विषाणु Virus क्या है खोज प्रकार लक्षण रोग बचाव

विषाणु वायरस के बारे में आपने जरुर सुना होगा | कोरोना वायरस के द्वारा लायी गयी महामारी के बाद आज हर कोई वायरस विषाणु के नाम से अवगत हो चुका है |

ये अतिसूक्षम होते हैं | साथ ही बहुत खतरनाक भी होते हैं | विषाणु का अंग्रेजी शब्द वायरस है या लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है विष | विषाणु इस पृथ्वी पर हर जगह मौजूद हैं |

वायरस Virus विषाणु
वायरस Virus विषाणु

यह विषाणुओं के कारण कई भयानक रोगों का संचार फैलाव हुआ है | जिसके कारण बहुत ही अधिक जन धन की हानि हुई है | यह बहुत ही गंभीर और घातक बीमारियो के जन्म का कारण बनता है |

जैसे- इन्फ्लूएंजा, पोलियो, चेचक (Smallpox) वाइरस, एड्स आदि विषाणु या वायरस के कारण ही होती है। साधारण सर्दी जुकाम भी वायरस या विषाणु के कारण ही होता है |

विषाणु वायरस एक प्रकार के परजीवी ही होते हैं | ये अपने भोजन अपनी वृद्धि और प्रजनन के लिए दुसरे जीव की जीवित कोशिकाओ पर निर्भर रहते हैं | विषाणु या वायरस पादपो और जन्तुओ की बीच की श्रेणी में आते हैं | इन्हें पादप और जन्तुओ के बीच की कड़ी कहा जाता है |

जिस विषाणु में RNA अनुवांशिक पदार्थ पाया जाता है , उसको रेट्रोवायरस या रेट्रोविषाणु कहते हैं |

तो चलिए आज इस लेख के माध्यम से जानते और समझते हैं कि वायरस या विषाणु क्या है इसके प्रकार लक्षण और इनसे होने वाले रोग तथा इसकी खोज किसने की |

Table of Contents

वायरस विषाणु क्या है What is virus :

विषाणु एक अकोश्कीय जीव है जो अतिसूक्ष्म हैं यह आकर में बैक्टीरिया से भी छोटे होते हैं | इन्हें नग्न आँखों से नही देखा जा सकता | इसे इलेक्ट्रान सुक्षम्दर्शी के द्वारा देखा जाता है | यह केवल जीवित कोशिका में ही वृद्धि कर पाते हैं |

ये जानवरों, पौधों, कवक, फंगी यहाँ तक की बैक्टीरिया को भी संक्रमित कर सकते हैं |

यह विषाणु एक प्रकार के ऐसे संघटक है जो दुसरे जीवो के सेल में प्रवेश करने के बाद जीवित हो जाते हैं और वहीँ पनपते और वृद्धि करते हैं |

विषाणु में कोई कोशिका भित्ति नही होती ये प्रोटीन के संश्लेषण के लिए दुसरे जीवो पर ही निर्भर रहते हैं |

ये सामान्य अवस्था में मृत समान होते हैं  ये स्वतंत्र रूप से जीवित नही रह सकते और ना ही प्रजनन कर सकते हैं | लेकिन किसी भी जीव में या किसी भी जीवित कोशिका में प्रवेश करते ही जीवित हो जाते हैं | और इनका जीवन चक्र प्रारंभ हो जाता है |

विषाणु या वायरस क्या होता है ?:

इन्हें क्रिस्टल के रूप में इकठ्ठा किया जा सकता है | ये सैकड़ो साल तक सुशुप्त अवस्था में रह सकते हैं | और जब भी जीवित कोशिका के संपर्क में आता है तो उसकी कोशिका को भेद कर उसमे जीवित हो जाता है |

जब भी विषाणु या वायरस किसी जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है तो वह कोशिका के DNA और RNA की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक संरचना में बदल देता है | और इस तरह कोशिका विषाणु या वायरस से संक्रमित हो जाती है |

यह संक्रमित कोशिका अपनी ही तरह अपने आस पास कि कोशिका को संक्रमित करती रहती है | इससे वह जीव बीमार पड़ जाता है | और वायरस वृद्धि करते रहते हैं |

विषाणु वायरस की खोज Discovery of Virus :

