प्रॉटिस्टा जगत क्या है ? वर्गीकरण संरचना विशेषता आर्थिक महत्त्व

(प्रॉटिस्टा जगत) Kingdom Protista: इस जगत में अनेक प्रकार के एककोशिकीय जीवों को सम्मिलित किया गया है | जिसमे प्रायः जलीय युकैरियोटिक जीव को शामिल हैं |

पादप एवं जंतु के बीच स्थितकड़ी युग्लिना या येग्लिना इसी प्रॉटिस्टा जगत में हैं |

किंगडम प्रोटिस्टा का निर्माण हेकेल (1886) ने किया था।

ये लगभग 1000 मिलियन वर्ष पहले विकसित होने वाले पहले यूकेरियोट थे।

इस साम्राज्य में ज्यादातर जलीय एककोशिकीय यूकेरियोटिक कोशिकाएं शामिल हैं।

Protista Jagat प्रॉटिस्टा जगत Kingdom Protista
Protista Jagat प्रॉटिस्टा जगत Kingdom Protista

(प्रॉटिस्टा जगत) Kingdom Protista: ये दो प्रकार की जीवन पद्धति प्रदर्शित करते हैं |

पहला सूर्य के प्रकाश में स्वपोषित एवं दूसरा प्रकाश के अभाव में इतर पोषित |

प्रॉटिस्टा में विविध पोषी स्लाइम, मोल्स तथा प्रोटोजोआ होते हैं एवं प्रकाश संश्लेषी एककोशिकीय शैवाल होते हैं।

इसके अंतर्गत साधारणतया प्रोटोजोआ आते हैं |

प्रॉटिस्टा के अध्ययन को प्रोटीस्टोलोजी कहा जाता है |

आइये इस लेख के माध्यम से जानते और समझते हैं कि प्रॉटिस्टा जगत क्या है  इसका वर्गीकरण, संरचना, विशेषता और  आर्थिक महत्त्व क्या है |

Table of Contents

प्रॉटिस्टा जगत का वर्गीकरण संरचना विशेषता आर्थिक महत्त्व Classification Structure Characteristic Economic Importance of Protista Kingdom:

प्रॉटिस्टा जगत Protista Jagat Protista kingdom
प्रॉटिस्टा जगत Protista Jagat Protista kingdom

प्रोटिस्टा का प्रमुख समूह Major group of Protista:

प्रोटिस्टा में तीन सामान्य उप समूह हैं जो इस प्रकार हैं।

1) प्रकाश संश्लेषक प्रोटिस्टा या स्वपोषी प्रॉटिस्टा:

  • इनमे क्लोरोफिल पाया जाता है और भी कई वर्णक पाए जाते हैं |
  • इसमें एककोशिकीय शैवाल आते हैं जो प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
  • जैसे- डायटम और यूग्लेनोइड्स।

2) प्रोटोजोआ प्रॉटिस्टा :

  • प्रोटोजोआ का अर्थ है पहला जानवर | जो हर तरह की मिट्टी के वातावरण में पाए जाते हैं |
  • इनमे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया नहीं होती | इसमें क्लोरोफिल का आभाव होता है |
  • यह एककोशिकीय परपोषी जीव होते हैं | ये अपने भोजन के लिए दुसरे जीवों पर निर्भर रहते हैं |
  • ये अपने भोजन को निगलते हैं | ये  पोषण के होलोजोइक, सैप्रोइक और परजीवी पोषण का प्रदर्शन करते हैं।
  • जैसे- ट्रिपैन्सोमा प्लास्मोडियम, पैरामीशियम, आदि।

3) उपभोक्ता प्रोटिस्टा या  अवपंक कवक :

  • इनमे क्लोरोफिल नहीं होता |
  • ये आमतौर पर मृत और सड़े गले पदार्थों पर पाए जाने वाले जीव होते हैं |
  • और इन्ही मृत तथा सड़े गले पदार्थो से अपना भोजन प्राप्त करते हैं | जैसे- slime molds etc.

