ऑप्टिकल उपकरण (प्रकाशीय यंत्र) क्या है? प्रकार,Human eye,माइक्रोस्कोप,टेलीस्कोप Optical instrument

ऑप्टिकल उपकरण जैसे कि आवर्धक लेंस या सूक्ष्मदर्शी या टेलीस्कोप etc. उपकरण का उपयोग किसी चीज़ को बड़ा या विस्तृत रूप में देखने में सहायता करता है |

ये काफी जटिल उपकरण होते हैं | इसमें कई लेंस का उपयोग किया जाता है | यहाँ कुछ ऑप्टिकल उपकरणों का वर्णन यहां किया गया है। आइये इस लेख के माध्यम से विस्तार से समझते है |

Table of Contents

ऑप्टिकल उपकरण क्या है ? प्रकाशीय यंत्र (Optical instrument) क्या है ? :

प्रकाशीय यंत्र Optical instrument
प्रकाशीय यंत्र Optical instrument

प्रकाशिक यंत्र या ऑप्टिकल उपकरण ऐसे उपकरण हैं जिसके द्वारा प्रकाश की ऑप्टिकल और भौतिक गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है | प्रकाशीय यंत्र या ऑप्टिकल उपकरण कहलाता है |

ये प्रकाशीय यंत्र या ऑप्टिकल उपकरण दर्पण और लेंस का उपयोग करके प्रतिबिम्ब बनाने के लिए प्रकाश को परावर्तित और अपवर्तित करते हैं।

हमारी आँखें एक प्रकाशीय यन्त्र की भाँति कार्य करती हैं | अतः हमारी आंखें एक प्राकृतिक ऑप्टिकल उपकरण का महत्वपूर्ण उदहारण है |

ऑप्टिकल उपकरण या प्रकाशीय यंत्र के प्रकार क्या हैं ? What are the types of optical instrument?

वैसे तो दर्पणों लेंसों और प्रिज्मों के परवर्ती तथा अपवर्ति गुणों का उपयोग कर के अनेक प्रकार के यन्त्र और उपकरण बनाये गये हैं

ऑप्टिकल उपकरणों के प्रकार या उदहारण निम्नलिखित है |

  • परिदर्शी
  • बहुमुर्तिदर्शी
  • द्विनेत्री
  • दूरदर्शक
  • सुक्षम्दर्शी

मानव नेत्र Human eye:

Human eye मानव नेत्र
Human eye मानव नेत्र

हम अपने आस-पास की वस्तुओं को अपनी आँखों से देखते हैं। यह आँख हमारे मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है |

मानव नेत्र की स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दुरी 25 सेंटीमीटर होती है |

हमारी आँख ऑप्टिकल उपकरण की तरह व्यवाहर करता है |

जो हमें अपने आसपास की सभी चीजों को देखने में सक्षम बनाता है। आँख सबसे महत्वपूर्ण ऑप्टिकल उपकरणों में से एक है।

यह केवल दो सकारात्मक लेंस, कॉर्निया और क्रिस्टलीय लेंस से बना है,

हमारी आँख की तुलना एक फोटोग्राफिक कैमरे से की जा सकती है।

कैमरे में, लेंस और फिल्म के बीच की दूरी को समायोजित करके किसी वस्तु की छवि को फिल्म पर केंद्रित किया जाता है।

लेकिन आंख मांसपेशियों की क्रिया के माध्यम से अपने लेंस की फोकल लंबाई को बदलकर रेटिना पर अलग-अलग दूरी पर पड़ी वस्तुओं की छवियों को तेजी से फोकस कर सकती है।

कैमरे में लेंस के अपर्चर को एडजस्ट करना होता है। लेकिन आंख अपने छिद्र को अपने आप नियंत्रित कर सकती है।

दूसरे शब्दों में, यह मनुष्य द्वारा डिज़ाइन किए गए बेहतरीन कैमरे से कहीं अधिक नाजुक और परिपूर्ण है।

आँख के हिस्से Parts of the eye:

मानव आँख का व्यास लगभग 2.5 सेमी है और आकार में लगभग गोलाकार है।

यह अपने अंदर के द्रव के दबाव से इस आकार में बना रहता है।

स्क्लेरोटिक Sclerotic:

