साबुन क्या है? परिभाषा, प्रकार, सूत्र, निर्माण की विधि, उपयोग

साबुन के बारे में आज आपको इस आर्टिकल में पढने और जानने को मिलेगा की साबुन क्या होते हैं साबुन कितने प्रकार के होते हैं साबुन का उपयोग किन चीजों में होता है साबुन बनाने की कौन कौन सी विधियाँ होती हैं साबुन के सूत्र क्या हैं ?

आपको इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस आर्टिकल को पढने पर प्राप्त होगा |

साबुन हमारे दैनिक जीवन में साफ़ सफाई करने के लिए प्रयुक्त एक प्रमुख उत्पाद है |

यह त्वचा की गन्दगी को हटाने और इसे धोने में सक्षम है | साबुन का इस्तेमाल शरीर की सफाई, कपड़े की सफाई, बर्तनों की सफाई आदि में मुख्य रूप से किया जाता है |

What is soap Definition, Types, Formula, Method of Preparation, Uses

साबुन का इतिहास वर्षो पुराना है पुराने समय में साबुन बनाने के लिए पशु चर्बी, राख और पानी को मिला कर साबुन बना कर इस्तेमाल किया जाता था | पूर्व समय में साबुन को ऊन कॉटन कपडे आदि की सफाई में प्रयोग किया जाता था |

कई स्थानों पर पशु एवं वनस्पति तेलों को क्षारीय नमक के साथ मिला कर साबुन तैयार करते थे जिसका उपयोग त्वचा रोगों में किया जाता था |

7वीं शताब्दी के आसपास जैतून के पेड़ों के तेल के साथ कई सामग्रियों को मिला कर साबुन बनाया जाता था | भारत का पहला साबुन मैसूर सैंडल सोप था | ये आपने साबुन के इतिहास के बारे में बेसिक जानकारी प्राप्त की |

आइये अब जाने की साबुन क्या है? इसके प्रकार और बनाने की विधि के बारे में |

Table of Contents

साबुन क्या है? What is soap? sabun kya hai:

सभी साधारण साबुन उच्च वसीय अम्लों जैसे स्टीयरिक अम्ल (C17H35COOH), पाल्मीटिक अम्ल (C15H31COOH) तथा ओलिक अम्ल (C17H33COOH) के सोडियम या पोटैशियम के लवणों के मिश्रण या समूह होते हैं |

दीर्घ लम्बी श्रृंखला वाले कार्बोक्जलिक अम्ल के सोडियम या पोटैशियम के लवण के समूह को साबुन कहा जाता है |

जैसे – सोडियम स्टीयरेट, पोटैशियम पामिटेट ये साबुन के उदाहण हैं |

साबुन में प्रयुक्त मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल कौन से होते है?

What are the monocarboxylic acids used in soaps?:

इन साबुन में उच्च अणुभार वाले कार्बोक्सालिक अम्ल होते है जो इस प्रकार है |

  • स्टिएरिक अम्ल (C17H35COOH)
  • पामिटिक अम्ल (C15H31COOH)
  • ओलिएक अम्ल (C17H33COOH

साबुन का सूत्र Soap formula:

 

CH2COOC17H35                                 CH2OH

I                                                          Ι

CHCOOC17H35 + 3NaOH   __________> CHOH    + 3C17H35COONa   (साबुन)

I                                                          Ι

CH2COOC17H35                                        CH2OH

 

 

साबुन एक उच्च एल्किल समूह के लवण होते हैं | R-COONa या R-COOK साबुन का सामान्य सूत्र होता हैं जहाँ पर एल्किल ग्रुप R = C17H35 है |

साबुनीकरण किसे कहते हैं? What is saponification?:

What is soap Definition, Types, Formula, Method of Preparation, Uses

जब भी प्राकृतिक तेल या वसा को क्षार के साथ जल अपघटित अभिक्रिया कराने पर साबुन का निर्माण होता है | साबुन बनाने की इस प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं | साबुन जल में विलेय होते हैं |

तेल या वसा + क्षार -> ग्लिसिरिन + साबुन

Main components of soap and its pH value साबुन के मुख्य घटक और उसका pH वैल्यू:

साबुन का मुख्य घटक सोडियम हाइड्रोऑक्साइड (NaOH) है यह एक प्रबल क्षार है | जिसका pH मान 13 है |

इस साबुन की प्रकृति क्षारीय होती है साबुन का pH 8 से 11 के बीच होता है |

साबुन पानी के साथ मिल कर चिकनाई, गन्दगी, तेल को हटाने का कार्य करता है |

कठोर जल के साथ साबुन अच्छा कार्य क्यों नहीं करता है?