प्रॉटिस्टा का वर्गीकरण Classification of Protista :

  1. क्राइसोफाइट
  2. डायनोफ्लैजिलेट
  3. युग्लीनाइड
  4. अवपंक कवक
  5. प्रोटोजोआ
प्रॉटिस्टा का वर्गीकरण
प्रॉटिस्टा का वर्गीकरण

क्राइसोफाइट Chrysophyte:

  • ये अत्यंत सूक्ष्म होते हैं | इसके अंतर्गत डायटम और और सुनहरे शैवाल आते हैं |
  • यह स्वच्छ जल और लवणीय या समुद्र जल , दोनों पर्यावरण में पाए जाते हैं | ये जल धारा के साथ बहते रहते हैं |
  • इसके अंतर्गत आने वाले डायटम में कोशिकभित्ति साबुन की तरह दो आच्छादित कवच बनती है |
  • इन भित्तियों में सिलिका होती है जिसके कारण ये प्रतिकूल परिस्थितियोंमें भी नष्ट होने से बच जाते हैं |
  • इसी कारण ये डायटम मृत होने के बाद भी अपने कोशिका भित्ति के अवशेषों की अत्यधिक संख्या को अपने पाए जाने वाले स्थान पर छोड़ जाते हैं |
  • लाखो करोडो वर्षों में जमा हुए इन अवशेषों को डायटमी मृदा कहते हैं | ये मृदा कण के जैसे होते हैं |
  • इसका उपयोग पॉलिश करने, तेलों और सिरप के निस्यन्दन में होता है |
  • ये समुद्री उत्पाद हैं | जो हमारे आर्थिक महत्त्व के होते हैं |

डायनोफ्लैजिलेट Dinoflagellate:

Protista Jagat Dinoflagellate
Protista Jagat Dinoflagellate
  • ये जीव मुख्य रूप से समुद्री जीव होते हैं |
  • इनमे क्लोरोफिल पाया जाता है ये प्रकाश संश्लेषण करते हैं ये प्रकाश संश्लेषी जीव होते हैं |
  • इन मे कई तरह के वर्णक पाए जाते हैं | इनमे उपस्थित इन्ही वर्णक के आधार पर ये पीले, हरे, नीले, भूरे और लाल दिखाई देते हैं |
  • इनकी कोशिकभित्ति की बाहरी सतह पर सल्लुलोज की कड़ी पट्टिकाएं होती हैं |
  • ज्यादातर डायनोफ्लैजिलेट में दो कशाभ होते हैं |
  • जिसमें एक कशाभिका लंबवत तथा दूसरी अनुप्रस्थ रूप से कोशिका भित्ति की प्लेटों के बीच खांचे में स्थित होती है।
  • अक्सर लाल डायनोफ्लैजिलेट के द्वारा बड़ी संख्या में विस्फोट होता रहता है | और लाल तरंग छोड़ते रहते हैं |
  • जिससे इनके लाल तरंगो के कारण समुद्र का पानी लाल दिखने लगता है |
  • इसी के कारण समुद्रीय मछली तथा अन्य समुद्री जीव मर जाते हैं |

युग्लीनाइड:

Protista Jagat Euglena युग्लिना
Protista Jagat Euglena युग्लिना
  • इनमें से अधिकतर जीव स्वच्छ ताजे पानी में पाए जाने वाले जीव हैं। जो कि शांत जल में मौजूद होते हैं।
  • इस युग्लिना में कोशिकभित्ति के स्थान पर एक पतली परत होती है जो एक प्रोटीन युक्त पदार्थ की बनी होती है जिसे पेलिकिल कहा जाता है | जो इस युग्लिना की संरचना को मुलायम और लचीला बनाती है |
  • ये स्वपोषी और परपोषी दोनों की तरह व्यवहार करते हैं | सूर्य की प्रकाश की उपस्थिति में ये प्रकाश संश्लेषी स्वपोषी होते है |
  • और सूर्य के प्रकाश के अभाव में ये अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर रहते हैं और पर-पोषी (मेजबान) की तरह व्यवहार करते हैं।
  • इनमे दो कशाभ पाए जाते हैं | जिसमे एक छोटा तथा दूसरा लम्बा होता है | जैसे – युग्लिना |

अव-पंक कवक:

  • ये एक मृतपोषी प्रॉटिस्टा होते हैं | ये मृतजीवो और सड़े गले पौधों पत्तियों और जीवो से अपना भोजन प्राप्त करते हैं |
  • जब ये अव-पंक कवक अनुकूल परिस्थितियों में रहते हैं तो एक ग्रुप बनाते हैं, वह समूह प्लाज्मोडियम बन जाता है।
  • और प्रतिकूल परिस्थितियों में वे विघटित हो जाते हैं और सिरों पर बीजाणुओं से युक्त फल निकाय बनाते हैं।|
  • ये बीजाणु हवा द्वारा फैलते हैं।

प्रोटोजोआ Protozoa:

  • सभी प्रकार के प्रोटोजोआ परपोषी होते हैं | जो परजीवी के रूप में रहते हैं |
  • इनका सम्बन्ध प्राणियों से काफी पुराना है |
प्रोटोजोआ का वर्गीकरण : 

प्रोटोजोआ को भी चार भागो में बाँटा गया है |

1)अमीबा प्रोटोजोआ, 2)कशाभी प्रोटोजोआ, 3)पक्षाभी प्रोटोजोआ, 4)स्पोरोजोआ |

1)अमीबा प्रोटोजोआ :
  • यह जीवधारी स्वच्छ जल में , समुद्री जल में तथा नम मृदा में पाए जाते हैं |
  • समुद्रीय जल में पाए जाने वाले अमीबा की सतह पर सिलिका के कवच होते हैं |
  • ये अपना भोजन कूटपादों की सहायता से करते हैं | जैसे- एंटअमीबी परजीवी |
2)कशाभी प्रोटोजोआ:
  • इस समूह के सभी सदस्य परजीवी होते हैं |
  • इनके शरीर पर कशाभ पाया जाता है |
  • पर-जीवी कशाभ प्रोटोजोआ बीमारी का कारण होता है जैसे – ट्रिपैनोसोमा |
3)पक्षाभी प्रोटोजोआ :
Protista Jagat kya hai प्रॉटिस्टा जगत पैरामीशियम
Protista Jagat kya hai प्रॉटिस्टा जगत पैरामीशियम
  • ये जलीय जीव होते हैं तथा सक्रीय गति करने वाले जीवधारी होते हैं |
  • इसमें एक ग्रसिका गुहा होती है जो कोशिका के सतह के बाहर की तरफ खुलती है |
  • इनके शरीर पर हजारो की संख्या में पक्षाभ पाए जाते हैं |
  • इन पक्षाभो की गति के कारण ही जल में से पूरा भोजन गलेट की तरफ भेज दिया जाता है | जैसे- पैरामीशियम |
4)स्पोरोजोआ Sporozoa:
  • इस समूह में विभिन्न प्रकार के जीव शामिल हैं जिनके जीवन चक्र में संक्रामक बीजाणु जैसी अवस्था पाई जाती है।
  • इनमें से सबसे खतरनाक प्लास्मोडियम प्रजाति है जो एक मलेरिया परजीवी है।
  • जिससे इंसानों में बीमारी फैलती है। जैसे प्लाज्मोडियम मलेरिया परजीवी।

प्रॉटिस्टा की संरचना Structure of Protista :

  • इन प्रोटिस्टों में कोशिकाएँ एक झिल्ली से घिरी रहती हैं।
  • इनकी कोशिकाओं पर कोशिका झिल्ली पाई जाती है।
  • इसकी कोशिका भित्ति प्रोटीन सेल्यूलोस और सिलिका की बनी होती है |
  • प्रकाश संश्लेषी प्रॉटिस्टा के कोशिकाओं में क्लोरोफिल पाया जाता है |
  • प्रत्येक कोशिका माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जी बॉडी, केन्द्रक, गुणसूत्र, एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम आदि से घिरी होती है।

प्रॉटिस्टा में गमन Movement in Protista:

इन प्रोटिस्टों में गति निम्नलिखित तरह से होती है |

1)कूटपादों द्वारा या पादाभों द्वारा |

2)कशाभिका द्वारा |

3)रोमाभि द्वारा |

प्रॉटिस्टा में पोषण Nutrition in Protista: 