रूस के वनस्पति वैज्ञानिक इवानविस्की ने 1892 ई. में विषाणु की खोज की | विषाणु के अस्तित्व के खोज का श्रेय वैज्ञानिक इवानविस्की को दिया जाता है |

इन्होने तम्बाकू के पौधे में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के बारे में पता लगाया |

सबसे पहले 1716 ई. में एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक रोग विषाणु जैसे किसी जीव से होता है | उन्होंने चेचक के वैक्सीन का अविष्कार भी किया |

इसके बाद एडोल्फ मेयर ने 1886 में बताया कि तम्बाकू में मोजेक नाम रोग विषाणु द्वारा होता है | तब इसके बाद रुसी वनस्पति शास्त्री इवानविस्कीने तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते हुए विषाणु को खोजा |

वायरस या विषाणु के अध्ययन को वाइरोलॉजी कहा जाता है। विषाणु विज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान का एक मुख्य भाग है।

विषाणु वायरस की प्रकृति Nature of virus :

वायरस या विषाणुओं की प्रकृति दो तरह की होती है |

1)  सजीव जैसी प्रकृति

2)  निर्जीव जैसी प्रकृति

  • सजीव और निर्जीव जैसी प्रकृति होने के कारण विषाणु या वायरस को सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी कहा जाता है |
  • विषाणु सजीव और निर्जीव दोनों के जैसा व्यवहार करता है |
सजीव जैसी प्रकृति Living nature :  
  • इनमे न्यूक्लिक एसिड का द्वि गुणन होता है |
  • ये किसी भी जीवित कोशिकाओ के संपर्क में आ कर प्रवेश करते ही जीवित और सक्रीय हो जाते हैं |
  • तथा एंजाइमो का संश्लेषण करने लगते हैं |
  • सजीव कोशिकाओ की तरह इनमे भी DNA और RNA पाया जाता है |
निर्जीव जैसी प्रकृति Inanimate nature :
  • ये कोशकीय रूप में नहीं होते हैं |
  • इनमे कोशिका भित्ति नही पाई जाती |
  • इनको क्रिस्टल बना कर इकठ्ठा कर के बोतलों में भर कर वर्षो तक रखा जा सकता है |
  • इसमें पोषण श्वसन वृद्धि उत्सर्जन उपापचय जैसी क्रियाएं नही होती |

विषाणु वायरस के प्रकार Type of virus :

परपोषी प्रकृति के अनुसार विषाणु के तीन प्रकार होते हैं |

1)  पादप विषाणु Plant virus

2)  जंतु विषाणु Animal virus

3)  जीवाणु भोजी या बक्टेरियोफेज Bacteriophage

पादप विषाणु Plant virus :
  • इसके अनुवांशिक पदार्थ न्यूक्लिक अम्ल आरएनए (RNA) होता है | जो कि प्रोटीन के खोल या आवरण में रहता है |
  • पेड़ पौधों को संक्रमित करने वाले विषाणुओं को पादप विषाणु कहा जाता है |

जैसे – पोटैटो वायरस , तम्बाकू का मोजेक वायरस (TMV) etc.,

जंतु विषाणु Animal virus:
  • इसमें भी डीएनए (DNA) या कभी-कभी आरएनए (RNA) भी पाया जाता है |
  • जो वायरस जीव जन्तुओ तथा मनुष्यों को संक्रमित कर नुकसान पहुंचाता है उसे जंतु वायरस कहा जाता है |

जैसे – इन्फ्लुएंजा, रेबीज, मम्प्स etc.,

जीवाणु भोजी या बक्टेरियोफेज  Bacteriophage:
  • जो विषाणु या वायरस, जीवाणु या बैक्टीरिया की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं उन्हें जीवाणु भोजी कहा जाता है |
  • ये केवल जीवाणुओं पर आश्रित रहते हैं | और जीवाणुओं को मार देते हैं |
  • जीवाणुभोजी एक लाभप्रद वायरस है यह हैजा पेचिश टायफाइड आदि प्रकार के बीमारी फ़ैलाने वाले बैक्टीरिया या जीवाणु को नष्ट कर मनुष्य शरीर की रक्षा करता है |
  • इनमें डीएनए (DNA) पाया जाता है |