साबुन में सोडियम और पोटैशियम के लवण होते हैं |

कठोर जल में कैल्शियम (Ca2+) और मैग्नीशियम (Mg2+) के आयन होते हैं |

जब साबुन को कठोर जल में मिलाया जाता है तो ये आयन साबुन के लवणों से सोडियम और पोटैशियम को विस्थापित कर के अलग कर देते हैं |

और यह एक अघुलनशील कैल्शियम और मैग्नीशियम के फैटी एसिड लवण बना देते हैं | इसलिए ये झाग का उत्पादन नहीं करते |

ये गन्दगी और मैल से नही चिपकते बल्कि ये अघुलनशील लवण के रूप में अलग हो जाते हैं | इसलिए साबुन कठोर जल के साथ अच्छा कार्य नहीं करता है |

Types of soap साबुन के प्रकार:

साबुन दो प्रकार के होते है |

1)कठोर साबुन Hard Soap

2)मृदु या मुलायम साबुन Soft or mild soap

कठोर साबुन Hard Soap:

  • वे साबुन जो उच्च वसीय अम्लों के सोडियम लवण होते हैं उन्हें कठोर साबुन कहते हैं |
  • इन्हें बनाने में कास्टिक सोडा का प्रयोग किया जाता है |
  • इसका उपयोग कपड़ा धोने में किया जाता है |
  • ये जल के साथ कम झाग बनाते हैं |

मृदु या मुलायम साबुन Soft or mild soap :

  • वे साबुन जो उच्च वसीय अम्लों के पोटैशियम लवण होते हैं उन्हें मृदु या मुलायम साबुन कहते हैं |
  • इन्हें बनाने में कास्टिक पोटाश का उपयोग किया जाता है |
  • इसका उपयोग नहाने में किया जाता है |
  • ये जल के साथ अधिक झाग बनाते हैं |

साबुन का वर्गीकरण Classification of soap:

ये निम्नलिखित हैं |

  1. प्रसाधन साबुन Toilet soap
  2. पारदर्शी साबुन Transparent soap
  3. औषधीय साबुन Medicated soap
  4. जल में तैरने वाले साबुन Floating soap
  5. दाढ़ी बनाने वाला साबुन Shaving soap
  6. धुलाई करने वाला साबुन Laundry soap

प्रसाधन साबुन Toilet soap:

  • यह साबुन उच्च कोटि के मृदु या मुलायम साबुन के केटेगरी में आता है |
  • ये उच्च वसा और तेलों को मिला कर बनाया जाता है |
  • इसको आकर्षक बनाने के लिए रंग और सुगंध का प्रयोग किया जाता है |

पारदर्शी साबुन Transparent soap:

  • यह साबुन बनाने के लिए अल्कोहल का इस्तेमाल करते हैं |
  • इस साबुन को अल्कोहल में विले किया जाता है |
  • फिर एक्स्ट्रा विलायक को वाष्पित कर दिया जाता है तब यह पारदर्शी साबुन तैयार होता है |

औषधीय साबुन Medicated soap:

  • इस तरह के साबुन में औषधीय गुणों से भरपूर तत्वों पदार्थो को मिला कर तैयार किया जाता है |
  • इन औषधीय साबुन को चिकित्सीय साबुन कहा जाता है |

जल में तैरने वाले साबुन Floating soap:

  • इस साबुन को बनाने के लिए वायु प्रवाहित किया जाता है  |
  • इसमें वायु के छोटे छोटे बुलबुलों को कठोर होने से पहले विस्पन्दित कर दिया जाता है |
  • और यह जल में तैरने वाला साबुन बन कर तैयार किया जाता है |

दाढ़ी बनाने वाला साबुन Shaving soap:

  • इस दाढ़ी बनाने वाला साबुन में ग्लिसरॉल पाया जाता है |
  • इसतरह के साबुन में अधिक झाग बनने की आवश्यकता होती है |
  • जिसके लिए साबुन में रोजिन नमक गोंद का प्रयोग किया जाता है |
  • जो सोडियम रोजिनेट का निर्माण करता है इससे साबुन जल्दी नहीं सूखता और झाग भी अधिक बनता है |

धुलाई करने वाला साबुन Laundry soap:

  • यह धुलाई करने वाला साबुन कठोर साबुन होता है |
  • इसका निर्माण करने के लिए इसमें सोडियम रोजिनेट, सोडियम सिलिकेट और बोरेक्स जैसे पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं |
  • इस सब पदार्थो को मिला कर धुलाई साबुन बनाया जाता है |

साबुन के अच्छे होने की विशेषताएं क्या हैं?

What are the characteristics of a soap being good?:

अच्छे साबुन की कुछ विशेषताएं होती हैं जो निम्नलिखित हैं |

  • अच्छा साबुन में मुक्त क्षार नहीं होना चाहिए |
  • अच्छे साबुन में नमी या आर्द्रता की मात्रा 10 % से अधिक नहीं होना चाहिए |
  • साबुन मृदु मुलायम और चिकना होना चाहिए | यह कठोर नहीं होना चाहिए|
  • अच्छे साबुन गुण यह भी है कि इसका उपयोग करते समय यह चटकना नहीं चाहिए |
  • यह अल्कोहल में पूरी तरह से विलेय घुलनशील होना चाहिए|
  • इसमें किसी भी प्रकार के कीटाणुनाशक पदार्थ नहीं मिले होंना चाहिए |

साबुन के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ क्या होते हैं?

