी यौगिक मिला दिए जाते हैं

जिससे इनका अपस्फोटन कम हो जाता है | सबसे अच्छा अपस्फोटन रोधी यौगिक टेट्रा एथिल लेड (TEL) है |

ऑक्टेन संख्या (Octane number):

अपस्फोटन को स्पष्ट या अभिव्यक्त करने के लिए ऑक्टेन संख्या का उपयोग किया जाता है |

जब ऑक्टेन संख्या कम होती है तो उस ईंधन का अपस्फोटन अधिक होता है |

अपस्फोटन निम्न हो इसके लिए ईंधन की ऑक्टेन संख्या को ज्यादा होना चाहिए |

ईंधन को अच्छा ईंधन बनने के लिए ऑक्टेन संख्या को अधिक तथा अपस्फोटन को कम करना चाहिए |

ईंधन का वर्गीकरण Classification of Fuel :

भौतिक अवस्था के आधार पर ईंधन को निम्नलिकमखित प्रकार में वर्गीकृत किया गया है |

  • ठोस ईंधन (Solid fuel)
  • द्रव ईंधन (Liquid fuel)
  • गैसीय ईंधन (Gaseous fuel)

ठोस ईंधन Solid fuel:

जो ईंधन ठोस अवस्था में होते हैं उन्हें ठोस ईंधन कहा जाता है | इसमें लकड़ी, कोयला, चारकोल, कोक आदि आते हैं |

ठोस ईंधन के गुणधर्म Solid fuel properties:
  • इस ठोस ईंधन का जब दहन किया जाता है तो दहन के बाद अवशेष के रूप में राख बच जाता है |
  • यह ठोस ईंधन के दहन में कम ऊष्मा और ऊर्जा प्राप्त होती है |

द्रव ईंधन Liquid fuel:

जो ईंधन द्रव रूप में पाए जाते हैं उन्हें द्रव ईंधन कहते हैं | इसमें पेट्रोल, स्पिरिट, डीजल, ईथर, करोसिन तेल, अल्कोहल आदि आते हैं |

द्रव ईंधन के गुणधर्म Properties of liquid fuels:
  • इस द्रव ईंधन को जब दहन किया जाता है तो दहन के बाद राख नहीं बचता है |
  • यह द्रव ईंधन दहन के समय अधिक ऊष्मा और ऊर्जा उत्पन्न करते हैं |

गैसीय ईंधन Gaseous fuel :

वह ईंधन जो गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं इन्हें गैसीय ईंधन कहते हैं |

इसमें प्राकृतिक गैस, कोल गैस, प्रोडूसर गैस, गोबर गैस, हाइड्रोजन गैस आदि आते हैं |

गैसीय ईंधन के गुणधर्म Properties of gaseous fuels:
  • जब गैसीय ईंधन का दहन किया जाता है तो इसमें कोई अवशेष नही बचता |
  • यह ईंधन सर्वोत्तम ईंधन होता है |
  • इस ईंधन का जब दहन किया जाता है तो इसमें अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा और ऊर्जा प्राप्त होती है |

कोयला (Coal) :

कार्बन की प्रतिशत मात्रा कोयले में जितनी अधिक होती है | कोयला की गुणवत्ता उतनी ही अच्छी होती है |

मुख्य रूप से कोयला चार प्रकार के होते हैं |

1)पीट कोयला (Peat Coal)

2)लिग्नाइट कोयला (Lignite Coal)

3)बिटुमिन्स कोयला (Bituminous Coal)

4) एंथ्रसाइट कोयला (Anthracite Coal)

1)पीट कोयला Peat Coal :

इसमें लगभग 38% से 47% तक कार्बन की उपस्थिति होती है।

पीट कोयला जलाने पर बहुत अधिक मात्रा में राख एवं धुआं निकलता है।

यह पीट कोयला निम्नतम श्रेणी का कोयला है।

2)लिग्नाइट कोयला (Lignite Coal) :

इस लिग्नाइट कोयला में 63% से 71% कार्बन की उपस्थिति होती है |

यह कोयला का रंग ब्राउन भूरा होता है |

इस लिग्नाइट कोयला में जलवाष्प और नमी की मात्रा अधिक होती है |

3)बिटुमिन्स कोयला (Bituminous Coal) :