जैसे – टी -2 फेज |

विषाणु की आकृति और आकर माप एवं संरचना Shape and size of the virus :

वायरस विषाणु अत्यंत छोटे या सूक्ष्म होते हैं | इनका आकर 20 nm नैनोमीटर से लेकर 450 nm नैनोमीटर तक होता है |

इन्हें नंग्न आँखों से नही देखा जा सकता | इन्हें साधारण माइक्रोस्कोप से भी नही देखा जा सकता | इसके लिए इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप का प्रयोग कर देखा जाता है |

विषाणु का आकर बैक्टीरिया से 500 गुना कम होता है | मीसल नामक विषाणु का आकर 220 nm नैनोमीटर का होता है | हेपेटाइटिस विषाणु का आकर 40 nm नैनोमीटर का होता है | पोलियो के वायरस का आकार 30 nm नैनोमीटर होता है |

मिमीवायरस नामक सबसे बड़ा वायरस है जिसका व्यास 500 nm नैनोमीटर तक होता है | यह अमीबा में संक्रमण करता है |

विषाणुओं वायरस से होने वाले रोग Diseases caused by viruses:

वायरस विषाणु पौधों और जन्तुओ सभी को संक्रमित कर रोग फ़ैलाने वाले होते हैं |

विषाणुओं द्वारा पादप या पौधों में होने वाले रोग Plant diseases caused by viruses:

1)  तम्बाकू का मोजेक रोग tobacco mosaic disease

2) पोटैटो मोजेक रोग Potato mosaic disease

3)  बंकी टॉप ऑफ़ बनाना Bunky Top Off Banana

4)  रंग परिवर्तन (color change)

5)  टोमेटो येलो लीफ कर्ल  Tomato Yellow Leaf Curl

6)  बीट येलो वायरस Beat Yellow Virus

7)  टर्निप येलो वायरस Turnip Yellow Virus

तम्बाकू का मोजेक रोग (tobacco mosaic disease) :
  • इस रोग में पत्तियां सिकुड़ जाती हैं | तथा छोटी हो जाती हैं |
  • ये रोग की वजह से पत्तियों का क्लोरोफिल ख़त्म हो जाता है |
  • इस तम्बाकू का मोजेक रोग का कारण टोबैको मोजेक वायरस (TMV) है |

नियंत्रण : इस रोग से नियंत्रण के लिए प्रभावित पौधों को इकठ्ठा कर के जला देना चाहिए |

पोटैटो मोजेक वायरस (Potato mosaic disease) :
  • यह रोग पोटैटो मोजेक वायरस-x से होता है |
  • इसमें पत्तियों में चितकबरापन तथा बौनापन के लक्षण दिखाई देते हैं |
बंकी टॉप ऑफ़ बनाना (Bunky Top Off Banana) :
  • यह रोग बनाना वायरस-1 द्वारा होता है |
  • इस रोग में पौधे बौने तथा सभी पत्तियां शिखा पर सिकुड़ कर एकत्रित हो जाती हैं |
रंग परिवर्तन (color change) :
  • हरे रंग का चले जाना एक विषाणुजनित रोग है |
  • इस रोग में पौधे की पूरी पत्तियों का रंग पीला, सफ़ेद या मोजेक पैटर्न का हो जाता है |
  • vein clearing में शिराएँ पीलीतथा अन्य भाग हरे रंग के और vein banding में शिराएँ हरी तथा अन्य भाग पीली या सफ़ेद हो जाती हैं |

विषाणुओं द्वारा मनुष्यों में होने वाले रोग Diseases caused by viruses in humans:

रोग बीमारी Disease  प्रभावित अंग Affected Part विषाणु / वायरस का नाम Virus name लक्षण Symptoms
एड्स AIDS प्रतिरक्षा प्रणाली WBC HIV रोग प्रतिरोधक क्षमता का नष्ट हो जाना
डेंगू ज्वर या हड्डी तोड़ बुखार सम्पूर्ण शरीर खास कर सिर, आँख, एवं जोड़ अरबो वायरस आँखों, पेशीय, सिर तथा जोड़ो में दर्द
पोलियो गला, रीढ़, नाढ़ी संस्थान पोलियो ज्वर, बदन दर्द, रीढ़ की हड्डी तथा आंत की कोशिकाए नष्ट हो जाती हैं |
इन्फ्लुएंजा सम्पूर्ण शरीर मिक्सो वायरस ABC गलशोथ, छींक, बेचैनी
चेचक सम्पूर्ण शरीर वैरिओला वायरस तेज बुखार, शरीर पर लाल लाल दाने
चिकन पॉक्स सम्पूर्ण शरीर वैरीसेला वायरस हल्का बुखार, शरीर पर पित्तिकाएं
गलशोथ पैराथायराइड ग्रंथि ज्वर के साथ मुँह खोलने में कठिनाई
खसरा सम्पूर्ण शरीर मोर्बिली वायरस शरीर पर लाल दाने
ट्रेकोमा आँख आँख लाल होना, आँख में दर्द
हिपैटाइटिस या पीलिया यकृत पेशाब पीला, आँख व त्वचा का पीला पड़ना
रेबीज तंत्रिका तंत्र रैब्डो वायरस रोगी पागल हो जाता है , जीभ बाहर निकालता है |
मेनिन्जाइटिस मस्तिष्क तेज बुखार
हर्पीज त्वचा हर्पिस त्वचा में सूजन होना |
जिका बुखार सम्पूर्ण शरीर जिका वायरस बुखार, लाल आंखे, जोड़ो में दर्द, सिर दर्द, लाल चकते |
कोरोना फेफड़े, श्वासनली कोरोना वायरस बुखार, शरीर में दर्द, सर्दी जुकाम, सांस लेने में कठिनाई

 

विषाणुओं द्वारा मनुष्यों में होने वाले रोग
विषाणुओं द्वारा मनुष्यों में होने वाले रोग

वायरस या विषाणु कैसे फैलता है  How the virus spreads:

विषाणु या वायरस पर्यावरण से, मिट्टी, जल, वायु या अन्य मनुष्यों के संपर्क के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर फैलते हैं |

मनुष्यों में वायरस के फैलने के कुछ सामान्य तरीके निम्नलिखित हैं |
  • विषाणु या वायरस किसी अन्य व्यक्ति के हाथ से छूने या हाथ मिलाने से भी फैलता है |
  • कोई व्यक्ति गंदे हाथो से भोजन करता है छूता भी है तो वायरस मनुष्य के आंतों में भी पहुँच कर फ़ैल सकता है |
  • यही किसी व्यक्ति को सर्दी जुकाम है तो खांसी या छींक से भी वायरस एक व्यक्ति से अनेक व्यक्ति में फ़ैल सकता है | और संक्रमित कर बीमार बना सकता है |
  • मनुष्य के शरीर के लार, खून, वीर्य जैसे तरल पदार्थ के इंजेक्शन या परस्पर संपर्क या यौन सम्बन्ध से भी फ़ैल सकता है |

विषाणु वायरस से बचाव के उपाय :

वायरस या विषाणु से बचाव के लिए हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का मजबूत होना बहुत जारूरी है क्यों कि जब विषाणु हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो हम तुरंत बीमार नही पड़ते |

हमारे शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र प्रणाली तुरंत सक्रीय हो जाते है | और इन वायरस से लड़ते हैं | एंटीबायोटिक्स से विषाणुओं पर कोई प्रभाव नही होता | इनके कुछ संक्रमण के लिए एंटीवायरल दवाइयां दी जाती हैं |

इन दवाओ का प्रभाव वायरस पर उतना प्रभावशाली नही होता | इन वायरस से बचने के लिए कुछ वैक्सीन का अविष्कार किया गया है | जो कि सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं |

कुछ बातो का ध्यान रख कर हम वायरस के संक्रमण से बच सकते हैं | ये निम्नलिखित हैं |

  1. खांसते या छीकते समय अपने हाथ मुँह नाक पर रखने के बजाय अपने कोहनी पर रखें |
  2. खाने से पहले या भोजन तैयार करने से पहले अपने हाथो को अच्छी तरह साफ़ करें |
  3. बाथरूम का उपयोग करने के बाद या डायपर बदलने के बाद अपने हाथो को मुँह आँख नाक को छूने से बचे | अपने हाथ अच्छी तरह साफ़ करने के बाद ही किसी भी अन्य चीजों को छुएं |
  4. हाथ धोना अनेक संक्रमण से बचने या रोकने का सबसे प्रभावशाली तरीका है | साबुन और पानी का उपयोग कर हाथो को 20 सेकंड तक अच्छी तरह धोएं |
  5. हैंडसैनीटाईज़र का प्रयोग करें |
 विषाणु तथा जीवाणु एक दुसरे से किस प्रकार भिन्न हैं ?