यह नेत्रगोलक का घना, अपारदर्शी और श्रृंगी बाहरी आवरण होता है,

जिसका एक भाग नेत्र के श्वेत भाग के रूप में दिखाई देता है। इसका कार्य आंख की रक्षा करना है।

कॉर्निया Cornea:

आंख के सामने, स्क्लेरोटिक एक पारदर्शी घुमावदार ऊतक में विलीन हो जाता है |

जिसे कॉर्निया के रूप में जाना जाता है। प्रकाश कॉर्निया के माध्यम से आंख में प्रवेश करता है।

रंजित Choroid:

यह एक काले वर्णक के साथ संतृप्त स्क्लेरोटिक का काला लेप है |

और इसका कार्य अनावश्यक प्रकाश को अवशोषित करना है, जो अन्यथा आंख के आंतरिक भाग में एक सामान्य रोशनी पैदा करेगा।

आँख की पुतली Iris:

यह कॉर्निया के पीछे एक गोलाकार डायाफ्राम है।

इसमें एक केंद्रीय छिद्र होता है, जिसे आंख की पुतली के रूप में जाना जाता है।

परितारिका (iris) में वर्णक होता है जो आंख का रंग निर्धारित करता है।

मांसपेशियों की क्रिया के माध्यम से, परितारिका पुतली के क्षेत्र को 2 से 8 मिमी व्यास में बदल सकती है

ताकि आंख में उपयुक्त मात्रा में प्रकाश को समायोजित और प्रवेश किया जा सके।

क्रिस्टलीय लेंस Crystalline lens:

परितारिका के पीछे सूक्ष्म कांच के तंतुओं से बना एक अभिसारी लेंस होता है।

यह आगे की अपेक्षा पीछे की ओर अधिक उत्तल है।

यह सिलिअरी मांसपेशियों द्वारा परितारिका के पीछे आयोजित किया जाता है।

लेंस का कार्य बाहरी वस्तुओं की वास्तविक और उलटी छवि को रेटिना पर बनाना है।

जब संलग्न मांसपेशियों द्वारा लेंस पर तनाव डाला जाता है, तो कांच के रेशे एक-दूसरे के ऊपर सरक जाते हैं |

जिससे लेंस का आकार बदल जाता है और इस प्रकार छवि ठीक से फोकस हो जाती है।

कॉर्निया और क्रिस्टलीय लेंस के केंद्रों को मिलाने वाली रेखा को आंख का ऑप्टिक अक्ष कहा जाता है।

रेटिना Retina:

ये नेत्रगोलक की पिछली आंतरिक दीवार पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील झिल्ली होती है।

यह नसों और दो प्रकार की प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं से बना होता है, जिन्हें छड़ और शंकु कहा जाता है।

छड़ें प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं और कम रोशनी की तीव्रता में प्रकाश को अंधेरे से अलग करती हैं।

दूसरी ओर, शंकु पर्याप्त तीव्र प्रकाश की आवृत्ति रेंज को भेद सकते हैं, जिसे मस्तिष्क विभिन्न रंगों के प्रकाश के रूप में व्याख्या करता है।

रेटिना में दो अलग-अलग धब्बे होते हैं, एक पीला धब्बा, रेटिना का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है |

और दूसरा, सबसे कम संवेदनशील हिस्सा, जिसे ब्लाइंड स्पॉट के रूप में जाना जाता है।

मानव नेत्र में पाए जाने वाले दोष कौन से हैं?

ह्यूमन eye या मानव नेत्र में चार प्रकार के दोष पाए जाते हैं |

1) निकट दृष्टी दोष (Nearsightedness or short-sightedness or myopia)

2) दूर दृष्टि दोष (Farsightedness or hypermetropia)

3) जरा द्रष्टि दोष (Presbyopia)

4) अविबिन्दुकता या दृष्टि वैषम्य (Astigmatism)

1) निकट दृष्टी दोष (Myopia) क्या है?

इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को नजदीक की वस्तुएं स्पष्ट रूप से दिखाई देती है लेकिन दूर की वस्तुए स्पष्ट दिखाई नहीं देती | ऐसे दोष को निकट दृष्टि दोष कहते हैं |

निकट दृष्टि दोष होने के कारण क्या है?:

1)लेंस की गोलाई बढ़ जाती है |

2)लेंस की फोकस दुरी कम हो जाती है |

3)लेंस की क्षमता बढ़ जाती है |

इस कारण वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर ना बन कर रेटिना के आगे बनता है |

निकट दृष्टि दोष का निवारण कैसे करें?:

इस दोष को दूर करने के लिए उपयुक्त फोकस दुरी का अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है |

2) दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia) क्या है?

इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को दूर की वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई देती है लेकिन पास की वस्तुए स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती | ऐसे दोष को दूर दृष्टि दोष कहते हैं |

दूर दृष्टि दोष होने के कारण क्या है?:

1)लेंस की गोलाई कम जाती है |

2)लेंस की फोकस दुरी अधिक हो जाती है |

3)लेंस की क्षमता घट जाती है |

इस कारण वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है |

दूर दृष्टि दोष का निवारण कैसे करें?:

इस दोष का निवारण करने के लिए उपयुक्त फोकस दुरी का उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है |

3) जरा दृष्टि दोष (Presbyopia) क्या है?

यह रोग अधिक उम्र के व्यक्ति में वृद्धावस्था में होती है | वृद्धावस्था के कारण आँख की सामंजस्य क्षमता घट जाती है | या समाप्त हो जाती है |

इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को ना तो दूर की वस्तु और ना निकट की वस्तुए दिखाई देती है | ऐसे दोष को जरा दृष्टि दोष कहते हैं |

जरा दृष्टि दोष का निवारण कैसे करें?:

इस दोष का निवारण करने के लिए द्विफोकसी लेंस (उभयातल लेंस ) या बाईफोकल लेंस का उपयोग किया जाता है |

4) अविबिन्दुकता या दृष्टि वैषम्य (Astigmatism) क्या है?

इस रोग से ग्रसित व्यक्ति क्षैतिज दिशा में तो ठीक से देख पाता है लेकिन उर्ध्वाधर दिशा में नहीं देख पाता | ऐसे दोष को अविबिन्दुकता कहा जाता है |

अविबिन्दुकता का निवारण कैसे करें?:

इस दोष का निवारण करने के लिए बेलनाकार लेंस (Cylindrical lens) का उपयोग किया जाता है |

माइक्रोस्कोप Microscope:

Microscope माइक्रोस्कोप
Microscope माइक्रोस्कोप

यह एक ऑप्टिकल उपकरण है जो एक छोटी पास की वस्तु की एक आवर्धित छवि बनाता है|

और इस प्रकार, छवि द्वारा आँख में अंतरित दृश्य कोण को बढ़ाता है ताकि वस्तु बड़ी और विशिष्ट दिखाई दे।

सूक्ष्मदर्शी मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

Simple microscope सरल सूक्ष्मदर्शी (आवर्धक काँच):

यह कम फोकस दुरी का उत्तल लेंस होता है |

इसमें वस्तु का आकर वस्तु द्वारा नेत्र पर बनाये गये दृश्य या दर्शन कोण पर निर्भर करता है |

दर्शन कोण जितना छोटा होता है उतनी ही वस्तु छोटी दिखाई देती है |

इसका उपयोग वस्तु की आवर्धित छवियों को देखने के लिए किया जाता है।

इसमें कम फोकस दूरी का एक अभिसारी लेंस होता है।

सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता  Magnifying Power:

जब अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की कम से कम दूरी (D) से बनता है,

तब

m = 1 + D/f

जहाँ, f = लेंस की फोकस दूरी।

और D = 25 cm

जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है,

फिर

m= D/f

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी Compound Microscope:

Compound Microscope संयुक्त सूक्ष्मदर्शी
Compound Microscope संयुक्त सूक्ष्मदर्शी

