Monera kingdom मोनेरा जगत | लक्षण उदाहरण विशेषताएँ

Monera kingdom मोनेरा जगत में सभी प्रकार के प्रोकैरियोटिक जीव आते हैं | इसमें छोटे, सरलतम, सूक्ष्म जीव शामिल हैं | मोनेरा जगत को सबसे पहले अर्नेस्ट के द्वारा 1866 ई. में प्रस्तावित किया गया था |

ऐसा माना जाता है कि इस जगत के जीव सबसे प्राचीनतम हैं |

ये हर उस जगह पर मौजूद होते हैं जहाँ जीवन कि थोड़ी सी भी संभावना उपस्थित हो | जैसे- मिट्टी, वायु, जल, गर्म जल, हिमखंडो के नीचे, रेगितान, पौधे, जंतु etc. .

Monera kingdom मोनेरा जगत लक्षण उदाहरण विशेषताएँ

ज्यादातर प्रोकैरियोटिक जीव एककोशिकीय जीव होते हैं |

इनकी कोशिकाओं में केन्द्रक नहीं पाया जाता | अर्थात इनके डीएनए में केन्द्रक उपस्थित नहीं होता |

इसके विपरीत अन्य जीवों के डीएनए में केन्द्रक पाया जाता है |

तो चलिए इस लेख के माध्यम से मोनेरा जगत इसके  लक्षण उदाहरण विशेषताएँ के बारे में समझते हैं |

Monera kingdom मोनेरा जगत | लक्षण उदाहरण विशेषताएँ

आज इस ब्लॉग आर्टिकल में हम मोनेरा जगत (Monera Kingdom) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे |

मोनेरा जगत के जीव Creatures of the Monera Kingdom :

  • आर्कीबैक्टीरिया और युबैक्टीरिया
  • युबैक्टीरिया को वास्तविक रूप में जीवाणु (बैक्टीरिया) भी कहा जाता है | क्योकि उनमे केन्द्रक की कमी होती है |
  • इनके उदहारण – इसमें बैक्टीरिया, नीले हरे शैवाल के साइनोबैक्टीरिया और माइकोप्लाज्मा, एक्टिनोमाइसेट्स, रिकेट्सिया आदि शामिल हैं।

मोनेरा जगत का वर्गीकरण classification of the Monera kingdom:

इस मोनेरा जगत को चार भागो में बाँटा गया है |

  • जीवाणु (बैक्टीरिया) (Bacteria)
  • अर्कीबैक्टीरिया (Archaebacteria)
  • सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria)
  • एक्टिनोमाइसेट्स (Actinomycetes)

जीवाणु (Bacteria):

  • बैक्टीरिया की खोज एंटनी वैन लीउवेनहोएक ने 1683 में की थी और इसका नाम एहरेनबर्ग ने 1829 में रखा था।
  • ये मूल रूप से एककोशिकीय रूप के होते हैं। ये सर्वव्यापी हैं और उन सभी जगहों पर पाए जाते हैं जहां कार्बनिक पदार्थ मौजूद हैं,
  • जैसे पानी, मिट्टी, जीवों के ऊपर और अंदर आदि। ये आमतौर पर आकार और आकार में भिन्न होते हैं।
जीवाणु (बैक्टीरिया) के प्रकार Types of bacteria :

ये सात प्रकार के होते हैं।

  1. कोकस (गोलाकार या अंडाकार) Coccus (spherical or oval)
  2. बेसिलस (सिलेंडर या रॉड की तरह) Bacillus (cylinder or rod-like)
  3. स्पिरिलम (सर्पिल कुंडलित) Spirillum (spiral coiled)
  4. वाइब्रियो (अल्पविराम की तरह घुमावदार) Vibrio (winding like a comma)
  5. डंठल (डंठल के साथ) stalk (with stalk)
  6. नवोदित (कुछ स्थानों पर सूजन) budding (swelling in some places)
  7. मायसेलिया (फिलामेंटस) Mycelia (filamentous)

अर्कीबैक्टीरिया Archaebacteria:

  • प्राचीनतम जीवधारियों के प्रतिनिधि अर्कीबैक्टीरिया को माना जाता हैं। इसलिए इनका नाम आर्की बैक्टीरिया रखा गया है।
  • इन्हें प्राचीनतम जीवित जीवाश्म कहा जाता है।
  • जिन परिस्थितियों में ये निवास करते हैं उनके आधार पर आर्की बैक्टीरिया को तीन समूहों में विभाजित किया गया है – मैथेनेजोन, हैलोफाइल्स तथा थर्मोएसिडोफाइल्स।

सायनोबैक्टीरिया Cyanobacteria:

  • सायनोबैक्टीरिया प्रकाश संश्लेषी होते हैं, इन्हें पृथ्वी का सफलतम जीवधारियों का समूह माना जाता है|
  • संरचना के आधार पर इनकी कोशिका की मूल संरचना शैवालों की अपेक्षा जीवाणु से अधिक समानता रखते हैं |
  • सायनोबैक्टीरिया को नील नील हरित शैवाल के नाम से भी जाना जाता है |
  • यह कवक से लेकर साइकस तक अनेक जीवधारियों के साथ सहजीवी के रूप में रहते है