इस बिटुमिन्स कोयला को मुलायम कोयला होता है |

इसका उपयोग घरेलु कार्यों में होता है |

बिटुमिन्स कोयला में 70 % से 85% तक कार्बन की उपस्थिति होती है |

4) एंथ्रसाइट कोयला (Anthracite Coal) :

यह कोयला सर्वोत्तम केटेगरी का कोयला है | इसमें कार्बन की उपस्थिति 86% से भी अधिक होती है |

प्राकृतिक गैस:

यह पेट्रोलियम कुआँ से निकलती है |

जीवाश्म ईंधनों में सबसे स्वच्छ ईंधन प्राकृतिक गैस ही है |

प्राकृतिक गैस में 94% हाइड्रोकार्बन होता है | तथा जिसमे 81% मीथेन होता है |

इस प्राकृतिक गैस ईंधन के द्वारा अत्यधिक ऊष्मा और ऊर्जा प्राप्त होती है |

इसका उपयोग उर्वरक बनाने वाले फैक्ट्री में किया जाता है |

घरों में खाना बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली लिक्विड प्राकृतिक गैस को LPG गैस कहा जाता है |

यह LPG गैस ब्यूटेन एवं प्रोपेन के मिश्रण से बना होता है |

इस LPG गैस को सिलेंडरों में भरने के लिए उच्च दाब दे कर पर द्रवित कर के भरा जाता है |

LPG  अत्यधिक ज्वलनशील गैस होती है |

अतः इससे होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए इसमें सल्फर के यौगिक मिथाइल मरकॉपटेन को मिला देते हैं |

मिथाइल मरकॉपटेन मिलाने के बाद यदि LPG गैस का रिसाव होता है तो इसकी गंध से पहचान कर बचाव किया जा सकता है |

गोबर गैस या बायो गैस :

गोबर गैस वास्तव में ज्वलनशील मीथेन गैस होती है |

पशुओं के मल तथा गीले गोबर के सड़ने के बाद जो गैस उत्पन्न होती है वह गोबर गैस या बायो गैस या मीथेन गैस होती है |

यह गोबर गैस वायु या वायु की ऑक्सीजन की उपस्थिति में सुगमता से जलती है |

गोबर गैस बनने के बाद सयंत्र में जो शेष पदार्थ बचे रह जाते हैं तो उसका उपयोग  खेतों में कार्बनिक खाद के रूप में किया जाता है |

प्रोडूसर गैस या वायु अंगार गैस :

यह प्रोडूसर गैस कार्बन मोनोऑक्साइड (CO + N2) के मिश्रण या संयोग से बना होता है |

प्रोडूसर गैस को वायु अंगार गैस भी कहते हैं |

यह प्रोडूसर गैस बनाने के लिए लाल तप्त कोक पर लगातार वायु को प्रवाहित किया जाता है | तब प्रोडूसर गैस का निर्माण होता है |

इसमें मुख्यतः कार्बन मोनोऑक्साइड ईंधन का काम करता है |

इस में 70% नाइट्रोजन, 25% कार्बन मोनोऑक्साइड, 4% कार्बन डाइऑक्साइड रहता है |

इसका ऊष्मीय मान कैलोरिफिक वैल्यू 1100 – 1750 k cal/kg होता है |

यह प्रोडूसर गैस एक सस्ता ईंधन के रूप में उपलब्ध होता है |

काँच एवं लौह इस्पात उद्योग में ईधन के रूप में प्रोडूसर गैस का उपयोग किया जाता है |

जल गैस या भाप अंगार गैस :

यह जल गैस हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड (H2 + CO) का मिश्रण होता है |

इसमें 49% हाइड्रोजन (H2), 45% कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) तथा 4.5% कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उपस्थित होता है |

यह जल गैस प्राप्त करने के लिए लाल तप्त कार्बन या कोक पर जलवाष्प प्रवाहित करते हैं तो ऐसा करने पर जल गैस प्राप्त होता है |

इस जल गैस को भाप अंगार गैस भी कहते हैं |

जल गैस और भाप अंगार गैस का ऊष्मीय मान 2500 से 2800 kcal/kg होता है |

इस का उपयोग हाइड्रोजन एवं अल्कोहल के निर्माण में अपचायक के रूप में होता है |

हाइड्रोजन गैस प्राप्त करने के लिए जल गैस का उपयोग किया जाता है |

कोल गैस :