यह दो उत्तल लेंसों का एक संयोजन है जिसे वस्तुनिष्ठ लेंस कहा जाता है |

और नेत्रिका एक दूरी से अलग होता है। वस्तु के निकट का लेंस अभिदृश्यक कहलाता है।

इसमें एक ही अक्ष पर दो उत्तल लेंस लगे होते हैं जो लेंस वस्तु की तरफ होता है उसे अभिदृश्यक लेंस (objective lens) कहते हैं |

और जो लेंस आँख के समीप होते हैं उसे अभिनेत्र (eye lens) कहते हैं |

वह लेंस जिसके द्वारा अंतिम प्रतिबिम्ब देखा जाता है नेत्रिका कहलाती है।

अभिदृश्यक लेंस का द्वारक (मुख्य व्यास) अभिनेत्र लेंस की अपेक्षा छोटा होता है |

नेत्रिका तथा अभिदृश्यक में जितनी ही कम फोकस दूरी के लेंसों का प्रयोग किया जायेगा उसकी आवर्धन क्षमता उतनी ही अधिक होती है |

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता  Magnifying Power:
  • जब अंतिम प्रतिबिम्ब कम से कम विशिष्ट दृष्टि की दूरी (D) से बनता है, तब

M = vo /uo(1+ D/fe)

जहाँ,

vo = वस्तु से लेंस द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब की दूरी

u = अभिदृश्यक लेंस से वस्तु की दूरी।

  • जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है, तब

M = (vo/uo)* (D/fe)

दूरबीन Telescope टेलीस्कोप:

टेलीस्कोप दूरबीन Telescope
टेलीस्कोप दूरबीन Telescope

इसमें दो उत्तल लेंस होते हैं | अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी नेत्रिका लेंस से अधिक होती है |

अभिदृश्यक लेंस अधिक व्यास या द्वारक का होता है | जिस से यह दूर से आने वाले प्रकाश की अधिक मात्र को एकत्रित करता है |

दूर की वस्तुओं जैसे कि एक तारा, एक ग्रह या दूर की पहाड़ियों आदि को देखने के लिए हम दूरबीन का उपयोग करते हैं।

खगोलीय दूरबीन Astronomical telescope:

Astronomical telescope खगोलीय दूरबीन

यह दो उत्तल लेंसों का एक संयोजन भी है, जिसे ऑब्जेक्टिव लेंस औरनेत्रिका कहा जाता है, जो दूरी से अलग होते हैं। इ

सका उपयोग खगोलीय पिंडों जैसे सितारों, ग्रहों आदि की अलग-अलग प्रतिबिम्बों को देखने के लिए किया जाता है।

खगोलीय दूरबीन की आवर्धन क्षमता  Magnifying Power:

जब अंतिम प्रतिबिम्ब कम से कम स्पष्ट दृष्टि की दूरी (D) से बनता है, तब

M = – (fo/fe)(1+fe/D)

जहाँ, f और f क्रमशः अभिदृश्यक और नेत्रिका की फ़ोकस दूरी हैं।

दूरदर्शी की लम्बाई (L) = (fo+fe)

जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है, तब

M = -(fo/fe)

दूरदर्शी की लम्बाई (L)= (fo+fe)

एक टेलीस्कोप की बड़ी आवर्धन क्षमता के लिए f बड़ा होना चाहिए और fe छोटा होना चाहिए।

सूक्ष्मदर्शी की बड़ी आवर्धन क्षमता के लिए, f<fe लेकिन fe छोटा होना चाहिए।

ऑप्टिकल उपकरणों की विभेदन क्षमता Resolving power of optical instruments:

किसी प्रकाशीय उपकरण की विभेदन शक्ति, उपकरण की दो पास की वस्तुओं की अलग-अलग छवियों को उत्पन्न करने की क्षमता है।

दो वस्तुओं के बीच की वह न्यूनतम दूरी जिसे प्रकाशीय यंत्र द्वारा अलग करके देखा जा सकता है, यंत्र की विभेदन सीमा कहलाती है।

ऑप्टिकल उपकरण के विभेदन क्षमता की सीमा जितनी कम होगी, इसकी विभेदन क्षमता उतनी ही अधिक होगी|

और इसके विपरीत ऑप्टिकल उपकरण के विभेदन क्षमता की सीमा जितनी अधिक होगी, इसकी विभेदन क्षमता उतनी ही कम होगी