इन प्रोटिस्ट में चार प्रकार के पोषण होते हैं। |

1)पादप सम पोषण (होलोफाइटिक) Halophytic

2)जीव सम पोषण (होलोजोइक) Holozoic

3)अवशोषणी पोषण absorbable nutrition

4)मिक्सोट्रोफी mixotrophy

1)पादप सम पोषण (होलोफाइटिक) Halophytic :
  • इनमे क्लोरोफिल पाया जाता है |
  • ये अपने भोजन का निर्माण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से स्वयं  करते है ।
2)जीव सम पोषण (होलोजोइक) Holozoic:
  • इस प्रकार के पोषण में पहले भोजन का अन्तः ग्रहण होता है ।
  • और फिर इस भोजन का पाचन होता है ।
3)अवशोषणी पोषण absorbable nutrition:
  • इस अवशोषणी पोषण में पहले भोजन के पाचन के लिए एंजाइम स्रावित करके कार्बनिक पदार्थों का पाचन किया जाता है।
  • इसके बाद फिर अन्तःग्रहण किया जाता है |
4)मिक्सोट्रोफी mixotrophy:
  • कुछ जीवों में स्वपोषी या  पादप सम पोषी एवं  परपोषी मृतोपजीवी इन दोनों तरह को पोषण होता है |
  • ऐसे पोषण को ही मिक्सोट्रोफी कहते है ।

प्रॉटिस्टा में प्रजनन Reproduction in Protista:

प्रॉटिस्टा में प्रजनन दो प्रकार से होता है |

1) लैंगिक जनन और 2)अलैंगिक जनन |

  • लैंगिक जनन में नर (a male) और मादा (a female) के मिलने से जाइगोट या युग्मनज का निर्माण होता है |
  • यह जनन युग्मनज के संयोजन के द्वारा किया जाता है | इसमें अर्धसूत्री विभाजन होता है और नए जीव का विकास होता है |
  • और अलैंगिक प्रजनन में प्रजनन की प्रक्रिया विभाजन (division) के माध्यम से होती है।

प्रोटिस्टा की सामान्य विशेषताएं General characteristics of Protista:

1) इसमें कोशिका झिल्ली के रूप में प्लाज़्मा झिल्ली से घिरी कोशिका संरचना होती है |

2) इसकी कोशिकाभित्ति सेल्युलोज, प्रोटीन स्ट्रिप्स (पेलिकल) सिलिका से बनी होती है।

3) कोशिका अंग जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जी बॉडी, एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम, न्यूक्लियस, क्रोमोसोम आदि पूरी तरह से विकसित रूपों में मौजूद हैं।

4) राइबोसोम यानी 80s मौजूद होते हैं।

5) डिनोफ्लैगलेट्स जैसे प्रोटिस्टा के क्लोरोप्लास्ट प्रकाश संश्लेषक रूपों में आंतरिक थायलाकोइड्स के साथ क्लोरोप्लास्ट होते हैं।

6) प्रजनन लैंगिक और अलैंगिक दोनों हो सकता है।

7) लोकोमोटिव अंग सिलिया और व्हिप जैसे फ्लैगेला होते हैं जो कई रूपों में होते हैं। इनमें विशिष्ट 9+2 तंतु होते हैं।

8) लोकोमोशन में ज्यादातर स्यूडोपोडियल (जैसे, अमीबा), फ्लैगेलर और सिलिअरी पाए जाते हैं।

9) इनमे पोषण के तरीके स्वपोषी, विषमपोषी या दोनों हो सकते हैं।

 

  • दीमक और लकड़ी खाने वाले जानवरों में सेल्यूलोज डाइजेस्टिंग प्रोटिस्टा होता है।
  • गोनौलैक्स जैसे प्रकाश संश्लेषक प्रोटिस्टा लाल ज्वार का कारण बनते हैं।
  • डायटम जैसे नेवीकुलल ग्लाइड प्रकाश की ओर।
  • प्रोटोजोआ प्रोटिस्टा जैसे अमीबा, प्लास्मोडियम और ट्रिपैनोसोमा क्रमशः दस्त, मलेरिया और अफ्रीकी नींद की बीमारी का कारण बनते हैं।