What are the substances used in the manufacture of soap?:

ये निम्नलिखित हैं |

  • वनस्पति तेल Vegetable oil
  • वसा Fat
  • कास्टिक सोडा/पोटाश Caustic Soda/Potash
  • सोडियम सिलिकेट Sodium silicate
  • कार्बोक्सालिक एसिड Carboxylic acid
  • रेजिन Resins
  • रंग Color
  • सुगन्धित पदार्थ Aromatic substances

साबुन बनाने की विधि How to make soap:

साबुन बनाने की 3 विधियाँ हैं |

  • गर्म विधि Hot method
  • ठंडा विधि Cold method
  • आधुनिक विधि Modern method

गर्म विधि Hot method:

  1. इस विधि में एक बड़े बर्तन में तेल या वसा को कॉस्टिक सोडा के घोल में मिलाते हैं और धीरे धीरे उबालते हैं |
  2. यह प्रक्रिया तब तक की जाती है जब तक साबुनीकरण की प्रक्रिया पूरी ना हो जाये |
  3. इसके बाद इसमें नमक का संतृप्त विलियन डाला जाता है |
  4. इससे साबुन नमक के घोल के ऊपर तैरने लगता है | और ग्लिसिरिन इस घोल में घुल जाती है |
  5. नमक के घोल में घुले हुए ग्लिसिरिन को स्पेंट लाई कहा जाता है |
  6. इससे व्यापारिक मात्रा में ग्लिसिरिन बनाया जाता है |
  7. फिर घोल में से स्पेंट लाई को अलग निकाल दिया जाता है |
  8. और फिर से कास्टिक सोडा के घोल में उबाल कर साबुनीकरण की प्रक्रिया को पूरा कर देते हैं |
  9. अब इस साबुन को धो कर सोडा क्षार और नमक को हटा कर निकाल दिया जाता है | और सुखा दिया जाता है |
  10. इन्हें सांचे में डालने से पहले इसमें रंग और सुगन्धित पदार्थ मिला दिए जाते हैं |
  11. इनको सांचों में डालकर ठंडा कर के बट्टियों के रूप में काट लिया जाता है |
  12. इस प्रकार गरम विधि से साबुन का निर्माण किया जाता है |
साबुन निर्माण की इस गरम विधि के फायदे नुकसान
Advantages and disadvantages of this hot method of soap making:
  • इस विधि द्वारा शुद्ध साबुन प्राप्त होता है |
  • इस प्रक्रिया में साबुन में क्षार और तेल की अधिक मात्रा नहीं होती |
  • साबुन बनाने की इस विधि द्वारा बाई प्रोडक्ट के रूप में ग्लिसरॉल भी प्राप्त हो जाता है |
  • यह साबुन निर्माण करने की एक सस्ती विधि होती है |

ठंडा विधि Cold method:

  1. साबुन बनाने की इस विधि में तेल और वसा को मिला कर हल्का गर्म करते हैं |
  2. फिर इसमें सान्द्र कास्टिक सोडा दाल कर मिलाते हैं |
  3. जब ये अच्छी तरह से मिला दिए जाते हैं तो इनको ठंडा कर के सांचे में डाल कर 2 दिन के लिए रख देते हैं |
  4. 2 दिन के बाद यह सुख कर कठोर हो जाता है |
  5. तो फिर इनको सांचो से बाहर निकाल कर बट्टियों के रूप में जमा कर काट लिए जाते हैं |
  6. इस तरह ठंडी विधि से साबुन तैयार किया जाता है |
साबुन बनाने की ठंडी विधि के फायदे नुकसान
Advantages and disadvantages of cold method of soap making:
  • इस विधि द्वारा साबुन में मुक्त क्षार और तेल रह जाता है |
  • इसमें बाई प्रोडक्ट के रूप में ग्लिसरॉल प्राप्त नही हो पाता है |
  • इस विधि द्वारा प्राप्त साबुन शुद्ध नहीं होता है | इसमें अशिद्धियाँ रह जाती हैं |

साबुन बनाने की आधुनिक विधि Modern method:

  1. इस साबुन बनाने की आधुनिक विधि में उत्प्रेरक का इस्तेमाल किया जाता है |
  2. यह आधुनिक विधि को हाल में ही विकसित किया गया है |
  3. इसमें दाब की उपस्थिति में उत्प्रेरक को मिला कर गर्म जल के साथ वसा और तेल को अपघटित किया जाता है |

साबुन के उपयोग क्या हैं? Uses of soap:

उपयोग साबुन के निम्नलिखित हैं |

  1. इसका उपयोग शरीर को साफ़ करने और कपड़े धोने में किया जाता है |
  2. यह दाढ़ी बनाने के बाद उपयोग होता है जो त्वचा को साफ़ मुलायम बनाता है |
  3. औषधि युक्त साबुन चर्म रोगों में उपयुक्त होता है |
निष्कर्ष:

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