Resolving power of Microscope सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता:

सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता को दो वस्तुओं के बीच की दूरी के व्युत्क्रम के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसे सूक्ष्मदर्शी के माध्यम से देखने पर हल किया जा सकता है।

अतः

सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता निम्नलिखित पर निर्भर करती है |

1) तरंग दैर्ध्य (λ)

2) वस्तु और वस्तु के बीच माध्यम का अपवर्तनांक।

3) किसी एक वस्तु से प्रकाश के शंकु का आधा कोण।

टेलीस्कोप की विभेदन क्षमता Resolving power of a Telescope:

एक दूरबीन की विभेदन क्षमता को दो दूर की वस्तुओं के बीच सबसे छोटे कोणीय अलगाव के व्युत्क्रम के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिनकी प्रतिबिम्ब अलग से देखी जाती है।

दूरबीन की विभेदन क्षमता = D/ 1.22 λ

अतः

दूरबीन की विभेदन क्षमता निम्नलिखित पर निर्भर करती है |

1) तरंग दैर्ध्य (λ) पर |

2) objective के व्यास पर निर्भर है।

कैमरा :

एक फोटोग्राफिक कैमरे में एक लाइट प्रूफ बॉक्स होता है, जिसके एक सिरे पर एक अभिसारी लेंस सिस्टम फिट होता है।

लेंस सिस्टम के विपरीत, बॉक्स के दूसरे छोर पर एक प्रकाश संवेदनशील फिल्म तय की जाती है।

लेंस प्रणाली द्वारा फिल्म पर वस्तु का वास्तविक उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है।

f- कैमरे के लिए नंबर f- Number for a camera:

f–संख्या एपर्चर के आकार का प्रतिनिधित्व करती है,

F-Number = लेंस की फोकल लंबाई / लेंस का व्यास

F-Number = focal length of the lens/ diameter of lens

आम तौर पर 2, 2.8, 4. 5.6, 8, 11, 22, 32  f- नंबर होते हैं।

कैमरे में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा एपर्चर के क्षेत्र के सीधे आनुपातिक होती है।

अर्थात,

L ∝ A ∝ d2

प्रतिबिम्ब की चमक ∝ d2 / f2

जहाँ, d = लेंस का व्यास और f = लेंस की फोकल लंबाई।

एक्सपोजर समय वह समय है जिसके लिए फोटोग्राफिक फिल्म पर प्रकाश पड़ता है।

FAQ:

Q1) प्रकाशीय यंत्र (ऑप्टिकल इंस्ट्रूमेंट ) क्या है?

Ans: प्रकाशिक यंत्र या ऑप्टिकल उपकरण ऐसे उपकरण हैं जिसके द्वारा प्रकाश की ऑप्टिकल और भौतिक गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है | प्रकाशीय यंत्र या ऑप्टिकल उपकरण कहलाता है |

ये प्रकाशीय यंत्र या ऑप्टिकल उपकरण दर्पण और लेंस का उपयोग करके प्रतिबिम्ब बनाने के लिए प्रकाश को परावर्तित और अपवर्तित करते हैं।

Q2) ऑप्टिकल उपकरण कितने प्रकार के होते हैं?

Ans: ऑप्टिकल उपकरणों के प्रकार

  • परिदर्शी
  • बहुमुर्तिदर्शी
  • द्विनेत्री
  • दूरदर्शक
  • सुक्षम्दर्शी

Q3)  मानव नेत्र की स्पष्ट दुरी कितनी होती है?

Ans: मानव नेत्र की स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दुरी 25 सेंटीमीटर होती है |

Q4) मानव नेत्र में कौन स लेंस होता है?

Ans:आँख सबसे महत्वपूर्ण ऑप्टिकल उपकरणों में से एक है।

यह दो उत्तल (convex lens) लेंसों से बना है – कॉर्निया (Cornea ) और क्रिस्टलीय (Crystalline) लेंस।

Q5) आँखों का रंग का मतलब क्या है ?

Ans: आँखों के रंग से मतलब  आईरिस का रंग होता है |

निष्कर्ष:

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