प्रॉटिस्टा जगत में पाए जाने वाले जीव Examples of organisms found in the kingdom Protista:

जो जीव प्रॉटिस्टा जगत में पाए जाते हैं उनके example – अमीबा, प्लाज-मोडियम, युग्लिना, डाय-टम |

अमीबा (Amoeba)

  • ये प्रोटिस्टा साम्राज्य के प्रोटोज़ोआ समूह के अंतर्गत आते हैं।
  • इस अमीबा को प्रोटिस्टा किंगडम का इम्पोर्टेन्ट जीव होता है | जो ताल्राबो(ponds), झीलों(lakes) आदि में पाया जाता है |
  • अमीबा के अंदर संचरण के अंग मौजूद होते हैं, जिनसे वह अपना भोजन प्राप्त करता है।
  • इस के पादाभ(PSEUDOPODIA)  यह भोजन (आत्मसात) या ग्रहण करने में मदद करता है |
  • इन में भोजन ग्रहण करने के लिए कोई मुंह नहीं  होता है |
  • अमीबा  कोशिका की सतह के किसी भी बिंदु यह भोजन ग्रहण करते है और उसे उत्सर्जित करते है |भोजन के दौरान, साइटोप्लाज्म का विस्तार भोजन के कणों के चारों ओर प्रवाहित होता है।
  • ये उन्हें घेर लेते हैं और रिक्तिका का निर्माण करते हैं जिसमें कणों को पचाने के लिए एंजाइम (secrete)स्रावित किया जाता है।
  • प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए अमीबा द्वारा एक सिस्ट खोल या झिल्ली का स्राव होता है |
  • और उसमे सुरक्षित(safe) रहता है | यह खोल (membrane) उसको सुरक्षित आवरण प्रदान करती है |
  • जब अनुकूल पर्यावरण परिस्थितियां आ जाती है तब अमीबा उस झिल्ली से बाहर आ जाता है |
  • अमीबा में जनन के लिए द्विविभाजन प्रणाली का उपयोग किया जाता है | अत: इसमें लैंगिक जनन नहीं पाया जाता है |

एंटअमीबा

  • ये अधिकांशत: ये प्रदूषित जल में पाए जाते है | | इस प्रदूषित जल के सेवन से कई बीमारियां हो सकती है l
  • इसका आकार और बनावट अमीबा के समान ही होता है | इसकी एक साधारण प्रजाति को हिस्टोलिका कहा जाता है |
  • नर एंटामीबा के आक्रमण के परिणामस्वरूप सिस्ट बन जाते हैं।
  • और अगर यह गांठ इंसान के शरीर में उत्पन्न होकर फट जाए और पेट एवं आंतों में फैल जाए तो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। तथा मौत का कारण की सम्भावना भी बन सकता है.

प्लाजमोडियम Plasmodium :

  • प्लास्मोडियम एककोशिकीय यूकेरियोट्स का ही एक जीव है | जो कशेरुक और अन्य जीवो के परजीवी हैं।
  • प्रोटिस्टा जगत के इस परजीवी को मलेरिया परजीवी भी कहा जाता है| यह मलेरिया रोग फ़ैलाने का कारण बनता है |
  • इसका जीवन चक्र 2 मुख्य अवस्थाओ में सम्पन्न होता है |
  • जिसमे लैंगिक जनन  मादा एनाफिलिज मच्छर द्वारा की जाती है, जो मलेरिया वाहक कहलाती है|
  • एवं अलैंगिक जनन की अवस्था मानव के रक्त द्वारा सम्पन्न की जाती है |

युग्लिना Euglena :