यह कई प्रकार के दहनशील और ज्वलनशील गैसों का मिश्रण होता है |

कोल गैस अच्छे उच्च क्वालिटी के  कोयले के भंजक आसवन से बनाया जाता है |

यह कोल गैस रंगहीन तीखी तीक्ष्ण गंध वाली गैस है |

जब यह कोल गैस वायु के साथ मिलती है तो यह एक विस्फोटक मिश्रण बनाती है | इ

समें 54% हाइड्रोजन, 35%मीथेन, 11% कार्बन मोनो ऑक्साइड, 5% हाइड्रोकार्बन, 3% कार्बन डाइऑक्साइड होता है |

आयल गैस या तेल गैस :

यह तेल गैस मीथेन, एसीटीलीन जैसे संतृप्त और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के संयोग से प्राप्त मिश्रण होता है |

इसका निर्माण केरोसिन तेल या पेट्रोलियम के भंजक आसवन के द्वारा किया जाता है |

इस का अधिकतर उपयोग प्रयोगशाला में वायु को मिला कर बर्नर जलाने में किया जाता है |

पेट्रोल:

यह एक जीवाश्म (fossil fuel) ईंधन है जिसका उपयोग कार, मोटरसाइकिल आदि में किया जाता है |

पेट्रोल ईंजन में  पेट्रोल और वायु का मिश्रण बनाने के लिए कार्बोरेटर का उपयोग किया जाता है |

डीजल:

डीजल का उपयोग भारी बड़े वाहनों में किया जाता है |

जिसमे टरबाईन का उपयोग किया जाता है | जो डीजल और वायु को मिश्रण करता है |

प्रणोदक :

राकेट ईंधन के रूप में उपयोग किये जाने वाले ईंधन में प्रणोदक का प्रयोग किया जाता है |

जिसका निर्माण द्रवित हाइड्रोजन, सेल्यूलोज, रबर आदि यौगिकों से किया जाता है |

नोट :

किसी ईंधन का कैलोरी मान उसके ग्रेड को निर्धारित करता है

अल्कोहल को जब पेट्रोल में मिला दिया जाता है तो उसे पॉवर अल्कोहल कहते हैं | जो ऊर्जा का एक वैकल्पित स्त्रोत है |

सिगरेट जलाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले लाइटर में ब्यूटेन का उपयोग किया जाता है |

द्रव हाइड्रोजन एवं द्रव ऑक्सीजन का प्रयोग राकेट में ईंधन (नोदक) के रूप में किया जा सकता है |

प्रति ग्राम ईंधन के द्वारा मोचित ऊर्जा की द्रष्टि से हाइड्रोजन सर्वोतम ईंधन है |

तरल ईंधन :

ये निम्नलिखित हैं |

राकेट ईंधन नोदक :

राकेट में प्रयोग किये जाने वाले ईंधन को नोदक या राकेट ईंधन कहते हैं |

यह नोदक ऑक्सीडाईजर के संयोग से बना है |

जैसे – तरल ऑक्सीजन |

ईंधन नोदक के प्रकार :

सभी ईंधन नोदक को तीन वर्गों में रखा गया है |

  • ठोस ईंधन नोदक
  • तरलीय ईंधन नोदक
  • मिश्रित ईंधन नोदक
ठोस ईंधन नोदक:

इस ठोस ईंधन के रूप के रूप में पालीब्युटाडीन, एक्रिलिक अम्ल का प्रयोग ऑक्सीडाईजर के साथ होता है |

ठोस ईंधन के रूप में मैग्नीशियम अल्युमिनियम के कंपाउंड का उपयोग इनके उच्च दहन तापक्रम होने के कारण किया जाता है |

जैसे – अल्युमिनियम परक्लोरेट या नाइट्रोजन परक्लोरेट |

तरलीय ईंधन नोदक :

यह तरलीय ईंधन नोदक भी एक अच्छा ईंधन है |

ये भी ईंधन अधिक शक्ति प्रदान करता है |

जैसे – अल्कोहल, तरल हाइड्रोजन, तरल अमोनिया, केरोसिन तेल, हाइड्रोजीन और बोरोन के हाइड्राइड |

मिथाइल नाइट्रेट, नाइट्रोमीथेन, पेरोक्साइड आदि भी तरल ईंधन नोदक है |

मिश्रित ईंधन नोदक :

यह मिश्रित ईंधन राकेट नोदक में ठोस ईंधन, तरलीय ईंधन ऑक्सीडाईजर का उपयोग किया जाता है |

निष्कर्ष:

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