जीवाणु  विषाणु में अंतर –

विषाणु वायरस जीवाणु बैक्टीरिया
 ये विषाणु अकोशकीय जीव है | जबकि जीवाणु एक कोशकीय जीव हैं |
ये सुशुप्त अवस्था में हजारो वर्षो तक जीवित रह सकते है | ये सुशुप्त अवस्था में नहीं रह सकते हैं |
इनका आकर जीवाणु से बहुत छोटा है |  जीवाणु विषाणु से बड़े होते हैं |
विषाणु को देखने के लिए इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप का प्रयोग कर देखा जाता है |  जीवाणु साधारण प्रकाशीय माइक्रोस्कोप से देखे जा सकते हैं |
ये निर्जीव की तरह होते हैं इन्हें क्रिस्टल के जैसे इकठ्ठा कर के रखा जा सकता है | इन्हें इकठ्ठा कर नही रखा जा सकता |

 

निष्कर्ष :

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आपका दिन शुभ हो | धन्यवाद |

FAQ1) :

Q1) विषाणु कहाँ पाए जाते हैं ?

Ans : विषाणु इस पृथ्वी पर हर जगह मौजूद हैं | ये पर्यावरण के किसी भी तंत्र में पाए जाते हैं |

Q2) विषाणु और जीवाणु में अंतर क्या है ?

Ans : विषाणु अकोशिकीय होता है। विषाणु सुसुप्त अवस्था में रहते हैं। विषाणु जीवित कोशिका के बाहर सुसुप्त अवस्था मे हजारों साल तक रह सकते है| ये अत्यंत सूक्ष्म होते हैं इन्हें इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप के द्वारा देखा जाता है |

जबकि जीवाणु एक कोशकीय जीव हैं  जीवाणु सुशुप्त अवस्था जीवित नही रह सकते  जीवाणु का आकार विषाणु से बड़ा होता है और इन्हें प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जा सकता है।

Q3) विषाणु की खोज किसने की और कब की ?

Ans : विषाणु की खोज रूस के वनस्पति वैज्ञानिक इवानविस्की ने 1892 ई. में की |

Q5) विषाणु वायरस के कितने प्रकार हैं ?

Ans : परपोषी प्रकृति के अनुसार विषाणु के तीन प्रकार होते हैं | पादप विषाणु, जंतु विषाणु, जीवाणु भोजी या बक्टेरियोफेज |

FAQ2)

Q) लाभदायक विषाणु या वायरस कौन है ? 

Ans : जीवाणु भोजी या बक्टेरियोफेज को लाभदायक विषाणु या वायरस कहा जाता है |

Q) विषाणु का आकर कितना होता है ?

Ans : वायरस विषाणु का आकर 20 nm नैनोमीटर से लेकर 450 nm नैनोमीटर तक होता है |

Q) विषाणु के अध्ययन को क्या कहते हैं ?

Ans : विषाणु के अध्ययन को विषाणु विज्ञान कहा जाता है। विषाणु विज्ञान सूक्ष्मजीव विज्ञान का एक उपक्षेत्र है।

Q) विषाणुओं द्वारा पादप या पौधे में होने वाले रोगों के नाम क्या हैं ?

Ans : तम्बाकू का मोजेक रोग, पोटैटो मोजेक रोग, बंकी टॉप ऑफ़ बनाना etc.

Q) सबसे बड़ा  वायरस कौन सा है ?

Ans : मिमीवायरस नामक सबसे बड़ा वायरस है जिसका व्यास 500 nm नैनोमीटर तक होता है |

Q) विषाणुओं द्वारा होने वाले रोगों के नाम क्या हैं ?

Ans : इन्फ्लुएंजा, एड्स, हर्पीज, मेनिन्जाइटिस, रेबीज, हिपैटाइटिस या पीलिया, खसरा etc.

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