  • इस युग्लिना समूह के सभी सदस्य एककोशिकीय होते है । इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है ।
  • ये जीव अपने चारो ओर से एक झिल्लीनुमा रचना से घिरे हुए होते है जो कि लाइपोप्रोटीन की बनी यह झिल्ली होती है ।
  • इस जीव का बाहरी आवरण बहुत ही लचीला होता है, जिसे पेलिकल कहा जाता है और ये प्रोटीन से बने हुए होते हैं |
  • यह जीव युग्लिना अधिकांशतः साफ़ सुथरे स्वच्छ जल में निवास करते हैं |
  • लेकिन इस समूह के कुछ जीव गंदे स्थानों, जैसे नाले, गड्ढे, गंदे पानी के जलाशयों आदि में निवास करते हैं |
  • इस समूह के जीव द्वारा जनन के लिए द्विविभाजन प्रणाली का प्रयोग किया जाता है|
  • युग्लिना समूह के जीव द्वारा जल में संचरण कशाभ द्वारा किया जाता है |
  • ये स्वपोषी और परपोषी दोनों की तरह का व्यवहार करते हैं |
  • सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ये जीव प्रकाशसंश्लेषी की तरह व्यवहार करते हैं | तथा स्वपोषी की तरह अपना भोजन स्वयं बनाते हैं |
  • लेकिन कई बार प्रकाश की अनुपस्थिति में ये अन्य जीवधारियों का शिकार करके परपोषी की तरह व्यवहार करते है ।
  • अतः इस प्रकार स्पष्ट है कि इन जीवों में मिश्र पोषण (मिक्सोट्रॉपिक) पाया जाता है ।
  • इस कारण इस युग्लिना को पादप एवं जन्तु के बीच की योजक कड़ी माना जाता है ।
  • युग्लीनॉइड्स के अग्र सिरे पर एक गुहा रूपी संरचना पाई जाती है जिसे कोशिकाग्रसनी या साइटोफेरिंग्स या आशय कहते है ।
  • कोशिका ग्रसनी के आधार पर एक कार्यात्मक क्रियाशील और एक गैर-कार्यात्मक फ्लैगेला पाया जाता है।
  • उनके पास एक अगुणित नाभिक है। इस समूह में क्लोरोफिल-a एवं b तथा जेंथोफिल होते है ।
  • यूग्लीना में संचित भोजन पैरामाइलम है। यह स्टार्च के रूपांतरण से बनता है।

Wriggling Movement (इसे रैग्लिंग मूवमेंट) :

  • जिन यूग्लीनॉयड्स में कशाभिका होती है, वे कशाभिका द्वारा गति करते हैं।
  • जिनमें कशाभिका नहीं होती वे तरंग गति प्रदर्शित करते हैं जिसमें पेलिकल सहायक होता है,
  • इसे रैग्लिंग मूवमेंट (Wriggling Movement) कहते हैं।

डायटम Diatom :

  • इसकी अनेको हजारो की संख्या में प्रजातियाँ जल में रहती है | जो जलीय जीवों का भोजन करती है |
  • ये जीव जल मिट्टी और नमी वाली जगहों पर रहती है |
  • इनकी आकृतियों में भिन्नता हो सकती है | ये तंतु के रूप में हो सकते हैं या ये एक कोशिकीय भी हो सकते हैं |
  • डायटम कोशिकभित्ति निर्मित करते हैं | इनमे सिलिका पाई जाती है | इनमे केन्द्रक भी पाया जाता है |
  • इनका उपयोग ध्वनि अवशोषक के रूप में, तेल तथा सीरप के निस्यंदन में किया जाता है |
  • पत्थर की पॉलिश करने में , स्टीम बॉयलर में तापरोधी के रूप में भी डायटम का उपयोग होता है |

प्रोटिस्टा का आर्थिक महत्व Economic importance of Protista:

  • इनका उपयोग जैविक अनुसंधान में किया जाता है, उदाहरण के लिए, क्लोरेला एककोशिकीय, गैर-प्रेरक शैवाल है।
  • कुछ प्रोटिस्टा जैसे केल्प्स (शैवाल) खाने योग्य होते हैं क्योंकि यह सोडियम, पोटेशियम, आयोडिन आदि का एक अच्छा स्रोत है।
  • कई प्रोटिस्टा चिकित्सा स्रोत के रूप में कार्य करते हैं जैसे- सोडियम लैमिनारी सल्फेट, फ्यूकोइडन, हेपरिन अल्गल उत्पाद हैं जिनका उपयोग रक्त कोगुलेंट के रूप में किया जाता है।
  • समुद्री प्रोटिस्टा एल्गिन, अगर, एंटीसेप्टिक आदि जैसे उपयोगी पदार्थों के स्रोत हैं।
  • कई प्रोटिस्टा प्राथमिक उत्पादक हैं और खाद्य श्रृंखला में एक बुनियादी भूमिका निभाते हैं।
  • कई प्रोटिस्टा रोगजनक होते हैं और मनुष्यों और पौधों में रोग पैदा करते हैं।