एक्टिनोमाइसेट्स Actinomycetes :

  • इन्हे कवकसम जीवाणु भी कहते हैं, यह एक्टिनोमाइसेट्स वह जीवाणु है |
  • जिनकी रचना कवक जाल के समान शाखित होती है |
  • पहले इन्हे कवक माना जाता था, परंतु प्रोकैरियोटिक कोशिकीय संगठन के कारण इन्हे अब जीवाणु माना जाता है

मोनेरा की सामान्य विशेषताएं General Features of Monera :

1) मोनेरा आमतौर पर एक या एकल कोशिका वाले जीव होते हैं |

2) इसमें झिल्ली से बंधे हुए नाभिक नहीं होते हैं। बल्कि अनुवांशिक पदार्थ जीव द्रव्य में बिखरे पड़े रहते हैं |

3) इसमें इसमें केन्द्रक नहीं पाया जाता |

4) इसमें कोशिका भित्ति पायी जाती है |

5) इसमें रिक्तिका नहीं पायी जाती |

6) इसमें लैंगिग जनन नहीं होता |

7) इसमें प्रजनन क्रिया अक्सर अलैंगिग प्रकार की होती है |

8) इसमें प्रचलन कशाभिका के द्वारा होता है |

9) इनमे जनन द्वि विभाजन पद्धति द्वारा होता है जो एक अर्धसूत्री विभाजन का प्रकार है |

10) मोनेरा में पोषण का तरीका स्वपोषी (अपने स्वयं के भोजन का संश्लेषण) या विषमपोषी (जो भोजन के लिए स्वपोषी पर निर्भर करता है) होता है।

11) इनकी कोशिका भित्ति अत्यंत सुदृढ़ रहती है इसमें पालीसैकेराइड्स के साथ एमिनो एसिड भी होता है |

FAQ:

Q1)  मोनेरा जगत की खोज किसने की?

Ans: मोनेरा किंगडम को सबसे पहले अर्नेस्ट के द्वारा 1866 ई. में खोजा गया था |

Q2)  मोनेरा जगत के लक्षण क्या क्या हैं?

Ans: मोनेरा आमतौर पर एक या एकल कोशिका वाले जीव होते हैं | इसमें झिल्ली से बंधे हुए नाभिक नहीं होते हैं। अनुवांशिक पदार्थ जीव द्रव्य में बिखरे पड़े रहते हैं | इसमें इसमें केन्द्रक नहीं पाया जाता | इसमें कोशिका भित्ति पायी जाती है | इसमें रिक्तिका नहीं पायी जाती |इसमें लैंगिग जनन नहीं होता |

Q3) मोनेरा जगत के उदाहरण बताओ?

Ans: मोनेरा जगत के उदहारण बैक्टीरिया, नीले हरे शैवाल के साइनोबैक्टीरिया और माइकोप्लाज्मा, एक्टिनोमाइसेट्स, रिकेट्सिया आदि हैं।

Q4) मोनेरा जगत के जीवो के नाम क्या हैं ?

Ans: मोनेरा जगत के जीवों के नाम जीवाणु (बैक्टीरिया), अर्कीबैक्टीरिया, सायनोबैक्टीरिया, एक्टिनोमाइसेट्स हैं |

Q5) मोनेरा जगत को कितने भागो में बाँटा गया है ?

Ans: इन्हें चार भागो में बाँटा किया गया है |

जीवाणु (बैक्टीरिया), अर्कीबैक्टीरिया, सायनोबैक्टीरिया, एक्टिनोमाइसेट्स

Q6) मोनेरा जगत के सदस्य कौन कौन हैं ?

Ans: इसमें बैक्टीरिया, नीले हरे शैवाल के साइनोबैक्टीरिया और माइकोप्लाज्मा, एक्टिनोमाइसेट्स, रिकेट्सिया आदि शामिल हैं।

Q7) आर्की बैक्टीरिया क्या है?

Ans:  प्राचीनतम जीवधारियों के प्रतिनिधि अर्कीबैक्टीरिया को माना जाता हैं। इसलिए इनका नाम आर्की बैक्टीरिया रखा गया है। इन्हें प्राचीनतम जीवित जीवाश्म कहा जाता है।

Q8) मोनेरा जगत के जीव कौन कौन हैं ?

Ans: मोनेरा जगत के जीव आर्कीबैक्टीरिया और युबैक्टीरिया हैं |

Q9) मोनेरा की कोशिका भित्ति किसकी बनी होती है?

Ans: मोनेरा की कोशिका भित्ति का निर्माण सेलूलोज, पेक्टोज तथा अन्य निर्जीव पदार्थों द्वारा होता है।

निष्कर्ष :

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