Conclusion निष्कर्ष:

उम्मीद करते हैं कि आपको यह प्रॉटिस्टा से जुड़ी लेख पोस्ट पसंद आया होगा | आप इस जानकारी का पूरा से पूरा फायदा उठाइये | आप अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे | यह पोस्ट “प्रॉटिस्टा जगत क्या है वर्गीकरण संरचना विशेषता आर्थिक महत्त्व Kingdom Protista” के बारे में था | आप अपने विचार या सुझाव कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं | और हमारे साथ जुड़े रहें |

हैप्पी और healthy रहें |

आपका दिन शुभ हो | धन्यवाद |

FAQ:

Q1) प्रॉटिस्टा के अध्ययन को क्या कहा जाता है ?

Ans: प्रॉटिस्टा के अध्ययन को प्रोटीस्टोलोजी कहा जाता है |

Q2) प्रोटोजोआ को कितने समूह में बाँटा गया है ?

Ans: प्रोटोजोआ को भी चार भागो में बाँटा गया है |

1)अमीबा प्रोटोजोआ, 2)कशाभी प्रोटोजोआ, 3)पक्षाभी प्रोटोजोआ, 4)स्पोरोजोआ |

Q3) प्रॉटिस्टा की कोशिकभित्ति किसकी बनी होती है ?

Ans: प्रॉटिस्टा कोशिकाभित्ति सेल्युलोज, प्रोटीन स्ट्रिप्स (पेलिकल) सिलिका से बनी होती है।

Q4) प्रॉटिस्टा में कौन से जीव आते हैं ?

Ans: प्रॉटिस्टा में विविध पोषी स्लाइम, मोल्स तथा प्रोटोजोआ होते हैं एवं प्रकाश संश्लेषी एककोशिकीय शैवाल होते हैं।

Q5) समुद्र का जल लाल क्यों दिखता है ?

Ans: अक्सर लाल डायनोफ्लैजिलेट के द्वारा बड़ी संख्या में विस्फोट होता है |

जिससे इनके लाल तरंगो के कारण समुद्र का जल लाल दिखने लगता है |

Q6) प्रॉटिस्टा में पोषण कितने प्रकार से होता है ?

Ans: इन प्रॉटिस्टा में पोषण चार प्रकार से होता है |

1)पादप सम पोषण (होलोफाइटिक)

2)जीव सम पोषण (होलोजोइक)

3)अवशोषणी पोषण

4)मिक्सोट्रोफी

Q7) प्रॉटिस्टा में जनन कितने प्रकार से होता है ?

Ans: प्रॉटिस्टा में प्रजनन दो प्रकार से होता है |1) लैंगिक जनन और 2)अलैंगिक जनन |

Q8) मलेरिया का वाहक कौन है ?

Ans: प्लाजमोडियम परजीवी मादा एनाफिलिज मच्छर मलेरिया वाहक कहलाती है|

Q9) पादप एवं जन्तु के बीच की योजक कड़ी किसको माना जाता है ?

Ans: युग्लिना को पादप एवं जन्तु के बीच की योजक कड़ी माना जाता है ।

Q10)  Wriggling Movement क्या है ?

Ans: जो युग्लीनॉइड कशाभिका युक्त होते है वे कशाभिका द्वारा गति करते है । जिनमें कशाभिका नहीं होती है वे तरंगीय गति दर्शाते है जिसमें पेलिकल सहायक होती है इसे ही Wriggling Movement कहते है ।

Q11) अमीबा में जनन कैसे होता है ?

Ans: अमीबा में जनन के लिए द्विविभाजन प्रणाली का उपयोग किया जाता है | अत: इसमें लैंगिक जनन नहीं पाया जाता है |

 

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